जब रिलायंस को तबाह करने वाले थे “बियर”, जानें धीरूभाई ने कैसे बचाया, क्या था ‘कलकत्ता चैप्टर’?
रिलांयस इंडस्ट्रीज को आज कौन नहीं जानता है. भारत की प्राइवेट कंपनियों की सूची में रिलायंस का नाम काफी ऊपर है. कंपनी की शुरुआत धीरूभाई अंबानी ने की थी, उसके बाद कंपनी पर कई तरह के मुश्किलें आई उन्हीं में से एक कोलकाता स्टोरी भी है. आइए बताते हैं उसके बारे में.
भारत की सबसे बड़ी प्राइवेट कंपनियों में से एक रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड है. कंपनी का पोर्टफोलियो काफी ज्यादा डाइवर्स है. इस विविधता का श्रेय कंपनी के फाउंडर धीरूभाई अंबानी को जाता है. 28 दिसंबर, 1932 को जन्मे धीरूभाई अंबानी ने जब बिजनेस की दुनिया में कदम रखा था तब उनके पास न कोई पुश्तैनी संपत्ति थी और न ही बैंक बैलेंस.
लेकिन अपनी कड़ी मेहनत से उन्होंने इन तमाम चुनौतियों को पार किया और बना डाला रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड. धीरूभाई अंबानी की कहानी में कोलकाता का एक अहम जिक्र है जो अक्सर किया जाता है. धीरूभाई अंबानी के जन्मदिवस के मौके पर आज हम आपको वहीं किस्सा सुनाएंगे जिसने शेयर मार्केट के पूरे खेल को बदल कर रख दिया था.
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड का IPO
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने साल 1977 में अपना इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) जारी किया था. इश्यू को निवेशकों की ओर से खूब सपोर्ट मिला था जिसका असर ये हुआ कि आईपीओ को 7 गुना सब्सक्राइब कर दिया गया. इसी आईपीओ ने भारत के इक्विटी कल्चर की शुरुआत की थी. उस वक्त कंपनी ने 10 रुपये प्रति शेयर के 28 लाख इक्विटी शेयर जारी किए थे. आईपीओ के बाद से कंपनी के शेयरों की कीमत में लगातार बढ़ोतरी होती गई. लिस्टिंग के पहले साल यानी 1978 में ही रिलायंस के प्रति शेयर की कीमत 50 रुपये पर पहुंच गई थी.
80 का दशक और रिलायंस के शेयर
1980 आते-आते प्रति शेयर की कीमत 104 रुपये पर पहुंच गई. फिर आता है 18 मार्च 1982 का दिन. उस वक्त तक कंपनी के एक शेयर को खरीदने के लिए निवेशकों को 132 रुपये खर्च करना पड़ता था. लेकिन कुछ लोग जिनका ताल्लुक कोलकाता (पूर्व में कलकत्ता) था, को यह गवारा नहीं था. उन्होंने अपनी बुद्धि चलाई और रिलायंस के शेयर को गिराना शुरू कर दिया.
इन लोगों की मंशा साफ थी, वह रिलायंस के शेयर को गिराकर दोबारा खरीदना चाहते थे ताकि बाद में बिक्री कर के वह अधिक मुनाफा कमा सकें. एक्सचेंज की भाषा में उन्हें बियर कहा जाता है. वहीं इसके विपरीत, जो लोग शेयर खरीद कर उनके दाम बढ़ाते हैं फिर उसे ऊंची कीमत में बेचकर प्रॉफिट कमाते हैं उन्हें बुल कहा जाता है.
131 का शेयर 121 पर
हैमिश मैकडोनाल्ड अपनी किताब अंबानी एंड संस में लिखते हैं, उस दिन भी ऐसा ही हुआ. कुछ लोगों ने वायदा कारोबार के इस्तेमाल से इस खरीद बिक्री को अंजाम दिया है. इसके कारण 18 मार्च को बाजार खुलते ही रिलायंस के शेयर 131 रुपये से गिरकर 121 रुपये प्रति शेयर हो गए. दलालों को उम्मीद थी कि डूबते हुए शेयरों में कोई निवेशक अपना हाथ नहीं लगाएगा. जिसके बाद निवेशकों के बीच टेंशन बढ़ेगी और शेयर का भाव और गिर जाएगा. लेकिन उन लोगों को मालूम नहीं था कि जिस कंपनी के शेयरों के साथ वह ये दांव खेल रहे थे उसके मालिक का नाम धीरूभाई अंबानी है.
बुल और बियर की लड़ाई
धीरूभाई को जब खबर मिली कि उनके शेयर गिर रहे हैं, उन्होंने तुरंत अपने ‘बुल’ दलालों से कांटेक्ट किया. उसके बाद शेयरों की ये लड़ाई शुरू हुई. एक ओर कलकत्ता में बैठे बियर शेयर बेच रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ धीरूभाई के बुल उन्हें खरीद रहे हैं. उस दिन बाजार बंद होने तक, बियर्स ने रिलायंस के शेयर 3,50,000 शेयर बेच दिए थे जिसके कारण कंपनी के शेयर की कीमत 131 रुपये से गिरकर 121 रुपये पर आ गई.
अगले दिन भी दोनों के बीच ये रस्साकस्सी चलती रही. धीरूभाई इस लड़ाई में जीतना नहीं चाहते थे, वह बस वायदा कारोबारी की अवधि तक शेयर के दाम में ज्यादा गिरावट नहीं आने देने चाहते थे.
घुटने पर आए दलाल
कुछ दिनों की तनातनी के बाद जब खेल खत्म हुआ तब तक शुक्रवार आ चुका था. कोलकाता में बैठे दलालों की नींद उड़ने वाली थी. उन्हें उम्मीद थी कि 131 में बेच गए शेयरों की खरीदी वह कम कीमत खरीद लेंगे लेकिन शुक्रवार तक शेयर की कीमत 131 से भी ऊपर चले गए थे. इस खबर के बाद कोलकाता के दलालों की हालत खराब हो गई. उन्होंने बुल्स से समय मांगा लेकिन धीरूभाई ने इंकार कर दिया. लिहाजा,
अगले 3 दिनों तक जिस कीमत पर रिलायंस के शेयर उपलब्ध थे, उन्हें खरीद लिए गए. रिलायंस के निवेशकों को उस दौरान खूब मुनाफा हुआ. ये कहानी थी धीरूभाई अंबानी की, जिन्होंने अपनी समझ से शेयर मार्केट के बुल और बियर के खेल को अपने हिसाब से बदल दिया.
कौन है इसके पीछे?
रिलायंस और धीरूभाई अंबानी के साथ ये कलकत्ता चैप्टर हमेशा के लिए जुड़ गया था. उस वक्त ये मामला इतना बढ़ा था कि ससंद के गलियारों में भी इसकी चर्चा होने लगी थी. सबके जुबान पर एक ही सवाल कि आखिर कलकत्ता का ये बियर है कौन? आखिर शेयर मार्केट के इस खेल को अंजाम किसने दिया था. आज तक इसकी जानकारी नहीं मिली. जब भी इस मामले पर बात होती है एक नाम निकल कर आता है ‘शाह’. अब ये शाह कौन है, कहां है इसकी कोई खबर नहीं है.