साल 2024 के अप्रैल से नवंबर के बीच सरकार का राजकोषीय घाटा 8 लाख करोड़ के पार

भारत सरकार का राजकोषीय घाटा अप्रैल से नवंबर तक 8.47 लाख करोड़ रुपये रहा, जो वित्त वर्ष 2024-25 के अनुमान का 52.5 फीसदी है. यह घाटा इसलिए बढ़ा है क्योंकि सरकार का खर्च उसके रेवेन्यू से ज्यादा हो गया है. हालांकि, सरकार का रेवेन्यू भी बढ़ा है.

2024 के अप्रैल से लेकर नवंबर तक भारत का राजकोषीय घाटा 8.47 लाख करोड़ रुपये रहा Image Credit: Freepik

भारत सरकार का अब तक कितना राजकोषीय घाटा हो गया है, इसके आंकड़े सामने आ गए हैं. साल 2024 के अप्रैल से लेकर नवंबर तक भारत का राजकोषीय घाटा 8.47 लाख करोड़ रुपये रहा ये करीब 98.90 अरब डॉलर है. यह मौजूदा वित्त वर्ष के लिए तय अनुमान का 52.5 फीसदी है. यह जानकारी सरकार के ताजा आंकड़ों से सामने आई है. इसका मतलब वित्त वर्ष 2024-25 के पहले 8 महीनों में सरकार का खर्च उसके रेवेन्यू को पार कर गया है.

क्या है रेवेन्यू की स्थिति

इस वित्तीय वर्ष के पहले आठ महीनों में नेट टैक्स कलेक्शन 14.43 लाख करोड़ रुपये रहा, जो वार्षिक लक्ष्य का 56 फीसदी है. पिछले साल इसी अवधि में यह 14.36 लाख करोड़ रुपये था. सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़ा है लेकिन ये अच्छा रहा कि सरकार का रेवेन्यू बढ़ गया है, हालांकि ये कोई बहुत बड़ी बढ़ोतरी नहीं है.

कितना रहा सरकारी खर्च

सरकार ने इन आठ महीनों में कुल 27.41 लाख करोड़ रुपये खर्च किए है, जो वार्षिक लक्ष्य का लगभग 57 फीसदी है. पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 26.52 लाख करोड़ रुपये था.

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कैपिटल एक्सपेंडिचर (पूंजीगत व्यय)

फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च यानी कैपिटल एक्सपेंडिचर, नवंबर तक 5.13 लाख करोड़ रुपये रहा, जो वार्षिक लक्ष्य का 46.2 फीसदी है. पिछले साल इसी अवधि में यह 5.86 लाख करोड़ रुपये था.

खर्च में धीमापन क्यों?

इस साल लोकसभा के चुनावों के कारण सरकारी खर्च में धीमापन देखा गया है, क्योंकि चुनावों की वजह से आचार संहिता लग जाती है और इस वजह से खर्च कम हो जाता है. यही कारण है कि पूंजीगत व्यय अपने वार्षिक लक्ष्य से कम रहने की संभावना है.

सरकार के इन आंकड़ों से पता चलता है कि चुनावी माहौल और अन्य चुनौतियों के चलते इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च अपेक्षा से कम हुआ है, जबकि कुल रेवेन्यू और खर्च की स्थिति पिछले साल के मुकाबले मामूली रूप से बेहतर है.