त्‍योहारी सीजन में नहीं बढ़ेंगे खाने के तेल के दाम, सरकार ने कंपनियों को दिए ये निर्देश

खाद्य मंत्रालय का कहना है कि पहले से कम शुल्क पर आयातित तेल का स्‍टॉक करीब 30 लाख टन है जो 45 से 50 दिनों के लिए पर्याप्त है. ऐसे में कंपनियों को अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) बढ़ाने से बचना चाहिए.

केंद्र सरकार ने तेल कंपनियों से खाद्य तेल पर एमआरपी न बढ़ाए जाने को कहा है. Image Credit: freepik

अगले महीने से शुरू होने वाले त्‍योहारी सीजन में खाने के तेल की कीमतों पर नियंत्रण रखने के मकसद से सरकार ने अहम फैसला लिया है. केंद्र सरकार ने तेल कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे तेल का खुदरा मूल्य (MRP) न बढ़ाएं. यह कदम ऐसे समय उठाया गया जब सरकार ने हाल ही में खाद्य तेल के आयात शुल्क में बढ़ोतरी की थी, जिससे आशंका थी कि कहीं कंपनियां इसका बोझ आम नागरिकों पर न डाल दें. सरकार का कहना है कि उनके पास खाद्य तेल का पर्याप्‍त स्‍टॉक है.

खाद्य मंत्रालय का कहना है कि पहले से कम शुल्क पर आयातित तेल का स्‍टॉक करीब 30 लाख टन है जो 45 से 50 दिनों के लिए पर्याप्त है. ऐसे में कंपनियों को अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) बढ़ाने से बचना चाहिए. मंगलवार को खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा के सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए), इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईवीपीए) और सोयाबीन ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (एसओपीए) के प्रतिनिधियों के साथ मूल्य निर्धारण पर की गई बैठक के बाद सरकार ने यह निर्देश दिया है. सरकार की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि प्रमुख खाद्य तेल संघों को यह सलाह दी गई है कि जब तक 0 प्रतिशत और 12.5 प्रतिशत मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) पर मंगाया गया खाद्य तेल स्टॉक में है तब तक खाने के तेल का एमआरपी पहले जैसा ही रखा जाए.

सीमा शुल्‍क में की गई थी बढ़ोतरी

पिछले सप्ताह केंद्र सरकार ने घरेलू तिलहन कीमतों का समर्थन करने के लिए खाद्य तेलों पर सीमा शुल्क बढ़ा दिया था, जो इस महीने की 14 तारीख से लागू हो गया है. नए नियम के तहत कच्चे सोयाबीन तेल, कच्चे पाम तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर मूल सीमा शुल्क को शून्य से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है. इससे कच्चे तेलों पर प्रभावी शुल्क 27.5 प्रतिशत हो गया है. इसके अलावा रिफाइंड पाम तेल, सूरजमुखी तेल और सोयाबीन तेल पर सीमा शुल्क 12.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 32.5 प्रतिशत कर दिया गया.

इस वजह से शुल्‍क में किया इजाफा

सरकार देश में तेल के घरेलू मांग को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में बाहरी देशों से खाद्य तेलों का आयात करती है. आयात पर निर्भरता कुल जरूरतों का 50 प्रतिशत से ज्‍यादा है. खाद्य मंत्रालय के अनुसार आयात शुल्क बढ़ाने का निर्णय घरेलू तिलहन (जिन फसलों से खाद्य तेल निकलता है) किसानों को बढ़ावा देने के लिए किया गया है.