पाकिस्तान एयरलाइंस के बुरे दिन, खरीदने को नहीं कोई तैयार, कोलकाता से है नाता
मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान की मांग को अंतिम रूप देने में जुटे थे. देश में अस्थिरता का माहौल था. इस बीच जून 1946 में कोलकाता में एक एयरलाइन की नींव पड़ी. नाम रखा गया ओरिएंट एयरवेज.
पाकिस्तान अपनी इंटरनेशनल एयरलाइंस को बेचने की कोशिश में जुटी है. लेकिन फिलहाल इसे कोई खरीदार नहीं मिल रहा. पाकिस्तान एयरलाइंस की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी. पाकिस्तान की सरकार ने इसे कैसे शुरू किया था…. आइए जान लेते हैं.
बात हिंदुस्तान की आजादी और पाकिस्तान के मु्ल्क बनने से करीब एक साल पहले की है. अंग्रेजी हुकूमत हिंदुस्तान से अपने लाव-लश्कर समेट रही थी और मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान की मांग को अंतिम रूप देने में जुटे थे. देश में अस्थिरता का माहौल था. इस बीच जून 1946 में कोलकाता में एक एयरलाइन की नींव पड़ी. नाम रखा गया ओरिएंट एयरवेज. इसे मिर्जा अहमद इस्पहानी और आदमजी हाजी दाऊद ने शुरू किया था. कहा जाता है कि मोहम्मद अली जिन्ना ने कहने पर ही मिर्जा अहमद इस्पहानी और आदमजी हाजी ने एयरलाइन के कारोबार में कदम रखा. फिर एयरलाइन की पहली फ्लाइट ने कलकत्ता-अक्याब-रंगून रूट पर उड़ान भरी और फिर कारोबार की शुरुआत हो गई.
ओरिएंट ने चुना पाकिस्तान
लेकिन फिर कुछ ही महीनों बाद हिंदुस्तान बंटा और दुनिया के मानचित्र पर पाकिस्तान मुल्क के रूप में दर्ज हुआ. चूंकि जिन्ना के कहने पर ही मिर्जा अहमद इस्पहानी और आदमजी हाजी ने ओरिएंट एयरवेज की शुरुआत की थी, तो उन्होंने भी अपने कारोबार के लिए नए मुल्क को चुना. जब पाकिस्तान में सरकार बनी, तो उसे एक नेशनल एयरलाइन की जरूरत महसूस हुई. फिर पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइन की नींव पड़ी और फिर वो साल भी आया जब भारत में बनी ओरिएंट एयरलाइन का विलय पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइन में हो गया. नाम दिया गया पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइन कॉरपोरेशन.
पहली उड़ान
23 अक्टूबर 1946 को कोलकाता में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में रजिस्टर्ड, ओरिएंट एयरवेज लिमिटेड के चेयरमैन एम.ए. इस्पहानी और महाप्रबंधक एयर वाइस मार्शल ओ.के. कार्टर थे. नई एयरलाइन का बेस कोलकाता था और मई 1947 में इसे ऑपरेशनल लाइसेंस मिला. फरवरी 1947 में टेक्सास के टेम्पो से चार डगलस डीसी-3 खरीदे गए और 4 जून 1947 को परिचालन शुरू हुआ. ओरिएंट एयरवेज के लिए निर्धारित रूट कोलकाता-अक्याब-रंगून था. यह भारत में रजिस्टर्ड एयरलाइन के लिए युद्ध के बाद पहला इंटरनेशनल रूट था. ओरिएंट एयरवेज की कारोबार शुरुआत की शुरुआत दो महीने के भीतर ही पाकिस्तान का जन्म हुआ.
कराची और ढाका के बीच की उड़ान
ओरिएंट एयरवेज ने पाकिस्तान सरकार द्वारा किराए पर लिए गए BOAC विमानों की मदद से राहत कार्य, दिल्ली और कराची, दोनों राजधानियों के बीच लोगों के लाने-ले जाने का काम शुरू किया. इसके बाद ओरिएंट एयरवेज ने अपना बेस पाकिस्तान में ट्रांसफर कर दिया. फिर पाकिस्तान के दो हिस्सों की दो राजधानियों कराची और ढाका के बीच एक महत्वपूर्ण संपर्क स्थापित किया. सिर्फ़ दो DC-3s, तीन क्रू मेंबर और 12 मैकेनिक्स के एक बेड़े के साथ, ओरिएंट एयरवेज ने अपने ऑपरेशन को एक परीकथा की तरह शुरू किया.
सरकार के साथ मर्जर
शुरुआती रूट कराची-लाहौर-पेशावर, कराची-क्वेटा-लाहौर और कराची-दिल्ली कलकत्ता-ढाका थे. 1949 के अंत तक ओरिएंट एयरवेज ने 10 DC-3s और 3 Convair 240s विमान अपने बड़े में शामिल कर लिए. 1950 में यह स्पष्ट हो गया था कि उपमहाद्वीप की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए कैपिसिटी को बढ़ाना होगा.
ओरिएंट एयरवेज एक प्राइवेट कंपनी थी, जिसके पास सीमित पूंजी और संसाधन थे. इससे स्वतंत्र रूप से बढ़ने और विस्तार करने की उम्मीद नहीं की जा सकती थी. तभी पाकिस्तान सरकार ने एक सरकारी एयरलाइन बनाने का फैसला किया और ओरिएंट एयरवेज को इसके साथ विलय करने के लिए आमंत्रित किया. विलय का नतीजा 10 जनवरी 1955 को PIAC अध्यादेश 1955 के जरिए एक नई एयरलाइन का जन्म था.
पाकिस्तान एयरलाइन की इंटरनेशनल उड़ान
एयरलाइन ने ओवरहाल और रखरखाव सुविधाओं का सेंटर स्थापित किए थे. प्रशिक्षित पायलट, इंजीनियर और टेक्नेशियन को रखा था. PIA के लिए शुरुआती दौर में ये एक बड़ी संपत्ति साबित हुए. साल 1955 में इस नई एयरलाइन की पहली इंटरनेशनल सर्विस की शुरुआत की. एयरलाइन का विमान काहिरा और रोम होते हुए लंदन पहुंचा. 1955 में लॉन्च होने के बाद पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइन एविएशन इंडस्ट्री में सबसे तेजी से बढ़ने वाली एयरलाइनों में से एक थी. हालांकि, बाद के दशकों में PIA ने खराब प्रबंधन और परिचालन संबंधी मुद्दों से लेकर राजनीतिक दखल और गहरी प्रतिस्पर्धा के चलते गिरावट देखी.
क्यों बर्बादी के कगार पर पहुंची एयरलाइन
पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस को वित्तीय कठिनाइयों, सुरक्षा चिंताओं और राजनीतिक दखल समेत कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. वित्तीय चुनौतियां पिछले दो दशकों में PIA को 3.6 अरब डॉलर से अधिक का नुकसान हुआ है. PIA सरकारी बेलआउट पर भी बहुत अधिक निर्भर हो गई, जिससे आवश्यक सुधारों को अंजाम नहीं दिया जा सका. अब सरकार PIA को विदेशी निवेशकों को बेचने की कोशिश कर रही है. हालांकि, एयरलाइन की वित्तीय देनदारियों, पुराने बेड़े और परिचालन संबंधी कठिनाइयों के कारण बोलीदाताओं ने बिक्री से हाथ खींच लिए हैं.