Trump 2.0: भारत को नेक्स्ट लेवल डिफेंस डील की उम्मीद, ट्रंप-मोदी की दोस्ती कितना आएगी काम
Donald Trump के आने से भारत और अमेरिका के बीच रक्षा संबंध मजबूत हो सकते हैं. लेकिन कीमत, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, और डेडलाइन जैसी चुनौतियां बनी हुई हैं. ट्रंप प्रशासन के दौरान इन सौदों को बल मिला था लेकिन कुछ फाइनल नहीं हो पाया था. इस बार अगर ये डील होती है तो भारत की मिलिट्री क्षमता बढ़ेगी.
USA India Defence Relation: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप का नए राष्ट्रपति के रूप में आगाज हो चुका है. और भारत और अमेरिका के रिश्ते कैसे बनेंगे इस पर सबकी नजर है. खास तौर से उन रक्षा सौदों पर नजर रहेगी, जो अभी तक पूरी तरह से परवान नहीं चढ़ पाए हैं. भारत जहां नई ट्रंप सरकार से टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और कीमतों को अनुकूल बनाने पर जोर देगा. वहीं ट्रंप भी भारत से सख्ती से मोल-भाव की कोशिश करेंगे. ऐसे में कुछ ऐसे अहम सौदे हैं, जो अगर रफ्तार पकड़ते हैं तो उससे भारत की रक्षा क्षमता को बड़ा बूस्ट मिलेगा.
पिछले कार्यकाल में नहीं शुरू हुआ बड़ा प्रोजेक्ट
ट्रंप ने अपने पिछले कार्यकाल के दौरान, भारत और अमेरिका ने रक्षा और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने का भले ही वादा किया था. जिसका उद्देश्य मिलिट्री सिस्टम पर साथ मिलकर काम करना था. लेकिन इस दिशा में कुछ बड़ी प्रगति नहीं हुई है, और कोई बड़ा प्रोजेक्ट शुरू नहीं हो पाया है.
लड़ाकू विमान इंजन की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, पहली चुनौती होगी यह सुनिश्चित करना कि लड़ाकू विमान इंजनों की टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और भारत में प्रोडक्शन का सौदा आगे बढ़े. भारत और अमेरिका के बीच GE414 इंजनों का 80% टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ लोकल प्रोडक्शन का समझौता हुआ था. हालांकि हाल के हफ्तों में यह सामने आया है कि कीमत को लेकर विवाद पैदा हो गया है.
जब सौदा पिछले साल हुआ था, तब पहले 99 इंजनों के प्रोडक्शन के लिए अनुमानित कीमत $1 अरब थी. लेकिन अब यह आंकड़ा $1.5 अरब तक बढ़ सकता है.
बता दें कि भारत को इन इंजनों की 200 से अधिक यूनिट्स की जरूरत है, इसलिए कीमत पर फिर से बातचीत हो सकती है. हालांकि, सौदे को अगले तीन महीनों में फाइनल करना जरूरी है.
114 लड़ाकू विमानों की खरीद
इसके अलावा भारतीय वायु सेना को 114 मीडियम रोल फाइटर एयरक्राफ्ट की तत्काल जरूरत है. रक्षा मंत्रालय की एक विशेष समिति इस जरूरत की समीक्षा कर रही है. यह सौदा लोकल प्रोडक्शन और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ होगा. इसकी अनुमानित लागत $20 अरब हो सकती है. अमेरिकी कंपनियां Boeing और Lockheed Martin, भारतीय साझेदारों के साथ मिलकर इस टेंडर के लिए तैयार हैं.
मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट की जरूरत
भारतीय वायु सेना को मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट की जरूरत है, और यह परियोजना भी अमेरिका की दिलचस्पी का केंद्र है. इसकी अनुमानित लागत $5 अरब हो सकती है. यह सौदा 80 से ज्यादा मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के भारत में उत्पादन और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के साथ होगा. इसके लिए प्रमुख दावेदार Lockheed Martin (अमेरिका) हैं, लेकिन इसे ब्राजील और यूरोपीय कंपनियों से कड़ी टक्कर मिलेगी.