अक्‍टूबर में 20 फीसदी महंगी हुई वेज थाली, नॉन-वेज थाली ने भी की पॉकेट ढीली

घर के बने खाने की कीमत में पिछले साल के मुताबिक इस अक्टूबर में 20 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है. वहीं दूसरी ओर नॉन-वेज थाली जिसकी कीमत में पिछले 12 महीने से लगातार गिरवाट आ रही थी, उसमें भी 5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की है.

वेज थाली की कीमत में हुई बढ़ोतरी Image Credit: @Tv9

पिछले साल यानी 2023 के मुकाबले इस साल के अक्टूबर में घर के बने खाने में 20 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है. वहीं, 12 महीने से लगातार घट रहे नॉन-वेज थाली की कीमत में भी बढ़ोतरी देखी गई है. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स ने अपने एक रिपोर्ट में बताया कि नॉन-वेज थाली की कीमत में इस बार 5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

क्यों बढ़ी कीमत?

क्रिसिल के रोटी राइस रेट (RRR) के रिपोर्ट की मानें तो घर के खाने की बढ़ी कीमत का मुख्य कारण त्यौहारी सीजन में सब्जी और कुकिंग ऑयल की लगातार बढ़ रही प्राइस है. बता दें कि एलपीजी सिलेंडर की कीमत में आई गिरावट के कारण थाली की कीमत में बहुत ज्यादा वृद्धि नहीं देखी गई है. रिपोर्ट के मुताबिक सिलेंडर की कीमत में 11 फीसदी की गिरावट आई है. पिछले साल के सितंबर में दिल्ली में 14.2 किलो के एलपीजी सिलेंडर की कीमत 903 रुपये थी जो इस साल के मार्च तक कम होकर 803 रुपये हो गई.

अधिक बारिश ने खराब किया फसल

क्रिसिल MI&A रिसर्च के डायरेक्टर पुशन शर्मा ने कहा, “वेजिटेरियन थाली की कीमत में तकरीबन 40 फीसदी की आई बढ़ोतरी का कारण बढ़ते हुए सब्जियों के दाम हैं.” शर्मा ने सब्जियों की बढ़ती कीमत के पीछे का कारण भी बताया. उन्होंने कहा कि सितंबर में हुई अधिक बारिश के कारण कई राज्यों में खरीफ के फसलों में देरी हुई है. हालांकि क्रिसिल के रिपोर्ट के मुताबिक इन सब्जियों की सप्लाई में बढ़ोतरी होने के आसार हैं. नवंबर में मध्य प्रदेश, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों से सब्जियों की सप्लाई बढ़ेगी जिसके बाद उनकी कीमत सामान्य हो जाएंगी.

दालों की कीमत ने भी बढ़ाया दाम

रिपोर्ट में दालों की बढ़ी कीमत को भी वेज थाली की कीमत में बढ़ोतरी का अहम कारण बताया गया. रिपोर्ट के मुताबिक, “दाली की कीमत, जो कि सब्जी थाली की लागत का 9 फीसदी हिस्सा होता है, उसके शुरुआती स्टॉक में 11 फीसदी की कमी आई है साथ ही पाइपलाइन में भी स्टॉक कम था. इन्हीं कारणों से थाली की कीमत में 11 फीसदी की बढ़त आई है. हालांकि नई फसल की उपलब्धता शुरू होने के बाद दिसंबर से उनकी कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद है.”