भारत का इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन 8 महीने के हाई लेवल पर पहुंचा, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर 5.5 फीसदी बढ़ा

IIP Data: आंकड़ों से पता चला है कि जनवरी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का प्रोडक्शन 5.5 फीसदी बढ़ा. कंज्यूमर ड्यूरेबल वस्तुओं के उत्पादन में 7.2 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि 2024 में इसमें 11.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी.

इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में ग्रोथ. Image Credit: Freepik

IIP Data: सरकार द्वारा 12 मार्च को जारी आंकड़ों के अनुसार, इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (IIP) जनवरी में बढ़कर आठ महीने के उच्चतम स्तर 5 फीसदी पर पहुंच गया, जो पिछले महीने 3.5 फीसदी पर था. सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) के जारी आंकड़ों से पता चला कि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) द्वारा मापा गया भारत का औद्योगिक उत्पादन जनवरी में 5.0 फीसदी बढ़ा, जो दिसंबर 2024 में 3.5 फीसदी पर था. आंकड़ों से पता चला है कि जनवरी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का प्रोडक्शन 5.5 फीसदी बढ़ा, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 3.6 फीसदी बढ़ा था.

माइनिंग प्रोडक्शन

जनवरी 2024 में 6 फीसदी की तुलना में माइनिंग प्रोडक्शन में केवल 4.4 फीसदी की वृद्धि हुई. वहीं, बिजली उत्पादन में केवल 2.4 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. अप्रैल-जनवरी की अवधि में औद्योगिक उत्पादन में 4.2 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी.

कैपिटल गुड्स सेगमेंट

यूज्ड बेस्ड क्लासिफिकेशन के अनुसार, कैपिटल गुड्स सेगमेंट में जनवरी में 7.8 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि पिछले वर्ष इसी महीने में इसमें 3.2 फीसदी की वृद्धि हुई थी. जनवरी के दौरान कंज्यूमर ड्यूरेबल वस्तुओं के उत्पादन में 7.2 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि 2024 में इसमें 11.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. जनवरी 2024 में 0.3 फीसदी की बढ़ोतरी के बाद नॉन-ड्यूरेबल उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में 0.2 फीसदी की कमी आई.

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इंफ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन

जनवरी 2025 में इंफ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन से संबंधित वस्तुओं में 7.0 फीसदी की मामूली वृद्धि देखी गई, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 5.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी. आंकड़ों से यह भी पता चला है कि पिछले साल की समान अवधि की तुलना में जनवरी 2025 में प्राथमिक वस्तुओं के उत्पादन में 2.9 प्रतिशत की तुलना में 5.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई. कोर सेक्टर IIP का 40.27 फीसदी वेटेज बनाता है, जो इसे औद्योगिक गतिविधि का प्रमुख इंडिकेटर बनाता है.