देश के मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर की ग्रोथ पड़ी सुस्‍त, सितंबर में आठ महीने के निचले स्तर पर वृद्धि दर

एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स से पता चला कि देश के मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर की ग्रोथ सितंबर में आठ महीने के निचले स्‍तर पर आ गई है. डेटा के मुताबिक पिछले महीने अगस्त में इंडस्‍ट्री ग्रोथ 57.5 थी, जो सितंबर में गिरकर 56.5 पर आ गई है.

भारत की मैन्‍युफैक्‍चरिंग ग्रोथ पड़ी धीमी Image Credit: freepik

भारत विकास की ओर बढ़ रहा है, जल्‍द ही ये दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बनने वाला है, लेकिन देश की धड़कन कहलाने वाला उद्योग जगत इनदिनाें सुस्‍त पड़ा है. एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स से पता चला कि देश के मैन्‍युफैक्‍चरिंग सेक्‍टर की ग्रोथ सितंबर में आठ महीने के निचले स्‍तर पर आ गई है. मांग और उत्पादन में कमी के चलते इसमें गिरावट देखने को मिली है.

व्यापार सर्वेक्षण के अनुसार जून से कारखाना उत्पादन वृद्धि कमजोर हो रही है. अप्रैल-जून में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में वृद्धि दर 6.7% तक कम हो गई है. इससे पिछली तिमाही में एशिया के तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह में रोड़ा आ सकता है. एसएंडपी ग्लोबल के पीएमआई डेटा के मुताबिक पिछले महीने अगस्त में इंडस्‍ट्री ग्रोथ 57.5 थी, जो सितंबर में गिरकर 56.5 पर आ गई है. यह जनवरी के बाद से सबसे कमजोर है. साथ ही अपने 56.7 के प्रारंभिक अनुमान से भी नीचे है.

इन वजहों से आई गिरावट

एचएसबीसी इंडिया के प्रमुख अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी का कहना है कि भारत के मैन्‍युफैक्‍चरिंग क्षेत्र में गर्मियों के दिनों में बहुत मजबूत वृद्धि हुई थी, लेकिन सितंबर में इसकी रफ्तार धीमे पड़ गई. इसकी एक अहम वजह नए ऑर्डर का कम मिलना है. मांग घटने की वजह से दिसंबर के बाद से सबसे कम गति देखने को मिली. निर्यात वृद्धि एक से डेढ़ साल में कम हो गई. कारोबारी सेंटीमेंट्स खराब हुई और भविष्य का आउटपुट सब-इंडेक्स अप्रैल 2023 के बाद से अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया. इस दौरान रोजगार के मौके भी घटे हैं, यह छह महीने के निचले स्तर पर आ गया. भंडारी ने यह भी कहा कि सितंबर में इनपुट कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई, जबकि फैक्ट्री गेट वैल्‍यू कम हो गई है, जिससे निर्माताओं के मार्जिन पर दबाव बढ़ गया.