IRCTC और IRFC बन गईं नवरत्न, अब सरकार की मंजूरी के बिना ही खर्च कर सकेंगी इतना पैसा

IRCTC and IRFC: भारत सरकार ने IRCTC और IRFC को नवरत्न CPSE की लिस्ट में शामिल कर लिया है. सरकार के इस फैसले के बाद से रेलवे की दोनों ही कंपनियों को फैसले लेने में आजादी मिलेगी और वो कुछ फैसले सरकार की मंजूरी के बिना भी ले सकेंगी.

रेलवे की दो कंपनियों को मिला नवरत्न का दर्जा. Image Credit: Money9live

रेलवे की दो कंपनियों को सरकार ने बेहद प्रतिष्ठित दर्जा दिया है. सरकार ने इंडियन रेलवे केटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन (IRCTC) और इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉरपोरेशन (IRFC) को नवरत्न सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज (CPSE) का दर्जा दिया है. इसके साथ ही, IRCTC और IRFC, CPSER में क्रमश 25वें और 26वें नवरत्न बन गई हैं, जो भारतीय रेलवे कंपनियों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.

फैसले लेने में होगी आसानी

नवरत्न का दर्जा मिलने से दोनों कंपनियों को अधिक वित्तीय स्वायत्तता मिलेगी, जिससे वे सरकार की मंजूरी के बिना 1,000 करोड़ रुपये तक का निवेश कर सकेंगी, जिससे उनकी निर्णय लेने की क्षमता में तेजी आएगी. भारत सरकार CPSE को तीन समूहों में कैटेगराइज्ड करती है- महारत्न, नवरत्न और मिनीरत्न. केंद्र का उद्देश्य इन PSU को और अधिक प्रतिस्पर्धी और एफिशिएंट बनाना है.

क्या करती हैं दोनों कंपनियां

1986 में बनी IRFC मुख्य रूप से भारतीय रेलवे के बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार और आधुनिकीकरण परियोजनाओं के लिए फंड जुटाने की जिम्मेदारी निभाती है. IRCTC, जिसकी स्थापना 1999 में हुई थी. यह कंपनी भारतीय रेलवे के लिए टिकटिंग, खानपान और पर्यटन सेवाएं प्रदान करती है.

IRCTC रेल मंत्रालय का एक CPSE है, जिसका वार्षिक कारोबार ₹4,270.18 करोड़, PAT ₹1,111.26 करोड़ और वित्त वर्ष 2023-24 के लिए कुल नेटर्वथ ₹3,229.97 करोड़ है.

इसके अलावा एक अलग पोस्ट में पब्लिक एंटरप्राइजेज विभाग ने IRFC और CPSE है, जिसका जिसका वार्षिक कारोबार ₹26,644 करोड़, PAT ₹6,412 करोड़ और वित्त वर्ष 2023-24 के लिए ₹49,178 करोड़ का नेटवर्थ है.

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स अकाउंट पर पोस्ट करके आईआरसीटीसी और आईआरएफसी की टीमों को ‘नवरत्न’ का दर्जा दिए जाने में योगदान के लिए बधाई दी.

नवरत्न से क्या मिलेगा फायदा?

नवरत्न का दर्जा पब्लिक सेक्टर के उपक्रमों (PSU) को दिया जाता है, जिनका वित्तीय और बाजार प्रदर्शन असाधारण होता है. यह कदम उनके मूल्य को पहचानता है और उन्हें अपनी वित्तीय शक्तियों का विस्तार करने की अनुमति देता है. नवरत्न का दर्जा मिलने का एक लाभ यह है कि कंपनियों को वित्तीय और ऑपरेशनल स्वतंत्रता होगी, जिससे वे केंद्र सरकार से पूर्व स्वीकृति लिए बिना किसी एक प्रोजोक्ट पर 1,000 करोड़ रुपये या अपनी कुल संपत्ति का 15 प्रतिशत तक निवेश कर सकेंगी.