कौन है मुजफ्फरनगर का ‘क्रिकेट नवाब’ जो दुबई से कर रहा करोड़ों की ठगी, ED की जांच रिपोर्ट से दंग रह जाएंगे आप
भारत में एक बड़े निवेश घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें एक विदेशी कनेक्शन भी सामने आया है. यह घोटाला एक नई फाइनेंशियल स्कीम के जरिए अंजाम दिया गया, जहां निवेशकों को भारी रिटर्न का झांसा दिया गया. जांच एजेंसियां चौकन्नी हो गई हैं.
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भारत में एक बड़े निवेश घोटाले का हाल ही में पर्दाफाश हुआ है, जिसकी रकम 500-600 करोड़ रुपये आंकी जा रही है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच में इस घोटाले के पीछे दुबई के एक वेंचर कैपिटलिस्ट का नाम सामने आया है, जो अबू धाबी टी10 क्रिकेट लीग की एक टीम का मालिक भी है. आरोपी का नाम है लविश चौधरी. लविश उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर का निवासी है. लविश के टीम का नाम ‘UP नवाब’ है. ऐसे में पूरे घोटाले के इस तथाकथित मास्टरमाइंड को ‘नवाब’ नाम से भी जाना जाता है.
कैसे हुआ घोटाले का पर्दाफाश?
साल 2023 में जब एक निवेश योजना को लेकर धाखाधड़ी का केस दर्ज हुआ था उस मामले के जांच के दौरान नए घोटाले से परते हटने लगीं. हिमाचल प्रदेश पुलिस ने अपनी जांच में पाया कि यह एक मल्टी-लेवल मार्केटिंग (MLM) स्कीम थी, जिसे “Botbro” नाम से चलाया जा रहा था. इस स्कीम के तहत निवेशकों को दावा किया गया था कि उनकी रकम को AI-आधारित फॉरेक्स ट्रेडिंग के जरिए 5 फीसदी मासिक रिटर्न के साथ बढ़ाया जाएगा.
इसके बाद, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग ऐंगल से जांच शुरू की और पाया कि दिल्ली, नोएडा, रोहतक (हरियाणा) और शामली (उत्तर प्रदेश) में स्थित कई शेल कंपनियों के खातों का इस्तेमाल इस घोटाले में किया गया था. ED ने अपनी जांच के दौरान करीब 30 बैंक खातों को ट्रैक किया, जिनमें निवेशकों के पैसे डाले जाते थे. इनमें NPay Box Private Limited, Capter Money Solutions Private Limited और Tiger Digital Services Private Limited जैसी कंपनियां शामिल थीं. आश्चर्य कि बात ये थी की ये सभी कंपनियां केवल कागजों पर मौजूद थीं और इनका कोई वास्तविक कारोबार नहीं था.
जांच के दौरान, एजेंसी ने इन खातों में जमा 170 करोड़ रुपये की राशि फ्रीज कर दी. इसके अलावा, छापेमारी के दौरान 90 लाख रुपये की नकदी भी बरामद हुई. कई अहम दस्तावेज और डिजिटल डिवाइसेज भी जब्त की गईं, जिनसे इस घोटाले की जड़ तक पहुंचने में मदद मिलेगी.
कैसे काम करता था यह निवेश घोटाला?
ED की जांच में सामने आया कि यह घोटाला पिरामिड स्कीम के रूप में काम कर रहा था. निवेशकों को हर महीने 5% तक का रिटर्न देने का वादा किया जाता था और जो लोग नए निवेशकों को जोड़ते थे उन्हें कमीशन मिलता था. इस स्कीम का ऑपरेशन हिमाचल प्रदेश के मंडी, धर्मशाला और ऊना जिलों, पंजाब के मोहाली, ज़ीरकपुर और लुधियाना, हरियाणा के पानीपत, चंडीगढ़ और गुजरात के कुछ हिस्सों में किया जा रहा था.
The Print के रिपोर्ट के मुताबिक, शुरुआत में इस स्कीम का नाम QFX Trade था लेकिन जब पुलिस की जांच आगे बढ़ी, तो तथाकथित मास्टरमाइंड लविश चौधरी ने नया खेल कर दिया. पुलिस के शिकंजे से बचने और अपने कारोबार को रफ्तार देने के लिए कंपनी का नाम बदलकर Yorker FX (YFX) के नाम से फिर से लॉन्च कर दिया. इसका तरीका भी वही रहा निवेशकों को ऊंचे रिटर्न का लालच देकर फंसाना.
भागे हुए आरोपी और विदेशी कनेक्शन
रिपोर्ट के मुताबिक, इस घोटाले से जुड़े तीन मुख्य आरोपी फरार हैं. इनमें राजेंद्र सूद, विनीत कुमार और संतोष शर्मा का नाम शामिल है. हिमाचल प्रदेश पुलिस ने सूद की पत्नी नीतू देवी को गिरफ्तार किया था, क्योंकि वह शेल कंपनियों की निदेशक थीं और घोटाले से उनको मुनाफा हुआ था.
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि तथाकथित मुख्य आरोपी लविश चौधरी भारत से फरार हो चुका है और दुबई में बैठकर इस घोटाले को ऑपरेट कर रहा है. रिपोर्ट में बताया गया है कि लविश अपने एजेंटों और निवेशकों को दुबई, थाईलैंड और भारत में महंगे आयोजनों में आमंत्रित करता था और उन्हें महंगी SUVs तक गिफ्ट करता था. इस ट्रीटमेंट से वह और अधिक निवेशकों को जुड़ने के लिए लालच देने में अक्सर सफर रहा.
क्रिप्टोकरेंसी के जरिए निवेशकों को धोखा
ED ने खुलासा किया कि निवेशकों के पैसे कैश या बेनामी खातों में जमा कराए जाते थे. लेकिन रिटर्न के रूप में उन्हें एक नई क्रिप्टोकरेंसी “TLC 2.0 Coin” दी जा रही थी जो अभी तक लॉन्च भी नहीं हुई है. यह क्रिप्टोकरेंसी मार्च 2027 में लॉन्च होने की योजना में है यानी निवेशकों का पैसा तब तक के लिए फंस गया है. इस घोटाले में शामिल कई निवेशक इस बात से अनजान थे कि उनका पैसा नकद या किसी फर्जी डिजिटल मुद्रा में बदल दिया गया है.
यह भी पढ़ें: सामने आया घोटालेबाज का नाम जिसने न्यू इंडिया बैंक के कस्टमर को लगाया चुना; ₹122 करोड़ गबन का आरोप
आगे की जांच
ED ने इस मामले में जांच का दायरा बढ़ा दिया है और अन्य एजेंटों व कंपनियों की भूमिका की भी पड़ताल की जा रही है. साथ ही, इस मामले में हवाला नेटवर्क की भी जांच हो रही है. अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही इस घोटाले से जुड़े और भी नाम सामने आ सकते हैं और इसमें शामिल फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए इंटरपोल से मदद ली जा सकती है.
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