बजट के बाद अब GST में भी बड़ा तोहफा देने की तैयारी, सस्ते हो सकते हैं कई प्रोडक्ट
सरकार ने GST दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए एक मंत्रिस्तरीय समिति का गठन किया था, जिसे ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) कहा जाता है. इस समिति ने दिसंबर में लगभग 150 आइटम्स पर टैक्स रेट्स में बदलाव पर सहमति व्यक्त की थी.
GST Gift: केंद्र सरकार बजट 2025 में मिडिल क्लास को इनकम टैक्स में राहत देने के बाद अब GST में भी बड़ा तोहफा देने की तैयारी कर रही है. कहा जा रहा है कि GST दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए सरकार ने इसके ऊपर काम करना भी शुरू कर दिया है. वह इस प्रक्रिया में सभी राज्यों को शामिल करेगी. इसके लिए राज्य सरकारों के साथ बातचीत भी शुरू हो गई है.
न्यूज वेबसाइट Moneycontrol के मुताबिक, GST को तर्कसंगत बनाने की प्रक्रिया पहले से ही चल रही है. लेकिन केंद्र सरकार किसी भी बदलाव को अंतिम रूप देने से पहले राज्यों के बीच आम सहमति सुनिश्चित करना चाहती हैं. खास बात यह है कि यह कदम वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी को किए गए बजट घोषणा के बाद आया है, जिसमें उन्होंने 12 लाख रुपये तक की कमाई पर कोई इनकम टैक्स नहीं लगने का ऐलान किया था. साथ ही अन्य टैक्स स्लैब में भी बदलाव किया गया.
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राजस्व का नुकसान
वित्त मंत्री ने अपने भाषण में कहा था कि इन बदलावों के कारण सरकार को 1 लाख करोड़ रुपये का राजस्व का नुकसान उठाना पड़ सकता है. हालांकि, सरकार को आगामी फाईनेंशियल ईयर के लिए GST कलेक्शन में 10.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी की उम्मीद है, जो बजट में अनुमानित 10.1 फीसदी से नाममात्र अधिक है.
मंत्रिस्तरीय समिति का गठन
सरकार ने GST दरों को तर्कसंगत बनाने के लिए एक मंत्रिस्तरीय समिति का गठन किया था, जिसे ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (जीओएम) कहा जाता है. इस समिति ने दिसंबर में लगभग 150 आइटम्स पर टैक्स रेट्स में बदलाव पर सहमति व्यक्त की थी. जुलाई 2017 से अभी तक GST रेट स्ट्रक्चर में कई बार बदलाव किए गए हैं. शुरुआत में चार प्राइमरी टैक्स स्लैब – 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत के साथ डिजाइन किया गया था. इन बदलावों का उद्देश्य इंडस्ट्री की जरूरतों और रेवेन्यू कंसीडरेशन को संतुलित करना है.
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इकोनॉमिस्ट भी कर रहे मांग
ऐसे भी इकोनॉमिस्ट काफी समय से सिंपल GST स्ट्रक्चर की वकालत कर रहे हैं. इन इकोनॉमिस्ट्स का तर्क है कि कई टैक्स स्लैब के चलते विवाद पैदा हो रहा है. साथ ही इनका पालन करना भी एक चुनौती भरा काम है. वहीं, इंडस्ट्री लीडर्स को उम्मीद है कि GST दरों को तर्कसंग बनाने से टैक्स कलेक्शन के साथ-साथ बिजनेस करने में भी आसानी होगी.