पहले फाउंडर की मौत, फिर खोया सबसे बड़ा कस्टमर; ऐसे बिक गई E-com Express

ई-कॉमर्स के उछाल के साथ ई-कॉम एक्सप्रेस ने भी मार्केट में अपनी जगह तेजी बनाई. लेकिन कहते है न कि हर उदय का पतन भी आता है. इसी का शिकार ईकॉम एक्सप्रेस भी हो गई. अब यह कंपनी अपने बड़े प्रतिद्वंद्वी डेल्हीवरी के हाथों बिक गई है. यह डील 5 अप्रैल को हुआ. इसमें डिलीवरी ने ईकॉम एक्सप्रेस को 1,407 करोड़ रुपये (लगभग 165 मिलियन डॉलर) में खरीदा.

ई-कॉम एक्सप्रेस Image Credit: Money 9

Delhivery to acquire E-com Express: भारत में शायद ही कोई ऐसा होगा, जो ई-कॉम एक्सप्रेस को नहीं जानता हो. ईकॉम एक्सप्रेस एक लॉजिस्टिक्स कंपनी है. ई-कॉमर्स के उछाल के साथ इसने भी मार्केट में अपनी जगह तेजी से बनाई. लेकिन कहते है न कि हर उदय का पतन भी आता है. इसी का शिकार ईकॉम एक्सप्रेस भी हो गई. अब यह कंपनी अपने बड़े प्रतिद्वंद्वी डेल्हीवरी के हाथों बिक गई है. यह डील 5 अप्रैल को हुई. इसमें डिलीवरी ने ईकॉम एक्सप्रेस को 1,407 करोड़ रुपये (लगभग 165 मिलियन डॉलर) में खरीदा. यह कीमत इसकी सबसे ऊंची वैल्यू 850 मिलियन डॉलर से 80 फीसदी कम है. ऐसे में आइए समझते है कि ये आखिर क्यों हुआ?

IPO का गणित

ईकॉम एक्सप्रेस की शुरुआत साल 2012 में संजीव सक्सेना, मंजू धवन, के. सत्यनारायण और टी.ए. कृष्णन ने की थी. ई-कॉमर्स के लगातार बढ़ते बाजार ने इसे बड़ा बनाया. इसने 324 मिलियन डॉलर जुटाए और बड़े निवेशकों का भरोसा जीता. कंपनी IPO (शेयर बाजार में लिस्टिंग) के जरिए 2,600 करोड़ रुपये जुटाने की तैयारी में थी. लेकिन दो बार कोशिश करने के बाद भी यह प्लान फेल हो गया. पहले साल 2022 में बाजार खराब होने की वजह से और फिर पिछले साल डिलीवरी ने इसके आंकड़ों पर सवाल उठाए. इससे IPO रुक गया.

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ऐसे लगा कंपनी को झटका

ईकॉम एक्सप्रेस को सबसे बड़ा झटका तब लगा जब मीशो, जो इसकी 50 फीसदी कमाई का स्रोत था. इसने अपनी खुद की लॉजिस्टिक्स सर्विस वाल्मो शुरू की. वाल्मो अब मीशो के 50 फीसदी से ज्यादा ऑर्डर संभाल रही है. इससे ईकॉम की कमाई पर बुरा असर पड़ा. इसके अलावा साल 2023 में सह-संस्थापक टी.ए.कृष्णन की बीमारी से मृत्यु हो गई. वे कंपनी के बड़े लीडर थे. उनके जाने से कई कर्मचारी भी चले गए. इससे कंपनी अस्थिर हो गई.

धीमी हो गई कंपनी की कमाई

इन सब को देखते हुए कंपनी की कमाई भी धीमी हो गई. साल 2023 में इसकी आय 22 फीसदी बढ़कर 2,548 करोड़ रुपये हुई. लेकिन 2025 में सिर्फ 2 फीसदी बढ़कर 2,609 करोड़ रुपये रही. घाटा कम हुआ पर बाजार में मांग घटने से दिक्कतें बढ़ीं. ई-कॉमर्स की ग्रोथ भी 20 फीसदी से घटकर 10-12 फीसदी रह गई. ऐसा इसलिए क्योंकि महंगाई और कम वेतन ने लोगों की खरीदारी घटा दी. इन सबके बीच डिलीवरी ने मौका देखा. डिलीवरी के CEO साहिल बरुआ पहले ही कह चुके थे कि वे सही मौके पर छोटी कंपनियों को खरीद सकते हैं.