14 महीने के टॉप पर महंगाई – अक्टूबर में बढ़कर 6.21%, सब्जियों ने बिगाड़ा बजट

Retail Inflation: खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक के टारगेट से ज्यादा हो गई है. RBI के अनुसार महंगाई दर 2%-6% के बीच रहे तो वह कंट्रोल में रह सकती है. लेकिन इस बार यह 6% के आंकड़े को भी पार कर गई है.

14 महीने के टॉप पर महंगाई - अक्टूबर में बढ़कर 6.21%, सब्जियों ने बिगाड़ा बजट Image Credit: GettyImages

पिछले कई महीनों से महंगाई में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है. खाने-पीने चीजें, सब्जियों की कीमतों में ज्यादा उछाल देखने को मिल रहा है. इसी के साथ अक्टूबर में भी महंगाई ने रिकॉर्ड तोड़ दिया. खुदरा महंगाई दर 14 महीने के उच्चतम स्तर पर है. अक्टूबर में महंगाई दर 6.21% बढ़ी है. इसका मतलब जो सामान 100 रुपये का था वो अब 106 रुपये का हो गया है. क्या है बढ़ती महंगाई की वजह? आगे क्या हो सकता है? चलिए आपको सारे आंकड़े बताते हैं.

महंगाई में तेजी

खुदरा महंगाई या कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स 6.21% बढ़ी है. यह रिजर्व बैंक के टारगेट से ज्यादा हो गई है. बता दें कि रिजर्व बैंक के अनुसार महंगाई दर 2% से 6% के बीच रहे तो वह कंट्रोल में रह सकती है. लेकिन इस बार यह 6% के आंकड़े को भी पार कर गई है. यानी महंगाई काफी ज्यादा हो गई है.

पिछले महीने सितंबर में महंगाई 5.49% थी, वहीं पिछले साल अक्टूबर में महंगाई दर 4.87% थी. यानी महंगाई में बड़ा उछाल आया है.

भारत के ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर 6.68% है, जो ज्यादा है. वहीं शहरी इलाकों में महंगाई दर 5.62% है. पिछले महीने ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर 5.87% रही और पिछले साल अक्टूबर में यह 5.12% रही यानी ग्रामीण इलाकों की महंगाई में तेज उछाल आया है.

खाने-पीने का सामान हुआ महंगा

महंगाई दर में खाने की चीजें या फूड इंफ्लेशन का हिस्सा लगभग 50% होता है:

  • अक्टूबर में खाने-पीने की चीजें 10.87% तक बढ़ गई, जबकि सितंबर में यह 9.24% थी.
  • ग्रामीण इलाकों में महंगाई 6.68% तक पहुंची जबकि शहरी इलाकों में यह दर 5.62% रही.
  • सब्जियों की महंगाई दर 42% है जो सितंबर में 36% थी.
  • फलों की महंगाई में 1% का उछाल आया है.
  • कपड़े और जूते-चप्पल की महंगाई में कोई बदलाव नहीं है, यह 2.70% है.
  • इसके अलावा आपको बाजार में प्याज-टमाटर के दामों का पता ही होगा जो 80 रुपये किलो से ज्यादा बिक रहे हैं.

बढ़ती महंगाई ब्याज दरों को हिला सकती है?

RBI हर दो महीने में ब्याज दरों की समीक्षा के लिए बैठक करती है. अक्टूबर में हुई बैठक में रिजर्व बैंक ने “न्यूट्रल” रुख अपनाया था, जिससे ब्याज दरों में कटौती की संभावना खुल गई थी, इसके बाद संकेत मिला कि दिसबंर में होने वाली बैठक में ब्याज दरों में कटौती होगी, EMI और लोन सस्ता होगा. हालांकि गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह भी साफ कर दिया था कि “न्यूट्रल रुख” का मतलब ब्याज दर में कटौती की तैयारी नहीं है. उन्होंने महंगाई के रिस्क को “घोड़े” की तरह समझाया, जिससे RBI जंग लड़ रहा है.

अक्टूबर के आंकड़े देख कर यही लगता है कि रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कोई कटौती की संभावना न के बराबर हो गई है. कुल मिलाकर देखें तो महंगाई दर में तेजी का बड़ा कारण खाने-पीने की चीजों में तेज उछाल है. RBI और सरकार दोनों ही इसे कंट्रोल करने के तरीकों पर विचार कर रही है.