फिर बढ़ी महंगाई की टेंशन, Goldman Sachs ने की भविष्‍यवाणी; बताई वजह

गोल्डमैन सैक्स ने भविष्यवाणी की है कि अगले 6 महीनों में कच्चे तेल की कीमतें आसमान छूने लगेगी. इसने 2027 तक के अनुमान जारी किए हैं. फिलहाल कच्चे तेल की कीमतों में एक बार फिर बढ़ोतरी देखी गई है. जानें क्या है वजह?

कच्चे तेल की कीमतों में उछाल महंगाई का कारण बन सकती है. Image Credit: freepik

कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हमेशा महंगाई की टेंशन को बढ़ाती है. मंगलवार, 26 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल यानी क्रूड ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी देखी गई है. इसके अलावा Goldman Sachs ने अनुमान लगाया है कि 2024 में ब्रेंट क्रूड की औसत कीमत 80 डॉलर प्रति बैरल रह सकती है, भले ही तेल की सप्लाई में कमी आए या दुनियाभर में बढ़ रही अनिश्चितताएं बनी रहें. यह जानकारी रॉयटर्स ने दी है.

फिलहाल ब्रेंट क्रूड फ्यूचर्स 73.43 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है यानी 0.58 फीसदी की बढ़त हासिल हुई है. वहीं US WTI क्रूड फ्यूचर्स 69.39 डॉलर प्रति बैरल पर है यानी 0.65 फीसदी की बढ़त हासिल हुई है. भारत में MCX पर क्रूड ऑयल फ्यूचर्स 5,792 रुपये प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहे हैं, जो 0.28 फीसदी ज्यादा है.  

दुनिया में बढ़ती टेंशन के कारण बढ़ रही तेल की कीमत

पेट्रोलियम एक्सपोर्ट करने वाले देशों के संगठन OPEC+ दुनिया का लगभग आधा फीसदी कच्चा तेल बनाता है. यह समूह जनवरी 2025 के लिए उत्पादन बढ़ाने की योजना पर पुनर्विचार कर रहा है. चीन और वैश्विक मांग में सुस्ती और OPEC+ के अलावा उत्पादन बढ़ने से, उत्पादन कटौती को धीरे-धीरे हटाने की योजना पर असर पड़ा है.  

इसके अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मेक्सिको और कनाडा से आयात होने वाले सभी सामान पर 25% टैरिफ लगाने की योजना बनाई है. कनाडा से निर्यात होने वाले 4 मिलियन बैरल प्रतिदिन (bpd) कच्चे तेल का अधिकतर हिस्सा अमेरिका जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक, विश्लेषकों का मानना है कि कनाडाई तेल पर टैरिफ लगाना संभव नहीं है क्योंकि इसे आसानी से बदला नहीं जा सकता.

फिर, वेस्ट एशिया में संघर्ष जारी है. लेकिन अब तक सप्लाई बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं हुई है. रिपोर्ट के मुताबिक, विश्लेषकों का मानना है कि संघर्ष को लेकर सोमवार को हुई “सीजफायर” की खबर पर बाजार ने अधिक प्रतिक्रिया दी.  

Goldman Sachs की भविष्याणी

साल 2024 में ब्रेंट क्रूड की कीमत 70-85 डॉलर प्रति बैरल के बीच रहने का अनुमान है. अगर ईरान पर कड़े प्रतिबंधों के कारण सप्लाई 10 लाख बैरल/दिन कम हो जाती है, तो 2025 की पहली छमाही में ब्रेंट 85 डॉलर तक जा सकता है.  

साल 2025 का औसत अनुमान 76 डॉलर प्रति बैरल है. साल 2026 का औसत अनुमान 71 डॉलर प्रति बैरल है.

Goldman का मानना है कि अगले दशक तक तेल की मांग बढ़ती रहेगी. इसका मुख्य कारण GDP ग्रोथ, कुल ऊर्जा मांग में वृद्धि और हवाई यात्रा और पेट्रोकेमिकल उत्पादों को डिकार्बनाइज करने की चुनौतियां रहेंगी.