बॉम्बे हाईकोर्ट से गौतम अडानी को मिली बड़ी राहत, सेशंस कोर्ट के फैसले को किया रद्द; जानें मामला

बॉम्बे हाईकोर्ट ने गौतम अडानी और राजेश अडानी को SFIO केस से बरी किया. 2012 की चार्जशीट में शेयर हेरफेर के आरोप लगे थे. 2014 में मजिस्ट्रेट कोर्ट ने राहत दी, लेकिन 2019 में सेशंस कोर्ट ने मामला फिर खोला. हाईकोर्ट ने 2019 से रोक लगा रखी थी. 2023 में SFIO की निष्क्रियता पर सवाल उठे, जब हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने अडानी पर घोटाले का आरोप लगाया था.

अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी को मिली राहत. Image Credit: PTI

Gautam Adani: बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) के चेयरमैन गौतम अडानी और मैनेजिंग डायरेक्टर राजेश अडानी को सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) के एक मामले में बरी कर दिया है. यह मामला AEL के शेयर की कीमतों में हेरफेर के आरोपों से जुड़ा था. जस्टिस राजेश एन लड्डा ने सेशंस कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें अडानी और AEL को केस से मुक्त करने से इनकार किया गया था. इस मामले में उन पर 388 करोड़ रुपये के मार्केट रेगुलेशन उल्लंघन का आरोप था.

बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी और AEL ने सेशंस कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. उनकी ओर से वरिष्ठ वकील अमित देसाई और विक्रम ननकानी ने दलील दी कि उनके खिलाफ केस जारी रखने का कोई ठोस आधार नहीं है. यह मामला 2012 में SFIO द्वारा दायर चार्जशीट से जुड़ा है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड (AEL) और अडानी समूह ने स्टॉकब्रोकर केतन पारेख के साथ मिलकर शेयर कीमतों में हेरफेर किया था. केतन पारेख 1999-2000 के भारत के सबसे बड़े स्टॉक मार्केट घोटाले के मुख्य आरोपी थे.

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सेशंस कोर्ट ने फैसले को पलटा

2014 में एक मजिस्ट्रेट कोर्ट ने अडानी और AEL को इस मामले से बरी कर दिया था. हालांकि, नवंबर 2019 में मुंबई की सेशंस कोर्ट ने इस फैसले को पलट दिया. सेशंस कोर्ट ने पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि SFIO की जांच में “प्रथम दृष्टया” यह सामने आया कि अडानी समूह के प्रमोटर्स ने 388.11 करोड़ रुपये और केतन पारेख ने 151.40 करोड़ रुपये का अवैध लाभ कमाया था.

हाईकोर्ट ने सेशंस के आदेश पर रोक लगा दी

सेशंस जज डीई कोठालिकर ने अपने फैसले में कहा था कि अडानी समूह के खिलाफ कार्यवाही चलाने के लिए पर्याप्त आधार हैं. इसके बाद, दिसंबर 2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने सेशंस कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी, जिसे अंतिम फैसला आने तक कई बार बढ़ाया गया. फरवरी 2023 में, हाईकोर्ट ने SFIO (जो कि केंद्रीय कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के तहत काम करता है) से मामले में देरी को लेकर सवाल किया. कोर्ट ने नोट किया कि 10 फरवरी 2022 के बाद से कोई सुनवाई नहीं हुई थी, जब अंतरिम रोक बढ़ाई गई थी.

कोर्ट ने पूछा कि कहीं यह निष्क्रियता बाहरी परिस्थितियों की वजह से तो नहीं है. उस वक्त अडानी ग्रुप सार्वजनिक जांच के घेरे में था, क्योंकि अमेरिकी फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक रिपोर्ट जारी कर समूह पर दशकों से “स्पष्ट शेयर हेरफेर और अकाउंटिंग फ्रॉड” करने का आरोप लगाया था.

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