अगस्‍त में भारत ने दोगुना खरीदा सोना, 10 अरब डॉलर से ज्‍यादा का किया आयात

वाणिज्य मंत्रालय के डाटा के मुताबिक भारत में अगस्त महीने में हुए सोने के आयात में भारी वृद्धि दर्ज की गई है. मंत्रालय ने बताया कि इसका मुख्य कारण कस्टम ड्यूटी में की गई कटौती है.

भारत में सोने की आयात में हुई वृद्धि Image Credit: DEV IMAGES/Moment/Getty Images

अगस्त के महीने में सोने के आयात में भारी इजाफा दर्ज किया गया है. वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अगस्त महीने में सालाना आधार पर सोने के आयात में दोगुने से भी ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई है. मंत्रालय के अनुसार तकरीबन 10.06 बिलियन डॉलर के भारी आयात का मुख्य कारण कस्टम ड्यूटी में कटौती और आने वाले त्योहारों की वजह से लगातार बढ़ रही मांग है. पिछले साल के अगस्त महीने में 4.93 बिलियन डॉलर का सोना आयात किया गया था.

आयात को रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने को लेकर वाणिज्य सचिव सुनिल बर्थवाल ने कहा कि सोने की तस्करी को रोकने और दूसरी तरह की गतिविधियों को कम करने के उद्देश्य से सोने के टैरिफ रेट को घटाया गया है. रिपोर्टर से बात करते हुए बर्थवाल ने कहा, “यह वह समय है जब त्योहारों के सीजन में बिक्री करने के लिए जौहरी अपना स्टॉक को बढ़ाना शुरू करते हैं.” बता दें कि सरकार ने यूनियन बजट में ड्यूटी शुल्क को 15 फीसदी से घटाकर 6 फीसदी करने की घोषणा की थी. यह जून 2013 के बाद से सबसे कम शुल्क दर रहा है.

वित्त वर्ष 2024-25 के पहले चार महीने यानी अप्रैल से लेकर जुलाई तक के सोने का आयात 4.23 फीसदी घटकर 12.64 अरब डॉलर रह गया है. जबकि पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के आयात में 30 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज करके 45.54 अरब डॉलर हो गया था.

बता दें कि भारत में सोने का आयात का मुख्य स्रोत स्विटजरलैंड है जहां से तकरीबन 40 फीसदी सोना आता है. उसके बाद यूएई और दक्षिण अफ्रीका है जहां से क्रमश:16 फीसदी और 10 फीसदी सोने का आयात किया जाता है. सोने के आयात में हुए इजाफे से देश के ट्रेड डेफिसिट (आयात और निर्यात में अंतर) को अगस्त में बढ़ाकर 29.65 अरब डॉलर तक पहुंचा दिया है. चीन के बाद भारत, सोने के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है.

मार्च तिमाही में भारत ने 5.7 बिलियन डॉलर जो कि जीडीपी का 0.6 फीसदी है का अकाउंट सरप्लस दर्ज किया था. वहीं वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मौजूदा अकाउंट डेफिसिट में 67 बिलियन डॉलर या जीडीपी के 2 फीसदी के मुकाबले घटकर 23.2 बिलियन डॉलर या जीडीपी का 0.7 फीसदी हो गया.