Haldiram परिवार की रंजिश खत्म! टेमसेक डील के बाद नागपुर और दिल्ली ब्रांड्स ने मिलाया हाथ

Haldiram के नागपुर और दिल्ली ब्रांड्स के बीच सालों से चला आ रहा विवाद आखिरकार खत्म हो गया। Temasek के 10 फीसदी निवेश के बाद कंपनी ने विलय की औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं. जानें इस फैसले से Haldiram के बिजनेस पर क्या असर पड़ेगा.

नागपुर और दिल्ली ब्रांड्स के विलय के बाद कंपनी को मिला नया रूप Image Credit: Money9 Live

Haldiram Delhi and Nagpur merger: भारत के सबसे बड़े स्नैक ब्रांड Haldiram Snacks Food ने बीते दिनों एक बड़ी डील फाइनल की. सिंगापुर की सरकारी निवेश फर्म Temasek Holdings ने कंपनी में 10 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने का करार किया है, जिससे हल्दीराम की कुल वैल्यूएशन 10 बिलियन डॉलर (84,000 करोड़ रुपये) हो गई है. इस डील के तहत, अग्रवाल परिवार 9 फीसदी हिस्सेदारी बेच रहा है, जबकि अतिरिक्त 5 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री को लेकर अभी बातचीत चल रही है. इस डील का असर केवल कंपनी के हिस्सेदारी और वैल्यूएशन पर नहीं पड़ा बल्कि वर्षों से चल रहे परिवार के तकरार पर भी सुलह का काम किया.

Haldiram की दो कंपनियों का विलय, नई पहचान मिलेगी

इस डील के साथ ही हल्दीराम के दो प्रमुख ब्रांड – नागपुर स्थित Haldiram Foods और दिल्ली स्थित Haldiram Snacks अब एक हो रहे हैं. यह विलय नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की मंजूरी के बाद किया गया है. इस नए कदम से हल्दीराम की मार्केट पोजिशन और मजबूत होगी, जिससे इसका विस्तार और भी आसान होगा.

हल्दीराम भारत के ट्रेडिशनल स्नैक्स का सबसे बड़ा ब्रांड है और भारतीयों के बीच इसकी जबरदस्त मांग है. कंपनी के उत्पादों में भुजिया, नमकीन, मिठाइयां, रिटेल स्टोर्स और रेस्तरां शामिल हैं. यही वजह है कि Temasek Holdings ने इसमें निवेश करने का फैसला किया.

IPO की तैयारी और Haldiram की ग्रोथ प्लानिंग

इकोनॉमिक टाइम्स के रिपोर्ट के मुताबिक, यह हिस्सेदारी बिक्री हल्दीराम के संभावित IPO की दिशा में पहला कदम हो सकता है. कंपनी इस सौदे के जरिए अपने विस्तार और नई कैटेगरी में एंट्री की योजना बना रही है. यह कदम भारत के FMCG सेक्टर में बढ़ रही M&A (मर्जर और एक्विजिशन) गतिविधियों के अनुरूप है, जहां बड़ी कंपनियां छोटे ब्रांड्स को अधिग्रहित कर रही हैं.

पहले भी हुई थी निवेश की कोशिशें

इससे पहले अमेरिकी निवेश दिग्गज Blackstone Inc. ने भी Haldiram में हिस्सेदारी खरीदने में रुचि दिखाई थी, लेकिन डील फाइनल नहीं हो सकी. शुरुआत में, हल्दीराम अपनी अधिकांश हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रहा था लेकिन बाद में कंपनी को परिवार के नियंत्रण में रखने का फैसला लिया गया.

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भारत के FMCG सेक्टर में अभी मर्जर और अधिग्रहण की लहर चल रही है. बड़े ब्रांड्स D2C (डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर) स्टार्टअप्स और मसाला कंपनियों के अधिग्रहण के बाद स्नैक इंडस्ट्री में निवेश बढ़ा रहे हैं. Haldiram के इस सौदे से अन्य बड़े निवेशकों का ध्यान भी भारतीय स्नैक्स इंडस्ट्री की ओर जाएगा.