IIT से पढ़ाई, फिर टेबल साफ करने से लेकर वेटर का काम, जानें चाय वाले ने कैसे बना दी अरबों की दुकान
चायोस के को-फाउंडर नितिन सलूजा एक पॉडकास्ट में नजर आए. इस पॉडकास्ट में उन्होंने अपने संघर्ष और सफलता की कहानी साझा की, साथ ही बताया कि 2051 करोड़ रुपये का ब्रांड खड़ा करने के पीछे कितनी मेहनत करनी पड़ी. नितिन सलूजा ने आईआईटी बॉम्बे से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक कॉर्पोरेट मैनेजमेंट कंसल्टेंट के रूप में काम किया. उन्होंने अपना पहला कैफे गुरुग्राम में खोला था.
Nitin Saluja: चायोस के सह-संस्थापक नितिन सलूजा एक पॉडकास्ट में नजर आए. इसमें उन्होंने एक स्टोर शुरू करने से लेकर करोड़ों का चाय ब्रांड खड़ा करने का अनुभव के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने अपनी चुनौतियों के बारे में बात करते हुए बताया कि शुरुआत में उन्होंने एक साल तक स्टोर मैनेजर के रूप में काम किया और बिजनेस को समझने के लिए टेबल भी साफ की.
इस पॉडकास्ट में नितिन सलूजा को यह कहते हुए सुना जा सकता है, “मैंने स्टोर मैनेजर, ऑर्डर लेने वाले, इन्वेंट्री मैनेजर के रूप में स्टोर चलाया—वह सब कुछ किया, जो एक स्टोर मैनेजर करता है.”
अनुभव ने सिखाया मैनेजमेंट स्किल
नितिन सलूजा ने कहा कि उन्होंने एक साल तक सुबह 8:00 बजे से रात 11:00 बजे तक यही काम किया और इस तरह बिजनेस सीखा. उन्होंने आगे बताया कि वे ग्राहकों से बातचीत करते और ऑर्डर लेते थे, जिससे उन्हें ग्राहकों की खुशी और नराजगी को समझने में मदद मिली. जमीनी अनुभव ने उन्हें मैनेजमेंट स्किल सिखाया. ग्राहक जुड़ाव के माध्यम से उन्होंने जाना कि हर चाय पीने वाला संभावित कस्टमर नहीं होता.
2051 करोड़ रुपये की कंपनी खड़ी की
2051 करोड़ रुपये के ब्रांड के बारे में बात करते हुए, नितिन सलूजा ने कहा कि उन्होंने ग्राहकों के लिए साफ-सुथरा और फ्रेश इनवायरमेंट सुनिश्चित करने के लिए खुद टेबल साफ की. चायोस के सह-संस्थापक ने बताया कि उन्होंने यह सीखा कि “कैफे में अच्छी खुशबू बनाए रखने के लिए टेबल को सही तरीके से कैसे साफ किया जाए.”
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आईआईटी से पढ़ाई, अमेरिका में नौकरी
नितिन सलूजा ने आईआईटी बॉम्बे से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद अमेरिका की एक प्रतिष्ठित फर्म में कॉर्पोरेट मैनेजमेंट कंसल्टेंट के रूप में काम किया. जहां कई लोग अमेरिका में नौकरी करने का सपना देखते हैं, वहीं नितिन सलूजा ने चायोस नामक स्टार्टअप शुरू करने के लिए अपनी अमेरिकी नौकरी छोड़ दी.
उन्होंने अपनी बचत का एक हिस्सा लगाकर 2012 में गुरुग्राम में पहला कैफे खोला. नितिन सलूजा और उनकी पत्नी को चाय का बिजनेस शुरू करने का विचार आया, जिसके लिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ी और भारत वापस आ गए. दिलचस्प बात यह थी कि उनके पिता इस फैसले से सहमत नहीं थे, लेकिन नितिन सलूजा ने इसे एक सफल बिजनेस में बदल दिया.