अडानी ग्रुप सहित दूसरे एनर्जी प्रोजेक्ट्स की जांच कर सकता है बांग्लादेश, ये रही वजह

Bangladesh की अंतरिम सरकार ने 2010 के नियमों के तहत किए गए सभी समझौतों की जांच के लिए एक समिति बनाई है, जो किसी भी भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करेगी. यह मामला भी इसी से जुड़ा है... जानें सब कुछ.

विदेशों में गौतम अडानी की समस्याएं खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. अमेरिका में लगे गंभीर आरोपों के बाद अडानी अब बांग्लादेश के निशाने पर हैं. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने एक समीक्षा समिति गठित की थी जिसने रविवार को सुझाव दिया कि साल 2009-2024 तक पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासनकाल में जितने भी बिजनेस से जुड़े समझौते हुए हैं उनकी जांच के लिए जांच एजेंसी को नियुक्त करना चाहिए. इन कई समझौतों में से एक अडानी ग्रुप के साथ किया गया था जो बिजली को लेकर था. यह जानकारी पीटीआई ने आधिकारिक बयान के हवाले से दी है.

समिति ने प्रमुख ऊर्जा और बिजली प्रोजेक्ट्स की समीक्षा की, जिसमें अडानी (गोड्डा) 1234.4 MW कोल-फायर पावर प्लांट शामिल है. इसके अलावा, अन्य समझौते चीन की कंपनी द्वारा बनाए गए 1320 MW कोल-फायर प्लांट और बांग्लादेशी बिजनेस ग्रुप के साथ हैं. समीक्षा समिति का मानना है कि इन समझौतों में “अंतरराष्ट्रीय कानून” के तहत सुधार या इन्हें रद्द करने की जरूरत पड़ सकती है.

समिति ने पाया कि कुछ समझौतों में बड़ी अनियमितताओं का प्रमाण है और आगे की जांच के लिए समय और संसाधनों की जरूरत है. मोहम्मद यूनुस के कार्यालय से जारी बयान के अनुसार, समिति ने अंतरराष्ट्रीय स्तर की कानूनी और जांच एजेंसी की नियुक्ति की सिफारिश की है. जांच के लिए समिति का नेतृत्व सेवानिवृत्त हाईकोर्ट जज मोइनुल इस्लाम चौधरी कर रहे हैं. समिति ने ऐसे समझौतों को “जल्दबाजी में किए गए” और संभावित रूप से अनुचित ठहराया है.  

बांग्लादेश और अडानी ग्रुप के बीच विवाद

भारत और बांग्लादेश के बीच ऊर्जा सहयोग को दोनों देशों के संबंधों का अहम हिस्सा माना जाता है. हालांकि, हाल के दिनों में विवाद खड़ा हो गया. अडानी ग्रुप ने बांग्लादेश सरकार को लगभग 80 करोड़ डॉलर के अधूरे पेमेंट को लेकर पत्र भेजा था. बांग्लादेश की सरकारी पॉवर डेवलपमेंट बोर्ड ने केवल 15 करोड़ डॉलर का पेमेंट किया है. अडानी के गोड्डा थर्मल प्लांट को विशेष रूप से बांग्लादेश को बिजली सप्लाई के लिए बनाया गया था, लेकिन हाल ही में भारत में कानून बदलने से अडानी को बिजली भारत में बेचने की अनुमति मिल गई है. इसने अटकलों को जन्म दिया है कि क्या गोड्डा प्लांट बांग्लादेश को समर्पित बिजली सप्लाई जारी रखेगा.

अंतरिम सरकार ने 2010 के “क्विक एनहांसमेंट ऑफ इलेक्ट्रिसिटी एंड एनर्जी सप्लाई अधिनियम” के तहत किए गए सभी समझौतों की जांच के लिए एक समिति बनाई है, जो किसी भी भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करेगी.