खतरे में डॉलर का रसूख, 6 महीने के निचले स्तर पर इंडेक्स; इस डर से धड़ाधड़ बिक रही दिग्गज करेंसी

Dollar Index अपने छह महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं पर टैरिफ की छूट स्थायी नहीं लगती है. निवेशकों को लगता है कि टेक सेक्टर को मिली राहत अस्थायी हो सकती है, जिससे डॉलर की कीमत में गिरावट आई है.

डॉलर इंडेक्स में बड़ी गिरावट Image Credit: Money9live/Canva

Dollar Index at all time Low: डॉलर की वैल्यू लगातार पांचवें दिन गिरी है. इसके बाद डॉलर इंडेक्स अपने 6 महीने के निचले स्तर पर आ गया है. इसकी वजह है डोनाल्ड ट्रंप. हालांकि उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक आईटम को रेसिप्रोकल टैरिफ से राहत दे दी है. लेकिन फिर भी निवेशकों को ये स्थायी समाधान नहीं लगता और उन्हें लगता है कि टेक सेक्टर को मिली राहत अस्थायी हो सकती है. इसलिए निवेशकों ने डॉलर बेचना जारी रखा जिसकी वजह से इसकी कीमत में गिरावट आई है.

डॉलर की ताकत को मापने वाला Bloomberg Dollar Spot Index 0.2 फीसदी गिरा. एशियाई ट्रेडिंग के शुरुआती घंटों में ये अक्टूबर के बाद से सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था. इस साल अब तक ये इंडेक्स करीब 6% गिर चुका है, जिसकी वजह है अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते ट्रेड टेंशन, अमेरिका की नीतियों को लेकर अनिश्चितता और इकॉनमिक ग्रोथ को लेकर चिंता.

डॉलर की गिरावट उस समय और तेज हो गई जब ट्रंप ने रविवार को कहा कि वो अभी भी फोन, कंप्यूटर और बाकी पॉपुलर इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स पर टैरिफ लगाएंगे. उन्होंने पहले जो “छूट” दी थी, उसे बस एक औपचारिक कदम बताया. उनके शब्द थे “कोई भी इस टैरिफ से नहीं बचेगा.”

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क्या है डॉलर इंडेक्स?

डॉलर इंडेक्स दरअसल अमेरिकी डॉलर की ताकत को दर्शाने वाला एक इंडेक्स है. ये दिखाता है कि डॉलर बाकी छह प्रमुख करेंसीज के मुकाबले कितना मजबूत या कमजोर है. ये छह करेंसीज हैं:

  • यूरो
  • ब्रिटिश पाउंड
  • जापानी येन
  • कैनेडियन डॉलर
  • स्वीडिश क्रोना
  • स्विस फ्रैंक

पहले इस इंडेक्स में 10 करेंसीज होती थीं, लेकिन जब यूरो आया, तो फ्रेंच फ्रैंक, वेस्ट जर्मनी का डॉयच मार्क, इटली की लीरा, डच गिल्डर और बेल्जियन फ्रैंक को हटा दिया गया और उनकी जगह यूरो ने ले ली है. ये इंडेक्स मार्च 1973 में शुरू हुआ था और इसकी शुरुआत 100 के वैल्यू से हुई थी.