एक बार फिर ट्रंप सरकार, जानें भारत को कहां फायदा-कहां नुकसान

ट्रंप जब 47 वें अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में अपना कार्यभार संभालेंगे, तो उनकी नीतियों में अंमेरिका फर्स्ट सोच हावी रहेगी. ऐसे में भारत को टैरिफ और आईटी कंपनियों के फ्रंट पर बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है.

भारत-अमेरिका की दोस्ती किस ओर Image Credit: Money9live

Donald Trump Win And Impact on India: चार साल बाद डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर वापसी कर ली है। 78 साल के ट्रंप अपने तीखे बयानों और राष्ट्रवादी विचारों के लिए हमेशा से चर्चित रहे हैं। वह विपक्ष में रहते हुए अमेरिका फर्स्ट की बात करते रहे हैं। और इसके लिए वह कुछ भी करने का दावा करते हैं। यही नहीं इस छवि को बरकार रखने के लिए अपने अहम दोस्तों में से एक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों को लेकर भारत को भी आड़े हाथों लेते रहे हैं। वह कई बार चुनाव अभियान में यह खुले मंच से कह चुके हैं कि भारत बहुत ज्यादा टैरिफ लगाता है। यानी भारत जो वस्तुएं आयात करता है, वह अमेरिकियों को नुकसान पहुंचा रहा है।

इसी तरह उनका यह भी आरोप है कि भारतीय आईटी कंपनियां,अमेरिकी लोगों की नौकरियां खा रही है. साफ है कि ट्रंप जब 47 वें अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में अपना कार्यभार संभालेंगे, तो उनकी नीतियों में उनकी यह सोच हावी रहेगी. ऐसे में भारत को टैरिफ और आईटी कंपनियों के फ्रंट पर बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन दूसरी तरह ट्रंप चीन के धुर विरोधी हैं. इसे देखते हुए आने वाले समय में ट्रंप चीन के बिजनेस को चोट पहुंचाने के लिए कई सख्त फैसले ले सकते हैं. और अगर ऐसा होता है तो इसका सीधा फायदा भारत को मिलने की संभावना है. यानी कई क्षेत्र में मेक इन इंडिया को बूस्ट मिल सकता है.

चीन के धुर विरोधी, भारत को फायदा

ट्रंप चीन के धुर विरोधी हैं। और वह अपने पहले कार्यकाल में चीन के साथ ट्रेड वॉर छेड़ चुके हैं। इस बार भी वह बार-बार चीन पर आरोप लगाते रहे हैं कि वह अमेरिकी उत्पादों पर बहुत ज्यादा टैरिफ लगाता है। इस रुख को देखते हुए एक बार फिर टैरिफ वॉर छिड़ सकती है। साथ ही वह चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए सप्लाई चेन में भी अहम बदलाव कर सकते हैं। वह तो यहां तक कह चुके हैं कि वह चीन के मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा भी छीन लेंगे। साथ ही चीन के प्रोडक्ट पर 60 फीसदी टैरिफ लगाएंगे। ऐसे में चीन से विरोध का फायदा भारत को मिल सकता है। कई कंपनियां चीन से शिफ्ट होकर भारत आ सकती है। साथ ही ट्रेड वॉर से भी कई भारतीय कंपनियों को फायदा मिल सकता है। जैसे कि सोलर सेक्टर में इस समय मिल रहा है। इसी तरह केमिकल, पेट्रोलियम और डिफेंस सेक्टर को भी तगड़ा बूस्ट मिल सकता है।

भारत पर क्या आरोप लगाते हैं ट्रंप

ट्रंप भारत की टैरिफि पॉलिसी को लेकर पिछले कई वर्षों से सवाल उठाते रहे हैं. मई 2019 में वो भारत को टैरिफ किंग कह चुके हैं . वह कई बार हार्ले डेविडसन का हवाला दे चुके हैं, इसी तरह अपने पहले कार्यकाल में उन्होंने भारतीय स्टील और एल्युमिनियम प्रोडक्ट पर इंपोर्ट ड्यूटी भी बढ़ा दिया था. चुनावी अभियान के दौरान ट्रंप ने एक भाषण में कहा था ‘ भारत के साथ हमारे बहुत अच्छे रिश्ते हैं.खासकर नरेंद्र मोदी से.उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है. लेकिन वे शायद उतना ही शुल्क लेते हैं. मेरा मतलब है कि वे शायद कई मायनों में चीन से अधिक शुल्क लेते हैं. सबसे बड़ा चार्ज लगाने वाला देश भारत है.’ असल में ट्रंप चाहते हैं कि कोई भी देश अगर अमेरिका से आयात करें तो उन प्रोडक्ट पर 20 फीसदी तक ही टैरिफ लगाए.

ये भी पढ़ें, ट्रंप की जीत से मस्क की लगेगी लॉटरी

टैरिफ सख्ती से क्या भारत में बढ़ेगी महंगाई

अगर ट्रंप भारत के टैरिफ को लेकर कोई सख्त कदम उठाते हैं, तो उससे भारत का निर्यात महंगा हो सकता है, ऐसे में भारत में महंगाई बढ़ सकती है और इसकी वजह से आरबीआई के लिए कर्ज सस्ता करना मुश्किल हो सकता है. इसी तरह निर्यात महंगा होने से भारतीय कारोबारियों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपने उत्पादों को प्रतिस्पर्धी बनाए रखना भी चुनौतीपूर्ण होगा.ऐसा अनुमान है कि इसकी वजह से 2028 तक भारत की जीडीपी में 0.1 फ़ीसदी तक की गिरावट आ सकती है. अभी अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है.

वीजा नियमों में हो सकती है सख्ती

ट्रंप के चुनावी अभियान में प्रवासियों के लिए लेकर भी काफी मुखर थे. उन्होंने अवैध प्रवासियों को वापस उनके देश भेजने का वादा किया है. साथ ही वह यह भी कहते हैं प्रवासी अमेरिका के लोगों की नौकरियां खा रहे हैं. इस समय अमेरिका में 4 फीसदी बेरोजगारी दर पहुंच चुकी है. ऐसे में यह चुनाव में एक बड़ा मुद्दा बना था.अमेरिका में टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो जैसी प्रमुख दिग्गज भारतीय आईटी कंपनियों का बड़ा बिजनेस है. और भारतीय प्रोफेशनल्स वहां एच- 1 बी वीजा लेकर काम करते हैं. ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल एच -1बी वीजा नियमों पर सख्ती की थी और इसका असर भारतीय पेशेवरों और टेक्नोलॉजी कंपनियों पर पड़ा था. ऐसे में दूसरे कार्यकाल में वीजा नियम सख्त हुए भारतीयों के लिए अमेरिका में नौकरियों के अवसर कम होंगे. इसका असर यह भी हो सकता है भारतीय आईटी कंपनियां नए बाजार तलाशें.

डॉलर मजबूत होगा !

ट्रंप पूरी तरह से संरक्षणवादी नीति को लेकर चल रहे हैं. साथ ही अमेरिकी कंपनियों को राहत पैकेज देने की बात भी कर रहे हैं. ऐसे में डॉलर मजबूत हो सकता है. जिसका भारतीय इकोनॉमी पर निगेटिव असर हो सकता है. क्योंकि भारतीय इकोनॉमी आयात आधारित है.ऐसे में आयात महंगा होगा और महंगाई पर दबाव पड़ेगा. वहीं ऐसा अनुमान है चीन ट्रंप की सख्ती की आशंका को देखते हुए राहत पैकेज का जल्द ऐलान कर सकता है. ऐसा होता है तो विदेशी निवेशक चीन और अमेरिका का रुख कर सकते हैं. जिसका भारतीय शेयर बाजार पर दिख सकता है. इसी तरह ट्रंप के पहले कार्यकाल में जिस तरह नीतियों को लेकर अनिश्चितता थी, उसे देखते हुए शेयर बाजारों में भी उतार-चढ़ाव का दौर दिख सकता है.