बॉलीवुड का खतरनाक विलेन बना बियर किंग, विजय माल्या को किया आउट

डैनी डेन्जोंगपा बॉलीवुड के सबसे खतरनाक विलेन में से एक थे लेकिन एक ऐसी दुनिया में उन्होंने बाजी मारी, जहां विजय माल्या जैसे दिग्गज खेल रहे थे. एक नई भूमिका में डैनी डेन्जोंगपा ने ऐसी पारी खेली जो सबको चौंका गई.

डैनी डेन्जोंगपा Image Credit: Money9 Live

80 के दशक की फिल्मों में जब भी डैनी डेन्जोंगपा का नाम आता, दर्शक समझ जाते कि हीरो को टक्कर देने वाला विलेन दमदार होगा. पर्दे पर उनकी एंट्री का इंतजार उतना ही होता था जितना किसी हीरो का. लेकिन उनकी असली जिंदगी का एक और किरदार है जो पर्दे के बाहर उतना ही दिलचस्प है. स्क्रीन पर खलनायक का किरदार निभाने वाले डैनी ने असल जिंदगी में एक ऐसा साम्राज्य खड़ा किया, जहां उन्होंने बियर की दुनिया में ‘किंग ऑफ गुड टाइम्स’ कहे जाने वाले विजय माल्या को मात दे दी. बॉलीवुड के सबसे चर्चित विलेन ने बियर इंडस्ट्री में खुद को एक हीरो साबित कर दिया.

बियर बिजनेस में डैनी की एंट्री

सिक्किम के छोटे से गांव युकसोम में 1948 में जन्मे डैनी का असली नाम छेरिंग फिंत्सो डेंज़ोंगपा है. उन्होंने ने 1971 में फिल्म ‘जरूरत’ से बॉलीवुड में कदम रखा. 1980 और 90 के दशक में उन्होंने हिंदी सिनेमा में ‘विलेन’ के किरदारों से खूब नाम कमाया. लेकिन 1987 में उन्होंने अपने फिल्मी सफर के साथ-साथ एक नया अध्याय शुरू किया. सिक्किम में उन्होंने ‘युक्सोम ब्रुअरीज’ की स्थापना की. यह कंपनी उनके गृह राज्य के नाम पर थी. इस कदम के साथ डैनी ने बियर इंडस्ट्री में कदम रखा और धीरे-धीरे अपने बिजनेस का विस्तार करते हुए 2005 में ओडिशा में डेंजोंग ब्रुअरीज और 2009 में असम की ‘राइनो एजेंसीज’ को खरीद लिया. Tracxn के डेटा के मुताबिक, साल 2022 में डेंजोंग ब्रुअरीज का सलाना टर्नओवर 2 मिलियन डॉलर था.

युक्सोम ब्रुअरीज ने अपनी रणनीति से पूर्वोत्तर भारत में बियर इंडस्ट्री के बाजार का 60 फीसदी हिस्सा कब्जा कर लिया. आज युक्सोम ब्रुअरीज देश की तीसरी सबसे बड़ी भारतीय बियर कंपनी है. इसके आगे केवल किंगफिशर और किमाया हैं जबकि विदेशी ब्रांड जैसे होगार्डन, बडवाइजर और कार्ल्सबर्ग भी ज्यादा प्रोडक्शन करते हैं.

विजय माल्या से आमने सामने

2009 का साल भारत की बियर इंडस्ट्री के लिए बदलाव का साल साबित हो रहा था. विजय माल्या की यूनाइटेड ब्रुअरीज ने लगभग पूरे देश में अपनी पकड़ बना ली थी लेकिन पूर्वोत्तर का बाजार उनके लिए अब तक अनछुआ था. इसी बीच माल्या की नजर असम की राइनो एजेंसीज पर पड़ी. माल्या का इरादा इस ब्रुअरी को खरीदकर पूर्वोत्तर बाजार पर कब्जा जमाने का था.

लेकिन डैनी ने माल्या की इस योजना पर पानी फेर दिया. एमएसएन के रिपोर्ट के मुताबिक, जैसे ही उन्हें माल्या के इरादों का पता चला उन्होंने खुद राइनो एजेंसीज को खरीद लिया. इस फैसले से न केवल युक्सोम ब्रुअरीज ने पूर्वोत्तर में अपनी स्थिति मजबूत की बल्कि माल्या को उस बाजार से पूरी तरह बाहर कर दिया. आज भी यूनाइटेड ब्रुअरीज पूर्वोत्तर में उत्पादन नहीं करती और यह बाजार डैनी के प्रभाव क्षेत्र में बना हुआ है.

यह भी पढ़ें: 100 साल पुरानी Keventers क्या करती है, जहां पहुंचे राहुल गांधी, अंग्रजों ने किया था सपोर्ट

पूर्वोत्तर में युक्सोम ब्रुअरीज का योगदान

डैनी का यह बिजनेस केवल मुनाफे तक सीमित नहीं है. युकसोम ब्रुअरीज ने स्थानीय लोगों को रोजगार देकर सिक्किम और आसपास के राज्यों की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान दिया है. 2022 में सिक्किम एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्वोत्तर में डैनी के ब्रुअरीज 250 से अधिक लोगों को रोजगार देती हैं और हर साल लगभग 100 करोड़ रुपये का योगदान स्थानीय अर्थव्यवस्था में करती हैं.

फिल्मों से दूरी, बिजनेस पर फोकस

डैनी ने हाल के वर्षों में फिल्मों से थोड़ा किनारा कर लिया है और अपने बिजनेस पर अधिक ध्यान दिया है. हालांकि, वह बड़े प्रोजेक्ट्स में नजर आते रहते हैं. 2015 की फिल्म बेबी और इसके स्पिन-ऑफ नाम शबाना में उनकी प्रेजेंस को खूब सराहा गया. 2022 में उन्होंने अमिताभ बच्चन, अनुपम खेर और बोमन ईरानी स्टारर फिल्म ऊंचाई में एक छोटा लेकिन अहम किरदार निभाया.