20 मिलियन डॉलर का हेल्थकेयर मार्केट, फिर भी आम आदमी इलाज को तरस रहा? WITT समिट में दिग्गजों ने बताया समाधान
भारत में हेल्थकेयर सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन बढ़ती लागत और प्राइवेट निवेश के कारण यह आम आदमी की पहुंच से दूर हो सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि स्वास्थ्य सेवाओं को सस्ता और सुलभ बनाए रखने के लिए सरकार, अस्पतालों और लोगों को मिलकर काम करना होगा. रूटीन चेकअप, हेल्थ इंश्योरेंस और प्रिवेंटिव हेल्थकेयर को अपनाकर ही इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है.
भारत में स्वास्थ्य सेवाएं कितनी सुलभ और किफायती हैं? What India Thinks Today (WITT) समिट 2025 में इसी विषय पर देश के प्रमुख डॉक्टरों और हेल्थकेयर इंडस्ट्री के विशेषज्ञों ने गहराई से चर्चा की. भारत का हेल्थकेयर बाजार 20 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच चुका है लेकिन क्या यह आम लोगों की पहुंच में बना रहेगा, या फिर महंगाई के कारण यह एक लग्जरी सेवा बनती जा रही है?
हेल्थकेयर इंडस्ट्री में पिछले कुछ वर्षों में क्या बदलाव आए हैं?
यशोदा ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स की मैनेजिंग डायरेक्टर उपासना अरोड़ा ने बताया कि तकनीक के आने से हेल्थकेयर में बड़ा बदलाव आया है. रोबोटिक्स, टेलीमेडिसिन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने इलाज को और आधुनिक बना दिया है. रेडियोलॉजी में AI के उपयोग से डॉक्टरों का समय कम लग रहा है लेकिन उनका मानना है कि भविष्य में प्राइवेट इक्विटी के बढ़ते प्रभाव के कारण स्वास्थ्य सेवाएं महंगी हो सकती हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि अगले दस वर्षों में भारत में स्वास्थ्य सुविधाएं आम आदमी की पहुंच से बाहर हो सकती हैं.
कैंसर हीलर सेंटर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. तरंग कृष्ण ने कहा कि दो तरह के मरीज होते हैं – एक जो इंश्योरेंस का उपयोग करते हैं और दूसरे जो कैश में भुगतान करते हैं. महंगे इलाज की वजह यह है कि लोग तब तक स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देते, जब तक वे बीमार न पड़ जाएं. कैंसर जैसी बीमारियों का पता तब चलता है, जब वह चौथी स्टेज में पहुंच चुकी होती है, जिससे इलाज की लागत और बढ़ जाती है. उनका मानना है कि बेहतर तकनीक और उत्कृष्ट उपचार के लिए खर्च करना जरूरी है, क्योंकि सस्ती और मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं कभी-कभी खतरनाक भी हो सकती हैं.
स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने के उपाय क्या हैं?
डॉ. दीपक साहनी ने बताया कि भारत में डॉक्टरों की संख्या और मरीजों की संख्या के बीच एक बड़ा अंतर है, जिससे सभी को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराना मुश्किल हो जाता है. कोविड-19 महामारी के बाद लोगों में हेल्थ अवेयरनेस बढ़ी है, और प्रिवेंटिव हेल्थकेयर पर 20 फीसदी ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है. हालांकि, अब भी लोग चेकअप कराने से बचते हैं, क्योंकि उन्हें बीमारी का पता लगने का डर रहता है.
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नारायणा हेल्थ के डॉ. मदन ने कहा कि भारत में स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की जरूरत है. इलाज के खर्च को अन्य देशों से तुलना किए बिना देखा जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि भारत में बाईपास सर्जरी की लागत अन्य देशों की तुलना में कम है, फिर भी लोग इसे महंगा मानते हैं. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य बीमा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, लेकिन लोग इस पर खर्च करने से हिचकिचाते हैं. हेल्थ इंश्योरेंस लेने और नियमित चेकअप कराने की आदत डालनी होगी, तभी हेल्थकेयर सिस्टम को सही दिशा में बढ़ाया जा सकेगा.