रुपया गिरा नहीं है डॉलर बढ़ा है, जानिए रघुराम राजन ने ऐसा क्यों कहा

डॉलर के मुकाबले रुपये में पिछले कुछ समय से गिरावट देखी गई है, लेकिन रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर का मानना है कि यह कोई गंभीर चिंता की बात नहीं है. केवल रुपया ही नहीं, बल्कि दुनिया के दूसरे देशों की करेंसी में भी गिरावट हुई है. उनका कहना है कि रुपये में गिरावट तब तक देखने को मिल सकती है जब तक अमेरिका की नई सरकार की नीतियां स्पष्ट नहीं हो जातीं.

रघुराम राजन Image Credit: money9live.com

Raghuram Rajan: पिछले कुछ समय से डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट देखी जा रही है. सोमवार को यह अपने ऐतिहासिक लो पर पहुंचते हुए डॉलर के मुकाबले 86.59 रुपये पर आ गया. केवल भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया के कई देशों की करेंसी में 2024 में गिरावट हुई है. हालांकि, भारत और चीन की करेंसी में 2024 में सबसे कम गिरावट दर्ज की गई है. रुपये में आई इस गिरावट पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने अपनी राय दी है और कहा है कि इसे लेकर ज्यादा चिंतित होने की जरुरत नहीं है.

डॉलर हुआ मजबूत

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने रुपये में आई गिरावट के पीछे डॉलर की मजबूती को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि हमेशा रुपया-डॉलर एक्सचेंज रेट पर ध्यान रहता है, जबकि वास्तविकता यह है कि डॉलर कई अन्य करेंसी के मुकाबले मजबूत हो रहा है. उदाहरण के तौर पर, अगर आप यूरो को देखें, तो पिछले साल की शुरुआत में 1 डॉलर 91 सेंट में खरीदा जा सकता था, जबकि अब यह 98 सेंट का हो गया है. यह यूरो में लगभग 6-7 फीसदी की गिरावट को दिखाता है.

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राजन ने इस बात पर जोर दिया कि रुपये में 83 से 86 तक की गिरावट तुलनात्मक रूप से कम है. उन्होंने इसे “डॉलर का मुद्दा” बताया, जो कई फैक्टर्स पर निर्भर है. इनमें अमेरिकी व्यापार घाटे में कमी की बाजार की उम्मीदें और डॉलर का सेफ हेवेन एसेट बनना शामिल है.

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आरबीआई को नहीं देना चाहिए दखल

जब राजन से पूछा गया कि क्या RBI को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से इसका विरोध किया. उनका कहना था कि उन एडजस्टमेंट्स के खिलाफ हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए जो फंडामेंटल इकोनॉमिक्स के आधार पर हो रहे हैं. हालांकि, वोलैटिलिटी और शॉर्ट टर्म के कारण होने वाले बदलावों के खिलाफ हस्तक्षेप किया जा सकता है. राजन ने यह भी कहा कि डॉलर में बढ़ोतरी तब तक जारी रह सकती है जब तक अमेरिकी प्रशासन की नई नीतियों का प्रभाव साफ नहीं हो जाता.

अवमूल्यन भी जरूरी है

रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर ने भारतीय एक्सपोर्ट के लिए रुपये की गिरावट को संभावित लाभ के रूप में देखा. उन्होंने कहा कि अगर हर जगह टैरिफ बढ़ रहे हैं, तो इसका मुकाबला करने और एक्सपोर्ट पर लागू टैरिफ की भरपाई के लिए करेंसी का कुछ अवमूल्यन करना जरुरी है.