117 साल पहले जो शुरु हुआ, आज अमेरिका तक छा गया; जानिए वडीलाल के 5 पीढ़ियों के मीठी जीत की कहानी
क्या आपको पता है कि भारत की सबसे पुरानी आइसक्रीम कंपनियों में से एक की शुरुआत एक छोटी सी सोडा दुकान से हुई थी? यह कहानी सिर्फ एक ब्रांड की नहीं, बल्कि एक ऐसे सफर की है जो आपको गर्व की अनुभूति कराएगी.
Vadilal Success Story: अगर आपने कभी वडीलाल की आइसक्रीम का स्वाद चखा है, तो आप एक सदी से भी पुरानी विरासत का आनंद ले चुके हैं. वडीलाल केवल एक आइसक्रीम ब्रांड नहीं, बल्कि मेहनत, दूरदृष्टि और नवाचार की मिसाल है. इसकी शुरुआत 1907 में हुई थी, जब अहमदाबाद के वडीलाल गांधी ने एक साधारण सोडा की दुकान खोली. उस समय शायद ही किसी ने सोचा होगा कि यह छोटा-सा कारोबार एक दिन भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका तक अपनी मिठास बिखेरेगा. पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ते इस ब्रांड की सफलता की कहानी बेहद दिलचस्प है.
एक सोच ने बदली तकदीर
वडीलाल गांधी ने 1907 में अहमदाबाद में एक सोडा की दुकान खोली थी. उस दौर में ठंडे ड्रिंक का चलन बढ़ रहा था और सोडा लोगों को खूब भा रहा था. लेकिन वडीलाल गांधी सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं रहे. उन्होंने सोचा कि अगर लोग ठंडे सोडा को पसंद कर सकते हैं तो उन्हें बर्फीले मीठे स्वाद वाली आइसक्रीम भी जरूर पसंद आएगी. इसी सोच के साथ उन्होंने अपने हाथ से बनी आइसक्रीम बेचनी शुरू की जो लोगों को इतनी पसंद आई कि उनकी दुकान शहरभर में मशहूर हो गई.
दूसरी पीढ़ी: कारोबार को नई ऊंचाइयों तक ले जाने की शुरुआत
वडीलाल गांधी के बाद 1926 में उनके बेटे रांचोदलाल गांधी ने इस व्यवसाय की कमान संभाली. उन्होंने पहला रिटेल आउटलेट ‘वडीलाल सोडा फाउंटेन’ खोला, जो कंपनी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित हुआ. आइसक्रीम की मांग बढ़ती देख उन्होंने जर्मनी से आधुनिक मशीनें मंगवाईं, जिससे आइसक्रीम के उत्पादन की गुणवत्ता और क्षमता दोनों बढ़ीं. 1947 तक, जब भारत आजाद हुआ, तब तक वडीलाल अहमदाबाद में चार प्रमुख आउटलेट्स के साथ एक मजबूत ब्रांड बन चुका था.
तीसरी और चौथी पीढ़ी: ब्रांड की राष्ट्रीय पहचान
1970 के दशक में, रांचोदलाल गांधी के बेटे रामचंद्र गांधी और लक्ष्मण गांधी ने कारोबार को और आगे बढ़ाया. इस दौरान गुजरात में 10 आउटलेट्स खोले गए, जिससे ब्रांड की पहचान और मजबूत हुई. 1990 के दशक में, वडीलाल की चौथी पीढ़ी- वीरेंद्र, राजेश, शैलेश (रामचंद्र गांधी के बेटे) और देवांशु (लक्ष्मण गांधी के बेटे) ने कंपनी में कदम रखा. उनकी रणनीतियों और नवाचारों ने वडीलाल को एक राष्ट्रीय मंच दिया.
वडीलाल हमेशा नए प्रयोग करने में आगे रहा है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण 2001 में देखने को मिला, जब कंपनी ने ‘सबसे बड़े आइसक्रीम संडे’ का रिकॉर्ड बनाया. इस विशाल आइसक्रीम संडे को बनाने में 4,950 लीटर आइसक्रीम, 125 किलोग्राम ड्राई फ्रूट्स, 255 किलोग्राम ताजे फल और 390 लीटर विभिन्न फ्लेवर की चटपटे सॉस का इस्तेमाल किया गया. 180 लोगों की टीम ने महज 60 मिनट में यह संडे तैयार कर लिया जिसने वडीलाल को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में जगह दिलाई.
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भारत से अमेरिका तक
आज वडीलाल केवल भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरिका में भी सबसे ज्यादा बिकने वाला भारतीय आइसक्रीम ब्रांड बन चुका है. पांचवीं पीढ़ी के नेतृत्व में, खासतौर पर सीएफओ कल्पित गांधी के मार्गदर्शन में कंपनी लगातार आगे बढ़ रही है. वडीलाल का सफर दिखाता है कि जब मेहनत, परंपरा और आधुनिकता का मेल होता है तो सफलता की कोई सीमा नहीं होती.