5 सरकारी बैंकों में 20% तक हिस्सेदारी बेचने के लिए ब्लूप्रिंट तैयार, लिस्ट में इनका नाम शामिल

Public Sector Banks: सरकार अपनी हिस्सेदारी कम करने के लिए ऑफर-फॉर-सेल (OFS) और क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) दोनों तरीकों का विकल्प चुन सकती है. बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जैसे बैंक शामिल हैं.

इन बैंकों में हिस्सेदारी कम करेगी सरकार. Image Credit: ssnjaytuturkhi/digitalvision/Getty Images

Public Sector Banks: केंद्र सरकार पांच पब्लिक सेक्टर के बैंकों में अपनी मौजूदा हिस्सेदारी घटाकर 20 फीसदी कम करने के लिए मेगा प्लान बना रही है. डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट और पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (DIPAM), वित्तीय सेवा विभाग और पब्लिक सेक्टर के बैंकों के साथ चर्चा करके ब्लूप्रिंट तैयार किया जा रहा है. बिजनेस स्टैंडर्ड के अनुसार यह कदम भारतीय सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया ने मिनिमम शेयरहोल्डिंग नॉर्म्स को पूरा करने के लिए उठाया जा रहा है़. सरकार अपनी हिस्सेदारी कम करने के लिए ऑफर-फॉर-सेल (OFS) और क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (QIP) दोनों तरीकों का विकल्प चुन सकती है.

इन बैंकों में हिस्सेदारी कम कर सकती है सरकार

रिपोर्ट के अनुसार, जिन बैंकों में हिस्सेदारी कम की जाएगी उनमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब एंड सिंध बैंक शामिल हैं. साथ ही इसमें यह भी कहा गया है. हालांकि, मनी9लाइव स्वतंत्र रूप से रिपोर्ट की पुष्टि नहीं करता है.

सरकार ने शुरू कर दिया प्रोसेस

इससे पहले 25 फरवरी को खबर आई थी कि DIPAM ने पब्लिक सेक्टर के बैंकों और लिस्टेड सरकारी वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी बिक्री की सुविधा के लिए मर्चेंट बैंकरों से बोलियां आमंत्रित की हैं. DIPAM द्वारा जारी आरएफपी (प्रस्ताव के लिए अनुरोध) के अनुसार, मर्चेंट बैंकरों को तीन साल की अवधि (जिसे 1 साल तक बढ़ाया जा सकता है) के लिए लिस्ट किया जाएगा और वे चुनिंदा पीएसयू बैंकों/चुनिंदा लिस्टेड पब्लिक वित्तीय संस्थानों में इक्विटी कम करने के लिए ट्रांजेक्शन की टाइमिंग और तौर-तरीकों पर सरकार को सलाह देंगे.

सरकार ऑफर फॉर सेल (OFS) योजना का लक्ष्य चुनिंदा पब्लिक सेक्टर के बैंकों और लिस्टेड वित्तीय संस्थानों को शामिल करना है. खासतौर से उन बैंकों को जिन्होंने अभी तक 25 फीसदी न्यूनतम पब्लिक शेयरहोल्डिंग की आवश्यकता को पूरा नहीं किया है.