Lakme के पीछे था इस शख्‍स का दिमाग, विदेश जा रहा था पैसा, फिर मिलाया टाटा ने हाथ, बदल गई महिलाओं की दुनिया

मशहूर कॉस्‍मेटिक ब्रांड lakme जितना खास है उसकी शुरुआत उतनी ही दिलचस्‍प है. इसकी शुरुआत में टाटा समेत एक और शख्‍स का अहम योगदान था. भारत में इसकी नींव रखने से लेकर इसे पॉपुलर बनाने में कई फेरबदल किए गए. तो कैसे बना ये महिलाओं का पसंदीदा ब्रांड आइए जानते हैं.

कैसे हुई lakme की शुरुआत, यहां जानें दिलचस्‍प किस्‍सा Image Credit: money9

How Lakme Started: पहली डेट हो या कॉन्वोकेशन, शादी हो या कोई नॉर्मल पार्टी, हर मौके को खास बनाने के लिए महिलाओं को Lakme ध्‍यान आता है. बरसों से लोगों के दिलों पर राज करने वाले लैक्‍मे का जादू अब भी बरकरार है. यही वजह है कि ये टॉप कॉस्‍मेटिक ब्रांड्स में से एक बना हुआ है. हर घर तक अपनी पहुंच बनाने वाले लैक्‍मे को आज हर कोई जानता है, लेकिन क्‍या आपको पता है इसकी शुरुआत आखिरकार कैसे हुई थी. कैसे इसने मार्केट में अपनी जगह बनाई थी और किसके दिमाग में इसे लॉन्‍च करने का आइडिया आया था. आज हम आपको इन्‍हीं सबके बारे में विस्‍तार से बताएंगे.

कैसे पड़ी Lakme की नींव?

लैक्‍मे की शुरुआत में पंडित जवाहर लाल नेहरू और JRD टाटा का बड़ा हाथ रहा है. 1950 का दशक था. आजादी के बाद इंडिया नया-नया विकसित हो रहा था ऐसे में इकोनॉमी की हालत ज्‍यादा बेहतर नहीं थी. उस वक्त देश की मिडिल और अपर क्लास की महिलाएं मेकअप प्रोडक्‍ट्स पश्चिमी देशों से मंगा रही थीं, जिससे देश का पैसा बाहरी देशों में जा रहा था. ये बात पंडित्‍ नेहरू को खटकी. उन्होंने अपने करीबी दोस्‍त JRD टाटा से इसका हल निकालने को कहा और जोर दिया कि वो कोई ऐसा कॉस्‍मेटिक ब्रांड तैयार करें तो भारत की महिलाओं को सस्‍ते में बेहतर कॉस्‍मेटिक्‍स मुहैया कराए. तभी टाटा ने Lakme ब्रांड की नींव रखने का मन बनाया था.

लैक्‍मे में सिमोन टाटा की रही अहम भूमिका

1952 में लैक्‍मे को टाटा ऑयल मिल्स की सब्सिडियरी बनाकर शुरू किया गया. साल 1961 में नवल टाटा की पत्नी सिमोन टाटा इसमें मैनेजिंग डायरेक्टर बनीं और 1982 में इसकी चेयरपर्सन नियुक्‍त हुईं. सिमोन यूरोपियन थीं, तो उन्हें पता था कि देसी स्किन और स्टाइल के लिए क्या करना चाहिए. उनकी समझ और स्टाइल ने लैक्‍मे को हर घर का कॉमन नाम बना दिया. वो कॉर्पोरेट की “क्वीन” कहलाईं और दुनिया में अपनी छाप छोड़ी.

टाटा से हिंदुस्तान यूनिलीवर तक

टाटा ने 1996 में Lakme को 200 करोड़ में हिंदुस्तान यूनिलीवर को बेच दिया. यूनिलीवर का ग्लोबल एफएमसीजी तजुर्बा लैक्‍मे के लिए गेम-चेंजर साबित हुआ. 2014 में ब्रांड ट्रस्ट रिपोर्ट में लक्मे 36वें नंबर पर था और आज भी ये लोगों का भरोसेमंद बना हुआ है.

दिल्‍चस्‍प है Lakme के नाम की कहानी

लैक्‍मे ब्रांड अपने आप में खास होने के साथ अपने नाम की वजह से भी खूब चर्चाओं में रहा है. टाटा चाहते थे कि लैक्‍मे का नाम भारतीय हो और हिंदुस्‍तानी महिलाओं को आकर्षित करें. लिहाजा उन्‍होंने सुंदरता और ऐश्‍वर्य की देवी मां लक्ष्‍मी पर आधारित इसका नाम रखा. हालांकि एक ब्रांड के तौर पर इसे विकसित करने और अपने फ्रेंच पार्टनर के प्रस्‍ताव पर इसे दो देशों पर भी आधारित किया गया. ऐसे में ब्रांड का नाम पेरिस में मशहूर एक ओपेरा से भी प्रेरित है.

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फैशन वीक और सैलून में दिखाया दम

लैक्‍मे अब सिर्फ मेकअप तक नहीं सिमटा हुआ है, बल्कि इसने अपना विस्‍तार किया है. लैक्‍मे हर साल फरवरी और अगस्‍त में मुंबई में फैशन वीक (LFW) आयोजित करता है, जहां बॉलीवुड के सितारे और टॉप मॉडल्स जलवा बिखेरते हैं. 1999 से शुरू हुआ ये इवेंट अर्जुन रामपाल, मलाइका अरोड़ा, ऐश्वर्या राय से लेकर दीपिका पादुकोण तक को स्टार बना चुका है. इसके अलावा लैक्‍मे के देश भर में 400 से ज्‍यादा स्‍टोर हैं, वहीं लैक्‍मे सैलून 125 शहरों में हैं, जहां 280 से ज्यादा फ्रैंचाइजी पार्टनर जुड़े हुए हैं.

कैसा है फाइनेंशियल ग्राफ?

स्टेटिस्टा वेबसाइट के मुताबिक, 2023 में लैक्‍मे का रेवेन्यू 3 बिलियन रुपये से ज्यादा रहा था, जो पिछले साल से 19% ज्‍यादा था.