Hyundai Motor India को महाराष्ट्र टैक्स विभाग का नोटिस, 5 करोड़ रुपये है बकाया
Hyundai Motor india को महाराष्ट्र राज्य की टैक्स अथोरिटी ने 2.741 करोड़ रुपये टैक्स के तौर पर मांगे हैं और 2.279 करोड़ रुपये ब्याज के रूप में मांगे हैं. ऐसे कुल मिलाकर 5.02 करोड़ रुपये का बकाया बताया गया है.
Hyundai Motor India Ltd (HMIL) ने मंगलवार, 26 नवंबर को बताया कि उसे महाराष्ट्र राज्य टैक्स अथॉरिटी से एक शो-कॉज नोटिस मिला है. इसमें कंपनी पर 5 करोड़ रुपये से ज्यादा का टैक्स और ब्याज बकाया होने का आरोप लगाया गया है. क्या है पूरा मामला आइए समझते हैं.
क्या है मामला?
हुंडई मोटर को मिले नोटिस में आरोप लगाया गया है कि कंपनी ने इनपुट टैक्स क्रेडिट यानी ITC का क्लेम ज्यादा किया है, जो नियमों के अनुसार सही नहीं है. इसके अलावा हुंडई मोटर द्वारा रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म (RCM) के तहत पेमेंट किए गए टैक्स में भी गड़बड़ियां बताई गई है.
कंपनी को मिले नोटिस के अनुसार 2.741 करोड़ रुपये टैक्स के तौर पर मांगे गए हैं और 2.279 करोड़ रुपये ब्याज के रूप में मांगे हैं. ऐसे कुल मिलाकर 5.02 करोड़ रुपये का बकाया बताया गया है.
Hyundai का बयान
हुंडई मोटर ने कहा कि वह शो-कॉज नोटिस का जवाब तय समय सीमा के अंदर प्राधिकरण के समक्ष दाखिल करेगी. कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि इस नोटिस का कंपनी के फाइनेंशियल ऑपरेशन या अन्य गतिविधियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
हुंडई मोटर शेयर पर कोई असर?
हुंडई मोटर का शेयर पिछले एक महीने से पॉजिटिव है. आज भी अब तक इस शेयर पर कोई असर नहीं पड़ा है. आज ये शेयर 1.5 फीसदी उछला और 1881.35 पर कारोबार कर रहा है. पिछले पांच दिनों में यह 3 फीसदी से ज्यादा का रिटर्न दे चुका है.
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क्या होता है इनपुट टैक्स क्रेडिट?
इनपुट टैक्स क्रेडिट यानी आईटीसी एक ऐसी सुविधा है जो जीएसटी के तहत दी जाती है. यह सुविधा बिजनेस करने वालों के लिए है जो अपने बिजनेस में इस्तेमाल किए जाने वाले सामानों और सेवाओं पर जीएसटी का पेमेंट करते हैं.
उदाहरण के लिए, मान लें कि आप एक कपड़े का बिजनेस करते हैं और आप अपने बिजनेस में इस्तेमाल किए जाने वाले कपड़े, धागे, और अन्य सामग्री पर जीएसटी का पेमेंट करते हैं. जब आप अपने प्रोडक्ट को बेचते हैं, तो आप अपने ग्राहकों से जीएसटी का पेमेंट लेते हैं.
आईटीसी की सुविधा के तहत, आप अपने बिजनेस में इस्तेमाल किए जाने वाले सामानों और सेवाओं पर इनपुट जीएसटी के पेमेंट को आउटपुट जीएसटी से एडजस्ट कर सकते हैं. जैसे अगर कपड़े बनाने में आपने 10 हजार खर्च किए जो आपका इनपुट जीएसटी हो गया, अब उसे बेचने के बाद आपने 15 हजार कमा लिए ऐसे में आपको केवल 5 हजार का ही टैक्स भरना होता है.