2025 के अंत तक 1.36 लाख रुपये पहुंच जाएगा सोने का भाव, Goldman Sachs ने कर दी बड़ी भविष्यवाणी

Goldman Sachs ने सोने की कीमतों के लिए अपना टारगेट बढ़ाकर 3,700 डॉलर प्रति औंस कर दिया है और बताया है कि अगर हालात बिगड़ते हैं तो यह 4,500 डॉलर तक पहुंच सकता है. अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और आर्थिक मंदी के डर के कारण निवेशक सोने में सुरक्षित निवेश की तलाश में हैं.

Gold Price Today: सोने की कीमतें लगातार नए रिकॉर्ड बना रही हैं. अब एक बार फिर सोने को लेकर भविष्यवाणी सामने आई है. विदेशी इन्वेस्टमेंट बैंक Goldman Sachs का कहना है कि अगर हालात बहुत बिगड़ते हैं तो गोल्ड की कीमतें 2025 के अंत तक 4,500 डॉलर प्रति औंस तक जा सकती हैं. इसका मतलब इसकी कीमत 1,36,323 रुपये प्रति 10 ग्राम हो सकती है और इसकी वजह है अमेरिका-चीन के बीच बढ़ता ट्रेड वॉर और आर्थिक मंदी का डर है.

गोल्ड का नया टारगेट

गोल्डमैन सैक्स ने अब गोल्ड के लिए अपना मुख्य प्राइस टारगेट 3,700 डॉलर प्रति औंस कर दिया है और ये इस साल का तीसरा मौका है जब उन्होंने टारगेट बढ़ाया है. मार्च में उन्होंने इसका टारगेट 3,300 डॉलर रखा था.

बैंक का कहना है कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था को लेकर बढ़ती चिंताओं और अमेरिका और चीन के बीच चल रही ट्रेड वॉर के चलते गोल्ड अब निवेशकों के लिए एक सुरक्षित निवेश विकल्प बनता जा रहा है. सोना मंदी में सबसे ज्यादा काम आने वाली धातु है. इसे महंगाई के खिलाफ भी हेज किया जा सकता है.

पिछले हफ्ते गोल्ड की कीमत पहली बार 3,200 डॉलर के पार चली गई थी, और रिकॉर्ड हाई 3,245.69 डॉलर प्रति औंस तक पहुंची थी. इसकी वजह है दुनिया भर में जियोपॉलिटिकल और इकनॉमिक अनिश्चितता. इस दौरान गोल्ड की डिमांड, फिजिकल खरीद और ETFs (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) में बहुत तेजी से बढ़ी है.

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Goldman के पोर्टफोलियो में भी गोल्ड

गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि उन्होंने भी अपने पोर्टफोलियो में गोल्ड को शामिल किया है ताकि अमेरिका में मंदी की आशंका से बचाव किया जा सके. उनका कहना है कि निवेशकों का झुकाव हाल के हफ्तों में गोल्ड की ओर बढ़ा है फिर चाहे वो फिजिकल हो या ETF.

दरअसल अमेरिका ने चीनी सामान पर कुल मिलाकर 145% तक टैरिफ लगा दिया है, और जवाब में चीन ने अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर 125% तक का टैक्स लगा दिया है. साथ ही ट्रंप ने ये भी कहा कि अमेरिका अपने बाकी व्यापारिक पार्टनर्स पर भी कड़े टैरिफ लगाएगा. हालांकि इन्हें 90 दिन के लिए टाल दिया गया है, लेकिन एक सामान्य 10% टैरिफ पहले ही लागू हो चुका है.

इस सबके बीच, कई बड़े देशों के सेंट्रल बैंक्स, खासकर एशिया में, हाल के महीनों में जमकर गोल्ड खरीद रहे हैं. इसका मतलब है कि उन्हें अमेरिका में मंदी और ट्रंप सरकार की नीतियों पर भरोसा नहीं है.