ग्रीन एनर्जी में भारत के पास वर्ल्ड लीडर बनने का मौका, News9 ग्लोबल समिट में बोले- AM Green के वाइस चेयरमैन बीसी त्रिपाठी
अपने संबोधन में उन्होंने भारत की वन नेशन वन ग्रिड पॉलिसी का भी जिक्र किया. रिन्यूएबल एनर्जी पर शिफ्ट होकर हम आने वाली पीढ़ियों के लिए सस्टेनबल फ्यूचर ऑफ एनर्जी और इकोनॉमिक ग्रोथ को तैयार करने की तरफ होगा.
जर्मनी के स्टटगार्ट में News9 ग्लोबल समिट के दूसरे दिन एएम ग्रीन के वाइस चेयरमैन बीसी त्रिपाठी ने शिरकत की. एनर्जी ट्रांजिशन: फ्यूलिंग ग्रीन ग्रोथ के सेशन में बीसी त्रिपाठी ने एनर्जी शिफ्ट की बात की. उन्होंने कहा कि क्लाइमेट चेंज की चुनौती से निपटने के लिए इस दिशा में कदम उठाने होंगे.
फॉसिल फ्यूल से रिन्यूएबल एनर्जी पर शिफ्ट
बीसी त्रिपाठी ने कहा कि आज हम एनर्जी के भविष्य पर चर्चा करने के लिए इकट्ठा हुए हैं. फॉसिल फ्यूल से रिन्यूएबल एनर्जी पर शिफ्ट होने से बेहतरीन पब्लिक हेल्थ, पर्यावरण समेत कई और सुधार देखने को मिलेंगे. रिन्यूएबल एनर्जी पर शिफ्ट होकर हम आने वाली पीढ़ियों के लिए सस्टेनबल फ्यूचर ऑफ एनर्जी और इकोनॉमिक ग्रोथ को तैयार करने की तरफ होगा.
अपने संबोधन में उन्होंने भारत की वन नेशन वन ग्रिड पॉलिसी का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि कुछ साल पहले भारत के सामने रिन्यूएबल एनर्जी से जेनरेट होने एनर्जी के लिए स्टोरेज की चुनौती थी. पीएम मोदी वन नेशन वन ग्रिड विजन भारत में ग्रीन एनर्जी के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया है.
भारत के पास नेतृत्व करने का मौका
उन्होंने कहा कि अभी भारत के पास ग्रीन एनर्जी को लेकर नेतृत्व करने का मौका है और ये न सिर्फ प्रोडक्शन कैपेसिटी के मोर्चे पर है, बल्कि मेनस्ट्रीम में इस एनर्जी के इंटीग्रेशन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने का भी बड़ा मौका है.
उन्होंने कहा कि ये एनर्जी आने वाले समय में रोजगार से लेकर इकोनॉमिक ग्रोथ की ताकत बनेगी. भारत सरकार ने रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में इंडस्ट्री की भी काफी मदद की है. भारत में पॉलिसी मेकर्स और इंडस्ट्री के बीच क्लीन एनर्जी को लेकर सहयोग भी बढ़ा है.
बढ़ती गर्मी के प्रभाव पर भी हुई बात
जर्मनी के खाद्य एवं कृषि मंत्री Cem Özdemir ने भी दुनिया में बढ़ रही गर्मी के प्रभाव पर बात की. उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में ग्रीनहाउस गैस एमीशन 1990 के बाद से 50% से अधिक बढ़ गया है. “इन चैलेंजेस का सामना करते हुए, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने सतत विकास के लिए एक साथ मिलकर रास्ता बनाने पर सहमति जताई है. हम अभी भी उस स्थिति में नहीं हैं जहां हमें होना चाहिए, लेकिन हमें कुछ चीजों को बदलने और दुनिया को बनाए रखने के लिए तेजी से आगे बढ़ना चाहिए. हम कितने भी मजबूत क्यों न हों, हमें पार्टनरशिप की जरूरत है. भारत और जर्मनी के बीच मजबूत सहयोग विभिन्न क्षेत्रों में सतत विकास के लिए रोडमैप की रूपरेखा तैयार करने में मदद कर सकता है”.