को-ऑपरेटिव बैंक में जमा है पैसा, तो इन 5 इंडिकेटर से पता लगाएं उसकी सेहत, नहीं तो पछताएंगे

भारतीय रिजर्व बैंक RBI ने महाराष्ट्र स्थित न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक पर 122 करोड़ रुपये के घोटाले के चलते 6 महीने के लिए प्रतिबंध लगाया. इस घटनाक्रम के बाद अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों UCBs की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं. हालांकि RBI की सख्ती और नए सुधारात्मक ढांचे PCA के कारण कमजोर बैंकों पर वित्तीय प्रदर्शन सुधारने का दबाव बढ़ा है.

तो इन 5 इंडिकेटर से पता लगाए बैंक का सेहत. Image Credit:

New India Cooperative Banks: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने महाराष्ट्र स्थित न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक पर 122 करोड़ के घोटाले के चलते 6 महीने के लिए प्रतिबंध लगा दिया है. इस कार्रवाई के बाद कोऑपरेटिव बैंक UCBs सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं और लोगों का इन बैंकों पर भरोसा कम होता दिख रहा है. कोऑपरेटिव बैंक UCBs की वर्तमान स्थिति को देखें तो सख्ती के बावजूद इनमें वित्तीय जोखिम बना हुआ है. RBI की कड़ी निगरानी और नए सुधारात्मक ढांचे (PCA) के चलते कमजोर बैंकों पर अपने वित्तीय प्रदर्शन में सुधार करने का दबाव बढ़ा है. इसके अलावा, लगातार बैंकों के लाइसेंस रद्द होने के कारण लोगों का भरोसा भी डगमगाया है. यदि आपका पैसा भी किसी कोऑपरेटिव बैंक में जमा है, तो हम आपको 5 ऐसे इंडिकेटर के बारे में बताएंगे, जिनसे आप चेक कर तुरंत अपने कोऑपरेटिव बैंक की सेहत के बारे में पता कर सकते हैं.

बैंकिग सेक्टर और उनकी वित्तीय स्थिति

देश में कुल 1,472 अर्बन कोऑपरेटिव बैंक UCBs कार्यरत हैं, जिनमें मार्च 2024 तक कुल 5,55,469 करोड़ रुपये की जमा Deposits और 3,46,903 करोड़ रुपये के ऋण (Advances) थे. इनमें से 49 बैंक ‘Scheduled UCBs’ की कैटेगरी में आते हैं. वहीं, शीर्ष 25 फीसदी अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों का पूंजी-पर्याप्तता अनुपात CRAR 12 फीसदी से अधिक है.

CRAR 12 फीसदी से नीचे तो रिस्क में है बैंक

मार्च 2024 तक दो अनुसूचित अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों UCBs का पूंजी-पर्याप्तता अनुपात (CRAR) बेहद कम था, जिससे उन पर नियामकीय कार्रवाई की संभावना बनी हुई है. इसके अलावा, चार अन्य बैंकों का CRAR 12 फीसदी से नीचे है. भारतीय रिजर्व बैंक RBI ने सभी UCBs को मार्च 2026 तक न्यूनतम 12फीसदी CRAR हासिल करने का लक्ष्य दिया है. सितंबर 2024 तक UCBs का सकल NPA अनुपात 9.6 फीसदी था, जो एक साल पहले 10.9 फीसदी था. इसका मतलब है कि अगर आपके बैंक का CRAR फीसदी से कम है तो ये रिस्क की बात है.

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RBI का प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन

भारतीय रिज़र्व बैंक RBI ने 26 जुलाई 2024 को प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन PCA फ्रेमवर्क पेश किया, जो अप्रैल 2025 से लागू होगा. यह फ्रेमवर्क Tier II, III और IV श्रेणी के अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों UCBs पर लागू होगा, जबकि छोटे Tier I UCBs को वर्तमान निगरानी ढांचे के तहत रखा जाएगा. इसका उद्देश्य वित्तीय रूप से कमजोर UCBs को उनकी स्थिति सुधारने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए बाध्य करना है.

NPA 6 फीसदी से ज्यादा तो भी है खतरे की घंटी

यदि किसी अर्बन कोऑपरेटिव बैंक UCB का CRAR 9.5 फीसदी से कम हो जाए, या नेट NPA अनुपात 6 फीसदी से अधिक लेकिन 9फीसदी से कम हो या फिर लगातार दो वर्षों तक शुद्ध घाटा हुआ हो, तो उस पर नियामकीय निगरानी और संभावित सुधारात्मक कार्रवाई लागू की जा सकती है.

24 UCBs के लाइसेंस रद्द हुए

वित्त वर्ष 2023-24 में 24 अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों UCBs के लाइसेंस रद्द किए गए, जिससे 2015-16 से अब तक कुल 70 बैंक बंद हो चुके हैं. इनमें से 94 फीसदी बैंक ‘Non-Scheduled UCBs’ थे. मार्च 2023 के अंत तक कुल कोऑपरेटिव बैंकिंग सेक्टर की एसेट 22.9 लाख करोड़ रुपये थीं, जो शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों की कुल एसेट का 9.5 फीसदी थी. वहीं, 2023-24 में UCBs की समेकित बैलेंस शीट में 4फीसदी की वृद्धि हुई, जो पिछले वर्ष के 2.3फीसदी की तुलना में अधिक रही.