India-Bangladesh Transshipment: भारत ने क्यों रोका बांग्लादेश का व्यापार, चीन-पाकिस्तान से क्या कनेक्शन?
भारत ने बांग्लादेश के लिए Transshipment Facility को खत्म कर दिया है. यह फैसला मोहम्मद यूनुस की तरफ से पूर्वोत्तर भारत और चीन के बीच संबंधों को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद सामने आया है. जानते हैं भारत ने असल में यह फैसला क्यों किया और क्या वाकई इसके पीछे चीन-पाकिस्तान से कनेक्शन है?

भारत ने बांग्लादेश को दी जाने वाली Trans-Shipment Facility को रोक दिया है. बुधवार 9 अप्रैल, 2025 को भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इसकी पुष्टि की है. जायसवाल ने विदेश मंत्रालय की साप्ताहिक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘बांग्लादेश को यह सुविधा 2020 में देना शुरू किया गया. लेकिन, पिछले कुछ समय से हमारे एयर पोर्ट और पोर्ट्स पर बांग्लादेश के कंटेनरों का जमावड़ा लगा है. इसकी वजह से हमारा निर्यात और लॉजिस्टिक प्रभावित हो रहा है. इस वजह से ही 8 अप्रैल, 2025 से बांग्लादेश को दी जाने वाली यह सुविधा वापस ले ली गई है.’
क्या बांग्लादेश का निर्यात प्रभावित होगा?
विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में कहा है कि भारत ने बांग्लादेश की तरफ से नेपाल और भूटान को किए जाने वाले निर्यात को नहीं रोका है. इस फैसले का भारत की जमीन के जरिये इन दोनों देशों को बांग्लादेश की तरफ से किए जाने वाले निर्यात पर कोई असर नहीं होगा.
क्या कहते हैं WTO के नियम?
WTO यानी वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ एंड ट्रेड यानी GATT, 1994 के आर्टिकल V के मुताबिक WTO सदस्यों को अपनी जमीन के जरिये लैंडलॉक्ड यानी जमीन से घिरे देशों के लिए आयात-निर्यात के लिए फ्री ट्रांजिट सुविधा देनी होगी. कई जानकारों का कहना है कि भारत की तरफ से बांग्लादेश के ट्रांस-शिपमेंट को रोकना इस नियम का उल्लंघन है. हालांकि, यहां गौर करने वाली बात यह है कि बांग्लादेश एक लैंडलॉक्ड देश नहीं है. ऐसे में भारत की तरफ से WTO के किसी नियम का उल्लंघन नहीं होता है.
भारत के राज्यों में दखल के लिए चीन को आमंंत्रण
भारत की बांग्लादेश की ट्रांस-शिपमेंट फैसिलिटी को रोकने का फैसला बांग्लादेश की तरफ से दो बड़े आपत्तिजनक कदमों के बाद आया है. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने पिछले सप्ताह शुक्रवार को चीन में बांग्लादेश को ‘समुद्रों का रक्षक’ बताते हुए कहा, “पूर्वोतर भारत के 7 राज्य, जिन्हें 7 सिस्टर्स कहा जाता है, लैंडलॉक्ड हैं. इन राज्यों को बांग्लादेश के पोर्ट्स के जरिये चीनी इकोनॉमी से जोड़ना पूरे क्षेत्र के लिए बड़ी संभावनाएं रखता है.” इसके साथ ही यूनुस ने चीन से आग्रह किया कि वह इस संबंध में जरूरी कदम उठाए. भारत को यूनुस की इस हरकत पर आपत्ति है, क्योंकि यूनुस को भारतीय राज्यों के संबंध में बोलने का कोई हक नहीं है. इसके अलावा यूनुस ने तीस्ता के पानी पर भी भारत-बांग्लादेश के द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन करते हुए इस मामले में चीन को घुसाने का प्रयास किया है.
चिकन नेक पर पाकिस्तान
पिछले दिनों बांग्लादेश की तरफ से एक और ऐसी हरकत हुई, जिससे भारत का खफा होना लाजिमी है. असल में बांग्लादेश और पाकिस्तानी मीडिया में दोनों देशों की सरकारों के हवाले से रिपोर्ट किया गया है कि भारत-बांग्लादेश के बीच ‘चिकन नेक’ पर स्थित लालमोनिरहाट में द्वितीय विश्व युद्ध के समय की एक हवाई का पुनर्विकास किया जा रहा है. पाकिस्तानी वायुसेना की मदद से वहां से जे-17 विमानों का संचालन किया जाना है.
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