औरंगजेब के पास कितना था सोना, वो सिक्का जो 56 लाख में बिका, जानें कहां गया खजाना
औरंगजेब के शासनकाल में सोने के सिक्कों को 'गोल्ड मोहर' कहा जाता था. मुगल खजाने में अरबों की संपत्ति थी. यह दिखाते हैं कि मुगलों के पास कितनी संपत्ति थी. एक सोने की मोहर का वजन करीब 11 ग्राम होता था.
Aurangzeb Gold Reserve: महाराष्ट्र की राजनीति में मुगल शासक औरंगजेब को लेकर पिछले कई दिनों से अच्छी-खासी बहस छिड़ी हुई है. टीवी चैनलों से लेकर सोशल मीडिया पर औरंगजेब के शासन को लेकर इतिहास के पन्नों को उलट-पलट कर तमाम तरह के तर्क दिए जा रहे हैं. मुगलों के खजानों से लेकर उनके शासनकाल की घटनाओं को लेकर लगातार बहस हो रही है. हालांकि, ध्यान देने वाली बात यह है कि पुराने मुगल सिक्के आज भी लाखों में बिकते हैं और इससे यह सवाल उठता है कि मुगलों के पास असल में कितना खजाना था? क्या यह लूट लिया गया या फिर आज भी किसी न किसी रूप में मौजूद है? खासकर औरंगजेब, जो करीब 50 सालों तक भारत का शासक रहा, उसके पास कितनी संपत्ति थी. यह हमेशा से इतिहासकारों के लिए एक दिलचस्प विषय रहा है. आइए जानते हैं.
औरंगजेब के समय के सोने के सिक्के
औरंगजेब के खजाने की बात करें तो उसके शासनकाल में जारी किए गए सोने के सिक्के, जिन्हें ‘गोल्ड मोहर’ कहा जाता था, यह दिखाते हैं कि मुगलों के पास कितनी संपत्ति थी. एक सोने की मोहर का वजन करीब 11 ग्राम होता था. मुगल सम्राट द्वारा जारी एक दुर्लभ सोने के सिक्के को बेंगलुरू में मुद्राशास्त्रीय नीलामी घर मरुधर आर्ट्स द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में 56 लाख रुपये में नीलामी की गई. यह सिक्का 1081 हिजरी वर्ष में आलमगीरपुर टकसाल से जारी हुआ था और इसका वजन 10.9 ग्राम था.
कितनी थी मुगलों की संपत्ति?
कई इतिहासकारों का मानना है कि मुगलों के पास इतना सोना था कि अगर उसे आज के मूल्यों पर आंका जाए, तो वह खरबों रुपये के बराबर होगा. उदाहरण के लिए, शाहजहां के समय में खजाने की अनुमानित कीमत 3,000 मिलियन रुपये यानी 300 करोड़ रुपये आंकी गई थी, जबकि उसी समय ब्रिटेन के राजा हेनरी सप्तम के पास केवल 18 लाख पाउंड की संपत्ति थी. हालांकि, सवाल उठता है कि मुगलों का यह अपार खजाना कहां गया? कुछ मान्यताओं के अनुसार, इसे लूट लिया गया, खासकर नादिर शाह द्वारा, जो दिल्ली से मयूर सिंहासन और कई कीमती रत्नों को अपने साथ ले गया. वहीं, कुछ लोगों का दावा है कि यह खजाना दिल्ली, आगरा, लाहौर और जयपुर के सर्राफों के पास गिरवी रखा गया था. आज मुगलों का खजाना भले ही दिखाई नहीं देता, लेकिन उनके द्वारा जारी किए गए सोने के सिक्के नीलामी बाजार में लाखों-करोड़ों में बिकते हैं.
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