Orris Group पर ED की कार्रवाई, लग्जरी कारों समेत करोड़ों की FD जब्त

ईडी ने Orris Group और three c shelters private limited insolvency पर बड़ी कार्रवाई की. जिसमें ईडी ने लग्जरी कारें, 31.22 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी (BG), एफडी (FD) समेत कई सामानों को जब्त किया.

Orris Group पर ED की कार्रवाई Image Credit: Amal KS/HT via Getty Images

धोखाधड़ी समेत कई घर खरीदारों से पैसे के हेरफेर मामले में फंसी ओरिस इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (Orris Infrastructure Private Limited) के ऑफिस पर ED ने छापा मारा. जहां से ईडी ने कई दस्तावेज, लग्जरी कारें, 31.22 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी (BG), एफडी (FD) समेत कई सामानों को जब्त किया. ईडी ने बताया कि जब्त की गई एफडी और बैंक गारंटी ओरिस ग्रुप ऑफ कंपनियों के नाम पर थी. साथ ही कंपनी के प्रमोटरों के खिलाफ भी ईडी ने बड़ी कार्रवाई की है. ईडी ने उनके बैंक खाते और लॉकर फ्रीज कर दिए हैं.

वहीं, ओरिस समूह के एक डायरेक्टर और प्रमोटर के घर पर भी छापा मारा गया है, जहां से ईडी ने चार लग्जरी कारें जब्त की हैं, जिनमें Mercedes पोर्श Porsche और BMW मॉडल शामिल हैं.

किन पर हुई कार्रवाई ?

ईडी ने यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) 2002 के तहत की. इस अधिनियम के तहत ईडी ने तलाशी अभियान चलाया और 25 नवंबर को दिल्ली-एनसीआर समेत 14 अलग-अलग जगहों पर चीजें जब्त कीं. ईडी ने जिन पर कार्रवाई की है, उनमें ओरिस इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर और प्रमोटर विजय गुप्ता और अमित गुप्ता शामिल हैं. इसके अलावा थ्री सी शेल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड (three c shelters private limited insolvency) और उसके प्रमोटर और डायरेक्टर निर्मल सिंह उप्पल और विधुर भारद्वाज पर भी कार्रवाई की गई है

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क्या था पूरा मामला?

ईडी का कहना है कि जिन पर कार्रवाई की जा रही है, उन पर कई तरह के आरोप हैं, जिनमें धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और सैकड़ों घर खरीदारों से पैसे हड़पने के मामले शामिल हैं. सूत्रों के अनुसार, ओरिस इन्फ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और थ्री सी शेल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड ने गुरुग्राम के सेक्टर 89 में एक आवासीय परियोजना बनाने के लिए सहयोग किया था, जिसकी मालिकाना हक ओरिस ग्रुप के पास था. इसके बाद इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का कार्य थ्री सी शेल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा गया, लेकिन थ्री सी शेल्टर्स और उसके प्रमोटरों और निदेशकों ने समय पर प्रोजेक्ट को पूरा नहीं किया. साथ ही, इन पर कई निवेशकों के पैसे हड़पने के भी आरोप हैं.