15 दिनों में 5 फीसदी महंगा हुआ खाने वाला तेल, इस वजह से कीमतों में हुई बढ़ोतरी, अब फ्रूट्स भी होंगे महंगे

भारत खाने वाले तेल के उत्पादन में अभी आत्मनिर्भर नहीं है. यह करीब 60 फीसदी खाने वाले तेल विदेशों से आयात करता है. एक्सपर्ट का कहना है कि आने वाले महीनों में आयातित खाद्य तेलों की कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती है. इसका असर रिटेल मार्केट पर भी पड़ेगा.

खाने वाला तेल Image Credit: tv9

डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होने से कुकिंग ऑयल महंगा हो गया है. पिछले 15 दिनों में इसकी कीमतों में करीब 5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. इससे आम जनता के किचन का बजट बिगड़ गया है. खास बात यह है कि आने वाले दिनों में विदेशों से इंपोर्ट होने वाले कीवी, एवोकाडो, नाशपाती, प्रीमियम सेब और नट्स और ड्राई फ्रूट्स भी महंगे हो जाएंगे, क्योंकि अब आयात पहले के मुकाबले महंगा हो गया है.

भारत खाने वाले तेल के उत्पादन में अभी आत्मनिर्भर नहीं है. यह करीब 60 फीसदी खाने वाले तेल विदेशों से आयात करता है. कहा जा रहा है कि जिन देशों से कुकिंग ऑयल का आयात किया जाता है, वहां पर ही इनकी कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. साथ ही डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर होने से भी इनके रेट बढ़ गए. यही वजह है कि फरवरी महीने के दौरान सोयाबीन, सूरजमुखी और पाम ऑयल की खुदरा कीमतों में 5 से 6 फीसदी प्रति किलो की बढ़ोतरी हुई है.

15 दिन में कितनी बढ़ी खाने वाले तेलों की कीमतें

कुकिंग ऑयलमौजूदा कीमतें15 दिन पहले के रेट कितनी फीसदी बढ़े रेट
पाम ऑयल146 रुपये किलो140 रुपये किलो4.3%
सोयाबीन135 रुपये किलो128 रुपये किलो5.4%
सूरजमुखी158 रुपये किलो153 रुपये किलो3.2%
मूंगफली185 रुपये किलो183 रुपये किलो1.0%
कपास का तेल131 रुपये किलो125 रुपये किलो4.8%
सरसों166 रुपये किलो163 रुपये किलो1.8%
राइस ब्राउन132 रुपये किलो125 रुपये किलो5.6%
डेडा सोर्स- CAIT

इंपोर्ट लागत बढ़ने से महंगे हुए फ्रूट्स

द इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, कीवी, एवोकाडो, नाशपाती और प्रीमियम सेब, नट्स और ड्राई फ्रूट्स जैसे विदेशी फलों के आयातकों ने कहा कि इंपोर्ट की लागत बढ़ गई है. इसके चलते इनकी कीमतों में बढ़ोतरी हुई. दिसंबर से आयातित एवोकाडो की कीमत 360 रुपये किलो से 22 फीसदी बढ़कर 440 रुपये प्रति किलो हो गई है, जो कम आपूर्ति और मजबूत डॉलर के संयुक्त प्रभाव का परिणाम है.

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मार्च से महंगे हो जाएंगे फल

मुंबई के वाशी थोक बाजार में विदेशी फलों के आयातक और थोक विक्रेता चिन्मय पानसरे का कहना है कि रुपये में गिरावट का असर मार्च तक आयातित सेब और कीवी की कीमतों पर दिखने की उम्मीद है. पानसरे ने कहा कि अगले दो सप्ताह में न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया से शुरू होने वाले सेब और कीवी का आयात रुपये में कमजोरी के कारण महंगा होने की संभावना है. खाना पकाने के तेलों में, पाम तेल की कीमत 4.28 फीसदी बढ़कर 146 रुपये किलो और सोयाबीन तेल की कीमत 5.4 फीसदी बढ़कर 135 रुपये किलो हो गई है. इसी तरह सूरजमुखी तेल की कीमत 3.2 फीसदी बढ़कर 158 रुपये किलो हो गई है.

मूंगफली तेल भी महंगा हुआ

स्थानीय स्तर पर उत्पादित अन्य तेलों की कीमतों में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है. सरसों का तेल 163 रुपये किलो से बढ़कर 166 रुपये किलो, मूंगफली का तेल 183 रुपये किलो से बढ़कर 185 रुपये किलो और कपास का तेल 125 रुपये किलो से बढ़कर 131 रुपये किलो हो गया है. वहीं, कुकिंग ऑयल्स के ब्रोकर सनविन ग्रुप के सीईओ संदीप बाजोरिया का कहना है कि अगर रुपया और गिरता है, तो कीमतें इसी तरह बढ़ सकती हैं, क्योंकि हम अपनी 60 फीसदी मांग आयातित तेलों से पूरी करते हैं.

प्रीमियम सेब की कीमतों में बढ़ोतरी

दिसंबर में अंतरराष्ट्रीय कुकिंग ऑयल की कीमतों में गिरावट ने रुपये में गिरावट के असर को कम करने में मदद की. हालांकि, पाम ऑयल, सूरजमुखी तेल और सोयाबीन तेल की कीमतों में इस महीने सुधार आना शुरू हो गया है, क्योंकि पाम ऑयल की आपूर्ति कम हो गई है और अर्जेंटीना और ब्राजील में प्रतिकूल मौसम का असर है. कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के राष्ट्रीय सचिव शंकर ठक्कर ने कहा कि कमजोर रुपये के कारण वनस्पति तेल का आयात महंगा हो रहा है. दिल्ली और मुंबई जैसे शीर्ष महानगरों में प्रीमियम सेब की कीमतों में 8-10 फीसदी की वृद्धि हुई है.

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