सरकार ने 2 रुपये बढ़ा दी एक्साइज ड्यूटी, लेकिन क्यों नहीं बढ़ेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम? जानें- क्या है फॉर्मूला

Petrol-Diesel Excise Duty: एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर 13 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है. आमतौर पर टैक्स में बढ़ोतरी का बोझ ग्राहकों पर ही डाला जाता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा.

पेट्रोल-डीजल कीमतों में क्यों नहीं होगी बढ़ोतरी. Image Credit: Getty image

Petrol-Diesel Excise Duty: सरकार ने सोमवार को पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये प्रति लीटर का इजाफा किया है. हालांकि, इस बढ़ोतरी का बोझ आम लोगों पर नहीं पड़ेगा. एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है कि पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर 13 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है. एक्साइज ड्यूटी की बढ़ी हुई दरें 8 अप्रैल 2025 से लागू हो जाएंगी. अब ज्यादातर लोग यही सोच रहे हैं कि एक्साइज ड्यूटी बढ़ने के बावजूद सरकार ने पट्रोल-डीजल पर दाम क्यों नहीं बढ़ाए.

क्यों नहीं बढ़ेंगी तेल की कीमतें?

दरअसल, कहानी यह है कि सरकार ने उस वक्त पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाने का फैसला किया किया है, जब इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड की कीमतें गिर रही हैं. अब सरकार इंटरनेशनल मार्केट में घटी हुई कीमतों का इस्तेमाल देश की ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की भरपाई के लिए करेगी. क्योंकि ऑयल मार्केटिंग कंपनियों को गैस के हिस्से रूप में नुकसान हुआ है. पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर सरकार की कोशिश तेल मार्केटिंग कंपनियों के 43,000 करोड़ रुपये की भरपाई करना है.

कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट

आमतौर पर टैक्स में बढ़ोतरी का बोझ ग्राहकों पर ही डाला जाता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा. क्योंकि बढ़ी हुई एक्साइज ड्यूटी को अंतरराष्ट्रीय बाजार में घटी हुई कीमतों के साथ एडजस्ट किया जाएगा. अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव के कारण मंदी की आशंका बढ़ गई है, जिससे तेल की मांग में कमी आ सकती है. इसके चलते इंटरनेशनल मार्केट में तेल की कीमतें अप्रैल 2021 के बाद से अपने निचले स्तर पर आ गई हैं.

कच्चे तेल की कीमतें

सोमवार को ब्रेंट फ्यूचर 2.43 डॉलर या 3.7 फीसदी की गिरावट के साथ 63.15 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया, जबकि यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड फ्यूचर 2.42 डॉलर या 3.9 फीसदी की गिरावट के साथ 59.57 डॉलर पर आ गया. भारत अपनी तेल जरूरतों को पूरा करने के लिए 85 फीसदी तेल आयात करता है.

सरकार ने कब-कब बढ़ाई एक्साइज ड्यूटी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने अपने 11 साल के शासन के दौरान जब भी अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में गिरावट आई, तब एक्साइज ड्यूटी में बढ़ोतरी की. सरकार ने नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच वैश्विक तेल कीमतों में गिरावट से होने वाले लाभ को कम करने के लिए 9 मौकों पर पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाया था.

कुल मिलाकर, उन 15 महीनों में पेट्रोल पर शुल्क में 11.77 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 13.47 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई, जिससे सरकार को 2016-17 में एक्साइज ड्यूटी में दोगुना से अधिक वृद्धि करने में मदद मिली, जो 2014-15 में 99,000 करोड़ रुपये था.

सरकार ने अक्टूबर 2017 में एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये और एक साल बाद 1.50 रुपये की कटौती की थी. लेकिन जुलाई 2019 में एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई. मार्च 2020 में फिर से एक्साइज ड्यूटी में में 3 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई. मार्च 2020 से मई 2020 के बीच पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी को 13 रुपये और 16 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया.

100 रुपये पार पहुंच गईं थी कीमतें

हालांकि, बाद के साल में अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतों में उछाल के कारण सरकार ने 13 रुपये और 16 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी वृद्धि को वापस ले लिया. इससे दिल्ली में पेट्रोल की कीमतों में 105.41 रुपये प्रति लीटर की रिकॉर्ड बढ़ोतरी और डीजल की कीमत 96.67 रुपये प्रति लीटर से नीचे लाने में मदद मिली. पिछले साल आम चुनावों की घोषणा से ठीक पहले, सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी.

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