अडानी को एक नहीं बार-बार झटका दे चुकी है हिंडनबर्ग, ऐसे डुबोए थे अरबों रुपये

अडानी ग्रुप पर निशाना साधने वाली अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग खुद अपना बोरिया बिस्‍तर समेटने वाली है. इसने अपनी रिपोर्ट से सनसनी मचा दी थी. इसकी नेगेटिव रिपोर्ट के चलते अडानी के अरबों रुपये डूब गए थे.

हिंडनबर्ग रिसर्च हो रही बंद Image Credit: freepik

Hindenburg Research attack on Adani: अडानी ग्रुप के लिए मुसीबत खड़ी करने वाली शॉर्ट-सेलिंग हिंडनबर्ग रिसर्च अब खुद अपना बोरिया-बिस्‍तर समेट रही है. इस बात का खुलासा खुद हिंडनबर्ग रिसर्च के फाउंडर नाथन एंडरसन ने किया है. उन्‍होंने सोशल मीडिया X पर इस सिलसिले में पोस्‍ट करके इसे बंद करने की वजह भी बताई. अपनी रिसर्च रिपोर्ट से अक्‍सर लोगों को चौंकाने वाले हिंडनबर्ग ने अडानी को एक नहीं बार-बार झटके दिए हैं, जिसके चलते दिग्‍गज अरबपति गौतम अडानी के अरबों रुपये डूब गए थे. तो कितनी बार इस अमेरिकी कंपनी ने अडानी को दिया झटका यहां देखें टाइमलाइन.

2023 में किया था पहला वार

अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप पर सबसे पहला वार 24 जनवरी 2023 को किया था. अमेरिकी फर्म ने अडानी ग्रुप पर शेयरों की ओवरप्राइसिंग और अकाउंट में हेर-फेर समेत कई गंभीर आरोप लगाए थे. हिंडनबर्ग के इस नेगेटिव रिपोर्ट से अडानी समूह के शेयरों में कोहराम मच गया था. 27 जनवरी को शेयर बाजार के खुलते ही अडानी के सारे शेयर धड़ाम हो गए थे. चंद घंटों के अंदर ही अडानी समूह ने 11,62,030.29 करोड़ रुपये गंवा दिए थे. अडानी समूह का मार्केट कैप एक दिन के कारोबार में ही 25 लाख करोड़ तक गिर गया था.

कितने डूबे थे रुपये?

हिंडनबर्ग रिसर्च की नेगेटिव रिपोर्ट से बाजार में कल्तेआम मच गया था. उस वक्‍त अडानी समूह का मार्केट कैप 140 अरब डॉलर तक गिर गया था. इस रिपोर्ट से न सिर्फ अडानी समूह बल्कि खुद गौतम अडानी को भी तगड़ा झटका लगा था. वे अपनी संपत्ति का बड़ा हिस्सा गंवा चुके थे. फोर्ब्स बिलेनियर की लिस्ट के मुताबिक इस रिपोर्ट के आने से पहले गौतम अडानी का नेटवर्थ 120 अरब डॉलर के करीब था और वो दुनिया के तीसरे सबसे अमीर उद्योगपति थे, लेकिन रिपोर्ट के बाद उनकी संपत्ति गिरती चली गई. उनके 60 अरब डॉलर डूब गए और वो अरबपतियों की लिस्‍ट में खिसककर 25वें पायदान पर पहुंच चुके थे.

सेबी से सांठगांठ का लगया था आरोप

2024 में हिंडनबर्ग ने अडानी पर दोबारा हमला बोला. इस बार रिसर्च फर्म ने सेबी के जरिए अडानी ग्रुप को घेरने की कोशिश की थी. आरोप लगाया कि व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों से पता चला है कि सेबी अध्यक्ष की अडानी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल की गई अस्पष्ट ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी थी. सेबी अध्‍यक्ष की अडानी ग्रुप में हिस्‍सेदारी के चलते जांच में देरी की गई. हालांकि 11 अगस्त 2024 को सेबी प्रमुख ने हिंडनबर्ग रिसर्च के इन दावों का खंडन किया था.