1 अप्रैल से GST टैक्सपेयर्स को करना होगा ये जरूरी काम, वरना नहीं मिलेगा इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ
एक्सपर्ट की माने तो आईआरपी पोर्टल पर 30 दिनों के भीतर ई-इनवॉइस अपलोड न करने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं. इनवॉइस को वैध नहीं माना जाएगा, जिससे प्राप्तकर्ता इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दावा करने से वंचित हो जाएगा. इससे व्यावसायिक संचालन भी बाधित हो सकता है.
गुड एंड सर्विस टैक्स नेटवर्क (जीएसटीएन) ने एक नया नियम पेश किया है. इस नए नियम के तहत 1 अप्रैल, 2025 से जीएसटी टैक्सपेयर्स की एक बड़े कैटेगरी के लिए चालान रजिस्ट्रेशन पोर्टल (आईआरपी) पर 30 दिनों से अधिक पुराने ई-चालान अपलोड करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. हालांकि, जीएसटी कानून के तहत, स्पेसीफाइड एनुअल टर्न ओवर (एएटीओ) वाले प्रोफेशनल्स को एक इलेक्ट्रॉनिक चालान (ई-चालान) तैयार करके आईआरपी पोर्टल पर अपलोड करना होता है. इससे खरीदार इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा कर सकता है. अपलोड करने के बाद चालान रेफरेंस नंबर (आईआरएन) और क्यूआर कोड तैयार हो जाता है.
जबकि, जीएसटीएन ने 5 नवंबर, 2024 को जारी एक परामर्श में कहा था कि 1 अप्रैल 2025 से, 10 करोड़ रुपये और उससे अधिक के एएटीओ वाले टैक्सपेयर्स को आईआरपी पोर्टल पर रिपोर्टिंग की तारीख से 30 दिनों से अधिक पुराने ई-चालान की रिपोर्ट (यानी पोर्टल पर अपलोड) करने की अनुमति नहीं होगी. यह प्रतिबंध सभी तरह के दस्तावेज़ (चालान/क्रेडिट नोट/डेबिट नोट) पर लागू होगा. इसके लिए आईआरएन तैयार किया जाना है. वर्तमान में, यह नियम केवल 100 करोड़ रुपये और उससे अधिक के एएटीओ वाले जीएसटी करदाताओं पर लागू होता है. हालांकि, 1 अप्रैल, 2025 से यह 10 करोड़ रुपये और उससे अधिक के एएटीओ वाले लोगों पर लागू होगा. यानी अब जीएसटी करदाताओं की बहुत बड़ी संख्या होगी.
30 दिनों में ही ई-इनवॉइस की करें रिपोर्ट
द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे में सवाल उठता है कि अगर ई-इनवॉइस को आईआरपी पोर्टल पर अपलोड नहीं किया जाता है तो क्या होगा? दरअसल, जीएसटीएन ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि अगर ई-इनवॉइस को इनवॉइस जनरेट होने की तारीख से 30 दिन बाद अपलोड किया जाता है तो जीएसटी पोर्टल उसे अपने आप खारिज कर देगा. जीएसटीएन ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि अगर कोई इनवॉइस 1 अप्रैल 2025 की तारीख का है तो उसे 30 अप्रैल 2025 के बाद रिपोर्ट नहीं किया जा सकता. इनवॉइस रजिस्ट्रेशन पोर्टल (आईआरपी) में बनाया गया वैलिडेशन यूजर को 30 दिन की अवधि के बाद ई-इनवॉइस की रिपोर्टिंग (यानी अपलोड) करने से रोकेगा. इसलिए, टैक्सपेयर्स के लिए यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि वे नई समय सीमा के तहत 30 दिन की अवधि के भीतर ही ई-इनवॉइस की रिपोर्ट करें.
भुगतने पड़ सकते हैं गंभीर परिणाम
एक्सपर्ट की माने तो आईआरपी पोर्टल पर 30 दिनों के भीतर ई-इनवॉइस अपलोड न करने के गंभीर परिणाम हो सकते हैं. इनवॉइस को वैध नहीं माना जाएगा, जिससे प्राप्तकर्ता इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का दावा करने से वंचित हो जाएगा. इससे व्यावसायिक संचालन भी बाधित हो सकता है, क्योंकि प्राप्तकर्ता और ट्रांसपोर्टर वैध ई-इनवॉइस के बिना माल लेने से मना कर सकते हैं. इसके अलावा, गैर-अनुपालन में जुर्माना भी लग सकता है. ऐसे में आप कर अधिकारियों की जांच के घेरे में आ जाएंगे.
ई-इनवॉइस अपलोड होने के बाद क्या होगा
ऐसे सामान्य प्रक्रिया के अनुसार, ई-इनवॉइस अपलोड होने के बाद, GSTN पोर्टल ऑटोमैटिक टैक्सपेयर्स को सूचित करता है कि विक्रेता द्वारा कोई GST देय है या खरीदार द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया जा सकता है. यदि ई-इनवॉइस समय पर अपलोड नहीं किया जाता है, तो इससे या तो लिंक किए गए कर भुगतान में देरी हो सकती है या इनपुट टैक्स क्रेडिट की अस्वीकृति हो सकती है. वहीं, कुछ मामलों में जहां लेनदेन GST से छूट प्राप्त है, न तो कर देय होगा और न ही इनपुट टैक्स क्रेडिट उपलब्ध होगा.