Economic Survey 2025: मुख्य आर्थिक सलाहकार बोले ‘डीरेगुलेशन से रिफॉर्म’ की राह पर बढ़ना होगा

Economic Survey 2025 को लेकर भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने प्रेस वार्ता की. Chief Economic Advisor ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को यहां से आगे बढ़ाने के लिए 'डीरेगुलेशन से रिफॉर्म' के रास्ते पर ले जाना होगा.

भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार Image Credit: Money9live

Economic Survey 2024-25 को लेकर Chief Economic Advisor (CEA) वी अनंत नागेश्वरन ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इस दौरान उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को मौजूदा स्तर से आगे बढ़ाने के लिए ‘डीरेगुलेशन से रिफॉर्म’ की राह पर बढ़ना होगा. इसके बारे में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में विस्तार से बताया गया है. इस दौरान उन्होंने आर्थिक सर्वेक्षण पर एक ओवरव्यू पेश करते हुए बताया कि किस तरह से बदलते हुए ग्लोबल लैंडस्केप में भारती अर्थव्यवस्था स्थिर बनी रही.

ग्लोबल लैंडस्केप में आ रहे बदलावों को लेकर CEA V. Anantha Nageswaran ने कहा कि 1980 से 2008 के दौरान दुनिया में हायपर ग्लोबलाइजेशन का दौर रहा. इस दौरान दुनियाभर में निर्यात बढ़ा, जिसकी वजह से तमाम देशों की जीडीपी में भी तेजी से बढ़ोतरी हुई. दुनिया का निर्यात 1980 में 15.7 फीसदी से 2008 में बढ़कर 24.6 फीसदी पहुंच गया. इसके साथ ही इस दौरान दुनिया की जीडीपी 11 लाख करोड़ डॉलर से बढ़कर 64 लाख करोड़ डॉलर बढ़ गई.

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हाइपर ग्लोबलाइजेशन की वजह से दुनिया में चरम गरीबी में तेजी से कमी आई, क्योंकि दुनिया की दौलत का तेजी से रिडिस्ट्रिब्यूशन हुआ. इसका नतीजा यह हुआ कि एक्सट्रीम पॉवर्टी 44 फीसदी से घटकर 18 फीसदी रह गई. इसके साथ ही इस दौर में इंटरनेट का भी विस्तार हुआ. 1980 में यह 0 फीसदी था, 2008 में यह बढ़कर 23 फीसदी हो गया. इसके साथ ही इस दौरान ग्लोबल FDI Inflow भी 0.5 फीसदी से बढ़कर 3.75 फीसदी पहुंच गया.

खत्म हुआ Hyper Globalization का दौर

CEA वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि हायपर ग्लोबलाइजेशन का दौर अब खत्म हो चुका है. भले ही इस मामले में दुनिया में तेजी से रिवर्सल नहीं हो रहा है, लेकिन निश्चित रूप से आगे नहीं बढ़ रहे हैं, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि हायपर ग्लोबलाइजेशन का दौर अब खत्म हो चुका है. टैरिफ बढ़ रहे हैं, इंपोर्ट प्रतिबंध बढ़ रहे हैं. इसके साथ ही बड़ी आर्थिक ताकतें अपनी इकोनॉमी को घरेलू प्राथमिकताओं के लिहाज से रिकैलिब्रेट कर रही हैं.

बढ़ते जा रहे प्रतिबंध

सीईए नागेश्वरन ने कहा कि 2009 से 2019 के दौरान जहां तमाम देशों ने आपस में 3,064 आर्थिक प्रतिबंध लगाए, वहीं, 2019 से 2023-24 के दौरान इनकी तादाद बढ़कर 5,026 हो गई है. इनमें से सबसे ज्यादा 1248 प्रतिबंध रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के चलते लगाए हैं. इन प्रतिबंधों की वजह से करीब 1.3 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा का व्यापार प्रभावित हुआ है.

FDI में आई भारी कमी

सीईए नागेश्वरन ने हायपर ग्लोबलाइजेशन के खत्म होने के संकेतों के बारे में बताते हुए कहा कि सबसे बड़ा संकेत ग्लोबल जीडीपी के अनुपात में होने वाला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) का घटना है. हायपर ग्लोबलाइजेशन के पीक यानी 2003-2009 के दौरान जहां ग्लोबल जीडीपी का 5 फीसदी से ज्यादा FDI इनफ्लो था. वह अब घटकर 1 फीसदी से भी कम हो गया है. इसके साथ ही ग्लोबल एक्सपोर्ट-इंपोर्ट ट्रैंड भी एक डाउनसाइड शिफ्ट हो रहा. ग्लोबलाइजेशन के पीक पर ग्लोबल जीडीपी का 24 फीसदी जितना एक्सपोर्ट था, जो अब घटकर 22 फीसदी से कम रह गया है.

चीन को मिला फायदा

नागेश्वरन ने कहा कि ग्लोबलाइजेशन का सबसे बड़ा फायदा चीन को मिला. इसकी वजह से चीन दुनिया का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरर बन गया. इस मामले में चीन और दुनिया के दूसरे देशों में इतना बड़ा फासला आ गया कि अकेला चीन अगले 10 देशों के कुल आउटपुट से ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग करता है. चीन इस स्थिति का फायदा पिछले 25-30 साल से उठा रहा है.

कैसे बनेगा विकसित भारत

सीईए नागेश्वरन ने विकसित भारत के लक्ष्य को हासिल करने के रोडमैप पर बात करते हुए कहा कि भारत इसे चीन की राह पर चलकर हासिल नहीं कर सकता है, क्योंकि अब गेम पूरी तरह बदल चुका है. भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने का लक्ष्य हासिल करने के लिए सर्विस सेक्टर में अपनी बढ़ती भूमिका पर जोर देने के साथ ही, घरेलू मोर्चे पर काम करना होगा. इसके अलावा मिड और हाई टेक मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री पर भी ध्यान देना होगा.

हर वर्ष 80 लाख नौकरी की दरकार

सीईए नागेश्वरन ने कहा कि नए प्लेयिंग फील्ड में 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए हमें ग्रोथ के डोमेस्टिक ड्राइवर्स पर फोकर करना होगा. इसके लिए हमें हर साल 80 लाख नौकरियां बनानी होंगी. इसके साथ ही भारत की जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी को बढ़ाना होगा. भारतीय कारोबार को ग्लोबल सल्पाई चेन से जोड़ना होगा. इसके साथ ही वायेबल मिटलस्टांड यानी MSME सेक्टर को व्यावहारिक बनाना होगा.

इन चार पिलर्स पर ग्रोथ का भार

CEA वी अनंत नागेश्वरन ने विकसित भारत के लिए ग्रोथ प्लान बताते हुए कहा कि यह मोटे तौर पर चार पिलर्स पर निर्भर है. पहला, डीरेगुलेशन, दूसरा, घरेलू क्षमताओं को बढ़ावा, तीसरा नेशन बिल्डिंग में प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी और चौथा भारत की अपनी जरूरतों के मुताबिक एनर्जी ट्रांजिशन करना.

ग्रोथ के लिए डीरेगुलेशन

CEA वी अनंत नागेश्वरन कहा कि डीरेगुलेशन नई बात नहीं है. 90 के दशक में जब भारतीय बाजार को दुनिया के लिए खोला गया, तो लाइसेंस राज खत्म हुआ. पिछले एक दशक में भी इस दिशा में तमाम फैसले हुए हैं. लेकिन, अब इसे नेक्स्ट लेवल पर लेकर जाना है. खासतौर पर इंडस्ट्री, एम्प्लोयमेंट और एजुकेशन सेक्टर में स्टेट और लोकल लेवल पर डीरेगुलेशन की जरूरत है. उन्होंने कहा, हम अब जिस डीरेगुलेशन की बात कर रहे हैं, वे इंडस्ट्री के ऐसे नट-बोल्ट हैं, जिनकी वजह से सर्विस और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर जमीनी स्तर पर प्रभावित होते हैं. इसके अलावा रोजगार के मोर्चे पर कामगारों के अधिकारों को ध्यान में रखते हुए लेबर फ्लैक्जिबिलिटी को बढ़ाना होगा, जिससे जीडीपी आउटपुट बढ़ेगा. खासतौर पर कंप्लायंस कॉस्ट को कम करने पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है.

यूजीसी को NEP से करना होगा अलाइन

शिक्षा के मोर्चे पर डीरेगुलेशन को लेकर सीईए नागेश्वरन ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 और हायर एजुकेशन में अलाइनमेंट की कमी है. इसके लिए यूजीसी को हायर एजुकेशन को एनईपी के साथ अलाइन करना होगा. इसके लिए हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूट्स को मार्केट डिमांड के मुताबिक कोर्स वर्क में प्रयोग की आजादी देनी होगी.

एग्री फ्यूचर ग्रोथ का सेक्टर

CEA वी अनंत नागेश्वरन ने कृषि को फ्यूचर ग्रोथ का सेक्टर बताते हुए कहा कि इस सेक्टर को सपोर्ट करने के लिए एक तरफ इंस्टीट्यूशनल सपोर्ट की जरूरत है. पिछले एक दशक से इस दिशा में काफी काम हुआ. खासतौर पर फार्मर्स को क्रोप डायवर्सिफिकेशन और ट्रांसफॉर्मेशनल चेंज करने के लिए संस्थागत सहयोग जारी रखना होगा. इसमें हॉर्टिकल्चर, फ्लोरिकल्चर को सपोर्ट देने के साथ ही एक्सपोर्ट के लिए सक्षम बनाना होगा. इसके अलावा लैंड पूलिग व फसल बेचने के लिए नए तरीकों को आजमाना होगा. इसके लिए महाराष्ट्र और केरल के मॉडल्स पर गौर किया जा सकता है. जहां, महाराष्ट्र में 646 एफपीओ को कृषि उत्पाद खरीदने और बेचने के लिए सरकार ने तैयार किया है. दूसरी तरफ केरल में लैंड लीजिंग पर नए प्रयोग हो रहे हैं.