S&P का अडानी ग्रुप पर बड़ा एक्शन! इन 3 कंपनियों के आउटलुक को किया नेगेटिव, फंडिंग में हो सकती है दिक्कत

ग्लोबल रेटिंग एजेंसी S&P ने अडानी ग्रुप की तीन कंपनियों पर अपने रेटिंग आउटलुक को घटाकर नेगेटिव कर दिया है. S&P ने यह कार्रवाई अडानी ग्रुप के फाउंडर गौतम अडानी और उनके दो बोर्ड मेंबर्स पर अमेरिकी अदालत में रिश्वत लेने के आरोप के बाद किए हैं.

रेटिंग एजेंसी ने किया अडानी ग्रुप को नेगेटिव रेट Image Credit: @Tv9

गौतम अडानी और उनकी कंपनी के ऊपर मुसीबत थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. ग्लोबल रेटिंग एजेंसी S&P ने अडानी ग्रुप की तीन कंपनियों पर अपने रेटिंग आउटलुक को घटाकर नेगेटिव कर दिया है. कंपनियों की सूची में Adani Ports and SEZ, Adani Green Energy Limited और Adani Electricity Mumbai शामिल हैं. इन सभी कंपनियों की आउटलुक को S&P ने नेगेटिव कर दिय दिया है. S&P ने यह कार्रवाई अडानी ग्रुप के फाउंडर गौतम अडानी और उनके दो बोर्ड मेंबर्स पर अमेरिकी अदालत में रिश्वत लेने के आरोप के बाद किए हैं.

एजेंसी ने क्यों घटाई रेटिंग?

रेटिंग घटाने को लेकर एजेंसी ने कहा कि इन आरोपों के कारण अडानी ग्रुप की फंडिंग, कैश फ्लो और गवर्नेंस पर खराब असर पड़ सकता है. दरअसल अमेरिकी प्रॉसिक्यूटर्स ने गौतम अडानी और 2 अन्य बोर्ड मेंबर्स पर भारत में सोलर कॉन्ट्रैक्ट्स पाने के उद्देश्य से तकरीबन 25 करोड़ डॉलर (लगभग 2,100 करोड़ रुपये) की कथित रिश्वत देने का आरोप लगाया है.

बढ़ सकती है परेशानी

S&P ग्लोबल ने अडानी पोर्ट्स और अडानी इलेक्ट्रिसिटी पर अपनी ‘BBB-‘ की मौजूदा रेटिंग को बरकरार रखा है. इसके अलावा अडानी ग्रीन एनर्जी की रेटिंग को भी ‘BB+’ पर पॉजिटिव किया है. रेटिंग एजेंसी ने तीनों कंपनियों के अपने आउटलुक को नेगेटिव करार दिया है. S&P का कहना है कि अडानी ग्रुप के खिलाफ लगे आरोप अगर सही साबित होते हैं या निवेशकों का भरोसा टूट जाता है तब अडानी ग्रुप की फंडिंग, कैश फ्लो और गवर्नेंस पर बुरा असर पड़ सकता है. इसके अलावा रेटिंग एजेंसी ने ये चेतावनी भी दी है कि अडानी ग्रुप की फंडिंग की सुविधा पर भी फर्क पड़ सकता है. इससे इतर उधार लेने की लागत भी बढ़ सकती है. 

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हिंडनबर्ग ने भी उठाया था सवाल

एजेंसी का कहना है कि ये आरोप अडानी ग्रुप के गवर्नेंस प्रैक्टिस और रेपेट्यूशन को लेकर सवालिया निशान खड़ा सकते हैं. इससे पहले भी अडानी ग्रुप का नाम जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च में आया था. उस वक्त भी हिंडनबर्ग रिचर्स ने अडानी ग्रुप के गवर्नेंस पर प्रैक्टिस पर सवाल उठाया था जिसके बाद ग्रुप को भारत के सुप्रीम कोर्ट और SEBI की जांच का सामना करना पड़ा था.