ट्रंप के ‘टैरिफ डर’ से चीन छोड़ने लगीं कंपनियां, भारत के पास बड़ा मौका
ग्लोबल कंपनियां अपना प्रोडक्शन तेजी से चीन से बाहर लेकर जा रही हैं. इसके पीछे की बड़ी वजह अमेरिका के नए निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का चीन को लेकर सख्त रवैया है.
बढ़ती जियो-पॉलिटिकल अनिश्चितताओं के चलते दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में बदलाव देखने को मिल रहा है. अमेरिका और अन्य देशों की ग्लोबल कंपनियां अपना प्रोडक्शन तेजी से चीन से बाहर लेकर जा रही हैं. इसके पीछे की बड़ी वजह अमेरिका के नए निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का चीन को लेकर सख्त रवैया है. ट्रंप ने चीन से आयात पर 60 फीसदी टैरिफ लगाने की बात कही है, जिससे भारतीय उपमहाद्वीप कंपनियों के लिए टॉप डेस्टिनेशन बन गया है.
चीन पर से निर्भरता कम कर रही हैं कंपनियां
बेन एंड कंपनी की स्टडी अमेरिका और अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के 166 सीईओ और सीओओ की प्रतिक्रियाओं पर आधारित था. इनमें से 90 फीसदी 1 बिलियन डॉलर से अधिक रेवेन्यू वाले कारोबार का मैनेजमेंट संभालते हैं. स्टडी से संकेत मिलते हैं कि ज्यादातर कंपनियां चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहती हैं. इसमें कहा गया है कि चीन से ऑपरेशन को बाहर ले जाने वाली कंपनियों की हिस्सेदारी 2022 में 55 फीसदी से बढ़कर 2024 में 69 प्रतिशत हो गई.
करीब 39 फीसदी अधिकारियों ने कहा कि वे भारतीय उपमहाद्वीप की तरफ रुख कर रहे हैं. अन्य प्रमुख डेस्टिनेशन में अमेरिका और कनाडा (16 फीसदी), दक्षिण पूर्व एशिया (11 फीसदी), पश्चिमी यूरोप (10 फीसदी) और लैटिन अमेरिका (8 फीसदी) शामिल हैं.
जियो-पॉलिटिकल उथल-पुथल
स्टडी में यह भी सामने आया है कि ज्यादातर कंपनियां अपने घरेलू देशों में परिचालन को रीशोरिंग कर रही हैं या पड़ोसी देशों में नियर-शोरिंग कर रही हैं. रीशोरिंग के रुझानों में तेजी इस बात पर जोर डालती है कि कैसे जियो-पॉलिटिकल उथल-पुथल और कार्बन फुटप्रिंट के लिए दबाव के साथ ही सप्लाई चेन में अधिक लचीलापन लाने की कोशिश को बाधित कर दिया है. कोविड महामारी के बाद के लक्ष्य ने कम लागत वाले ऑफशोर मैन्युफैक्चरिंग हब के लिए पिछले कारोबारी तर्क को बाधित कर दिया है, जिससे कंपनियों का ऑपरेशन घरेलू मार्केट की तरफ झुक गया है.
चीन को लग सकता है बड़ा झटका
फॉर्च्यून की रिपोर्ट के अनुसार, अगर अमेरिका चीन पर हाई टैरिफ लगाता है, तो चीन की इकोनॉमी को तेज झटका लग सकता है. चीन की इकोनॉमी पहले से ही रियल एस्टेट क्रैश, कर्ज संकट और अपस्फीति की स्थिति से जूझ रही है. निर्यात चीन के प्रमुख आर्थिक इंजनों में से एक है. दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी से सस्ते निर्यात की बाढ़ के चलते अन्य देशों ने इस पर रोक लगाने की कोशिश कर रहे हैं. ट्रंप का प्रस्ताव भी इसी से प्रेरित है.
ट्रंप का ‘अमेरिका फर्स्ट’
अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने अपनी ‘अमेरिका फर्स्ट’ इकोनॉमी पॉलिसी के तहत बीजिंग पर टैरिफ लगाया था. इससे चीनी की फैक्ट्रियों पर निर्भरता का जोखिम सामने आ गया था. अपने दूसरे कार्यकाल में ट्रंप ने चीन पर कठोर शुल्क सहित सभी सेक्टरों में टैरिफ बढ़ाने की कसम खाई है. जून में एक रैली में उन्होंने कहा था कि हम बहुत सख्त होने जा रहे हैं और अगर कोई देश कॉपरेट नहीं करेगा, तो हम उस देश पर बहुत अधिक टैरिफ लगा देंगे.