TATA Play के CEO पर भड़के लोग, ‘कर्मचारियों को किराए पर लेने’ की सोच पर छिड़ा विवाद

टाटा प्ले के सीईओ हरित नागपाल की एक हालिया पोस्ट ने सोशल मीडिया पर एक नई बहस को छेड़ दी है. जहां लोगों ने उनके आईडिया की तारीफ की वहीं कुछ लोग व्यक्ति के लिए रेंट शब्द के इस्तेमाल से आहत दिखें.

TATA Play Ltd. के CEO हरित नागपाल Image Credit: TATA/FreePik

TATA Play Ltd. के मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO हरित नागपाल की हालिया लिंक्डइन पोस्ट ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है. इस पोस्ट में उन्होंने कर्मचारियों की भर्ती के लिए “किराए पर लें” (Rent People) जैसे शब्द का इस्तेमाल किया अपने पोस्ट में उन्होंने कंपनियों को यह सलाह दी कि वे कर्मचारियों को उनके पिछले अनुभव, विश्वास और नजरिए के साथ स्वीकार करें और उन्हें अपनी क्षमता का पूरा इस्तेमाल करने की स्वतंत्रता दें. लेकिन “किराए पर लेना” जैसे शब्द ने कई पाठकों को असहज कर दिया और इसे लेकर सकारात्मक और नकारात्मक प्रतिक्रियाएं सामने आईं.

पोस्ट में क्या लिखा?

हरित नागपाल ने अपनी पोस्ट में लिखा, “कैरियर मत बनाइए. लोगों को किराए पर लें. यह उनका पहला काम नहीं है. वे यहां सेवानिवृत्त नहीं होंगे. उन्हें अपने विश्वासों और नजरिए को साथ लानें की अनुमति दें.उन्हें वह करने दें जो वे पहले कहीं और नहीं कर सके. जैसे-जैसे उनका ज्ञान और आत्मविश्वास बढ़ेगा, वह उड़ना सीखेंगे और आपको भी ऊंचाई पर ले जाएंगे और जब वे जाएंगे, तो वह दूसरों को आपके साथ जुड़ने के लिए प्रेरित करेंगे.”

कुछ ने की तारीफ, कुछ ने उठाए सवाल

इस बयान पर जहां कुछ लोगों ने उनकी सोच की सराहना की, वहीं कई लोग “किराए पर लें” जैसे शब्दों से असहज दिखे.

एक यूजर ने पोस्ट पर कमेंट करते हुए लिखा की, “हरित, आपकी सोच प्रेरणादायक है. ‘किराए पर लेना’ कर्मचारियों और कंपनी दोनों की साथ बढ़ने के पहलू पर ध्यान केंद्रित करता है. यह ट्रस्ट और इनोवेशन को बढ़ावा देता है.” वहीं, एक अन्य ने लिखा “आपका दृष्टिकोण अनूठा है. ‘टैलेंट किराए पर लेना’ कंपनियों को नए तरीके से सोचने की प्रेरणा देता है. यह लॉन्ग-टर्म लॉयल्टी से परे जाकर निरंतर सीखने और ग्रोथ पर फोकस करता है.”

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दूसरी ओर कुछ लिंक्डइन यूजर्स ने “किराए पर लें” शब्द पर आपत्ति जताई. एक ने कहा, “हरित, आपकी सोच उत्तेजक है लेकिन ‘किराए’ शब्द कर्मचारियों को संपत्ति जैसा दिखाता है. तो ऐसे में हमें ‘रेंटल माइंडसेट’ को बढ़ावा नहीं देना चाहिए. एक अच्छे लीडर को अपनी टीम को पोषित और सशक्त करना चाहिए.” एक अन्य ने लिखा, “‘किराए’ शब्द कठोर लगता है. यह बिजनेस गोल्स के साथ मेल खा सकता है लेकिन भावी पीढ़ियों को प्रोत्साहित करने के विचार से नहीं.”

टैलेंट मैनेजमेंट पर बहस

हरित नागपाल की पोस्ट ने टैलेंट मैनेजमेंट पर एक व्यापक बहस छेड़ दी है. यह चर्चा इस बात पर केंद्रित है कि कंपनियां अपने व्यावसायिक उद्देश्यों और कर्मचारियों के लॉन्ग टर्म डेवलपमेंट के बीच कैसे संतुलन बनाएं.