ट्रंप के डिमांड का दिखा असर, फरवरी में अमेरिका से कच्चे तेल का आयात हुआ दोगुना, रूस से घटी सप्लाई

फरवरी में रूस से भारत का कच्चा तेल इंपोर्ट 25 फीसदी घट गया, जबकि अमेरिका से इंपोर्ट दोगुना हो गया.भारत ने अमेरिकी एनेर्जी खरीद 25 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने की योजना बनाई है. सऊदी अरब, इराक और अमेरिका से सप्लाई बढ़ी, जबकि रूसी तेल पर प्रतिबंधों का असर दिख रहा है. मार्च में अमेरिकी और रूसी तेल की सप्लाई भारत पहुंचेगी.

अमेरिका से इंपोर्ट दोगुना हो गया. Image Credit:

Crude Oil Imports: देश में अमेरिकी कच्चे तेल का इंपोर्ट फरवरी में दोगुना होकर 0.11 mbd से बढ़कर 0.2 mbd हो गया है. वहीं, रूस से इंपोर्ट में 25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. यह बदलाव अमेरिका द्वारा रूस के तेल पर लगाए गए प्रतिबंधों के कारण हुआ है. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात के बाद भारत ने अमेरिकी ऊर्जा खरीद को दो-तिहाई बढ़ाकर 25 बिलियन डॉलर तक ले जाने की योजना बनाई है.

अमेरिका से इंपोर्ट में बढ़ोतरी

फरवरी के पहले 20 दिनों में रूस से भारत के लिए 1.07 मिलियन बैरल प्रति दिन (mbd) कच्चा तेल लोड किया गया, जो जनवरी में 1.4 mbd था, यानी इसमें गिरावट आई है. वहीं, अमेरिका से भारत के लिए फरवरी में 0.2 mbd तेल लोड हुआ, जो जनवरी में 0.11 mbd था, यानी अमेरिकी तेल सप्लाई लगभग दोगुनी हो गई.

सऊदी अरब से इंपोर्ट भी बढ़ा, जहां जनवरी में 0.77 mbd था, वह फरवरी में 0.91 mbd हो गया. इसी तरह, इराक से तेल लोडिंग 0.8 mbd से बढ़कर 1.08 mbd तक पहुंच गई. दूसरी ओर, यूएई से भारत आने वाला कच्चा तेल जनवरी में 0.48 mbd था, जो फरवरी में घटकर 0.31 mbd रह गया.

रूस से गिरावट का असर

इकोनॉमिक्स टाइम के रिपोर्ट के मुताबिक, रूस से कम सप्लाई होने के कारण भारत मध्य पूर्व और अमेरिका से अधिक कच्चा तेल खरीद रहा है. अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से रूस का ESPO Blend लाइट स्वीट क्रूड प्रभावित हुआ है, जिसकी भरपाई अमेरिका कर रहा है.

ये भी पढ़ें- अडानी ग्रुप ने 58,104 करोड़ रुपये दिया टैक्स, हर दिन 159 करोड़, पिछले साल से 12 हजार करोड़ ज्यादा

तेल सप्लाई का ट्रांजिट समय

भारत में कच्चे तेल की सप्लाई का समय अलग-अलग स्रोतों पर निर्भर करता है. मध्य पूर्व से आने वाले टैंकरों को भारत पहुंचने में 6 से 12 दिन लगते हैं, जिससे यह सबसे तेज सप्लाई सोर्स बनता है. रूस से भारत तक कच्चे तेल के टैंकरों को पहुंचने में 25 से 30 दिन लगते हैं, जो दूरी और ट्रांसपोर्ट प्रोसेस के कारण अधिक समय लेता है. वहीं, अमेरिका से भारत आने वाले तेल टैंकरों को सबसे ज्यादा 45 दिन लगते हैं, जिससे अमेरिकी तेल इंपोर्ट की योजना पहले से बनानी पड़ती है. रूस और अमेरिका से फरवरी में लोड हुए टैंकर मार्च में भारत पहुंचेंगे, जिससे मार्च के इंपोर्ट आंकड़ों में बदलाव दिखेगा.

अमेरिका से तेल इंपोर्ट क्यों बढ़ रहा है?

भारत पर अमेरिका से एनेर्जी इंपोर्ट बढ़ाने का दबाव है. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बैठक के बाद, भारत ने अमेरिका से एनेर्जी इंपोर्ट को 25 बिलियन डॉलर तक बढ़ाने का निर्णय लिया है.