अब भारत और ताकतवर! वायुसेना को मिलेंगे स्वदेशी ‘प्रचंड’ हेलीकॉप्टर, ये है देश की सबसे बड़ी डिफेंस डील

भारत ने एक ऐतिहासिक रक्षा सौदा किया है, जिससे सेना और वायुसेना की ताकत में जबरदस्त इजाफा होगा. यह सौदा रणनीतिक रूप से बेहद अहम माना जा रहा है, लेकिन आखिर यह कितना प्रभावी होगा? जानिए इस डील से जुड़ी पूरी जानकारी.

Light Combat Helicopter Image Credit: IAF

भारतीय सेना और वायुसेना की ताकत को और अधिक बढ़ाने के लिए सरकार ने देश के अब तक के सबसे बड़े रक्षा सौदे को मंजूरी दे दी है. 62,000 करोड़ रुपये की इस डील के तहत भारतीय सेना और वायुसेना के लिए 156 मेड-इन-इंडिया लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (LCH) ‘प्रचंड’ खरीदे जाएंगे. इस ऐतिहासिक फैसले को कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक में मंजूरी दी गई. रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस डील से भारत की रक्षा उत्पादन क्षमताओं को मजबूती मिलेगी, स्वदेशी रक्षा उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा और हजारों नई नौकरियों पैदा होंगी.

हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के पास जिम्मेदारी

इस मेगा डील के तहत, हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा निर्मित 90 हेलीकॉप्टर भारतीय सेना को और 60 हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना को सौंपे जाएंगे. इन सभी हेलीकॉप्टरों का निर्माण कर्नाटक के तुमकुरु प्लांट में किया जाएगा, जिससे भारत के रक्षा उत्पादन क्षेत्र को और अधिक मजबूती मिलेगी. सरकार का मानना है कि इस फैसले से भारत की हथियारों और डिफेंस विमानों के आयात पर निर्भरता कम होगी, साथ ही देश के भीतर रक्षा उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा जो ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को मजबूती प्रदान करेगा.

‘प्रचंड’ हेलीकॉप्टर की खासियत

लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर ‘प्रचंड’ को भारतीय वायुसेना में औपचारिक रूप से अक्टूबर 2022 में शामिल किया गया था और इसे विशेष रूप से ऊंचाई वाले क्षेत्रों में डिफेंस के लिए डिजाइन किया गया है. यह दुनिया का एकमात्र अटैक हेलीकॉप्टर है जो 5,000 फीट से 16,400 फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरने में सक्षम है, जिससे यह सियाचिन ग्लेशियर और पूर्वी लद्दाख जैसे संवेदनशील और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में युद्धक अभियानों के लिए उपयुक्त बनता है.

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यह हेलीकॉप्टर एयर-टू-ग्राउंड और एयर-टू-एयर मिसाइलों से लैस है और इसे अत्याधुनिक डेटा चिप्स के साथ इंटीग्रेट किया गया है, जिससे यह नेटवर्क सेंट्रिक ऑपरेशंस में भाग ले सकता है. इससे यह युद्ध के दौरान ऑपरेशनल कोऑपरेशन और फोर्स मल्टीप्लिकेशन में सक्षम होता है जिससे दुश्मन के खिलाफ इसकी ताकत कई गुना बढ़ जाती है.