मोदी के मास्टरस्ट्रोक से चीन को झटका, श्रीलंका के इस बंदरगाह पर बनी भारत, श्रीलंका और UAE की तिकड़ी
श्रीलंका के एक अहम बंदरगाह को लेकर भारत, UAE और स्थानीय सरकार के बीच हुई एक बड़ी साझेदारी ने रणनीतिक समीकरणों को बदल दिया है. क्या इससे चीन की रणनीति को झटका लगेगा? पूरी कहानी जानने के लिए पढ़ें.
श्रीलंका के पूर्वोत्तर में बसे त्रिंकोमाली जिले में इन दिनों फिर से रणनीतिक हलचल तेज हो गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की श्रीलंका यात्रा के दौरान हुए एक अहम त्रिपक्षीय समझौते ने क्षेत्रीय राजनीति और ऊर्जा साझेदारी के समीकरणों को नया मोड़ दे दिया है. भारत, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के बीच हुए इस समझौते के तहत त्रिंकोमाली को एक मॉर्डन ऊर्जा हब के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे न सिर्फ श्रीलंका को ऊर्जा सुरक्षा मिलेगी बल्कि भारत की रणनीतिक पकड़ भी और मजबूत होगी.
चीन को जवाब, भारत की रणनीति साफ
त्रिंकोमाली, जो पारंपरिक रूप से तमिल-बहुल क्षेत्र रहा है, प्राकृतिक बंदरगाह और ऊर्जा ढांचे के कारण पहले से ही सामरिक महत्व रखता है. अब इस त्रिपक्षीय परियोजना के तहत यहां एक मल्टी-प्रोडक्ट पाइपलाइन के साथ आधुनिक ऊर्जा केंद्र की स्थापना की जाएगी. इस समझौते के ऐलान के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि यह परियोजना “सभी श्रीलंकाई नागरिकों के लिए फायदेमंद होगी”.
यह परियोजना ऐसे समय में आई है जब चीन ने हाल ही में श्रीलंका के हम्बनटोटा क्षेत्र में 3.7 अरब डॉलर का निवेश कर देश के इतिहास की सबसे बड़ी फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) लाई है. चीन की इस कदम के जवाब में भारत ने त्रिंकोमाली में अपनी मौजूदगी बढ़ाकर एक रणनीतिक संदेश देने की कोशिश की है. खासकर तब जब चीन पहले भी जाफना प्रायद्वीप के पास ऊर्जा परियोजनाओं की संभावनाएं टटोल चुका है.
UAE की भूमिका
भारत पहले से ही त्रिंकोमाली के ऑयल टैंक फार्म को विकसित कर रहा है, और नए MoU के तहत इसके दायरे का विस्तार किया जाएगा. विदेश सचिव विक्रम मिस्री के अनुसार, यह ऊर्जा हब श्रीलंका को सस्ती ऊर्जा सुनिश्चित करेगा और संभावित रूप से ऊर्जा निर्यात से राजस्व भी दिला सकता है. UAE की भागीदारी को ‘क्षेत्र की पहली ऐसी त्रिपक्षीय पहल’ बताया गया है.
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अब इस फ्रेमवर्क एमओयू के बाद अगला कदम होगा. तीनों देशों की ओर से सरकारी एजेंसियों या निजी कंपनियों को नामित करना, जो इस समझौते को बिजनेस-टू-बिजनेस स्तर पर अमल में लाएंगी. त्रिंकोमाली में यह गठबंधन न सिर्फ भारत की रणनीतिक मौजूदगी को विस्तार देगा, बल्कि श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को भी एक नया ऊर्जा स्रोत देगा. दोनों के लिए यह सौदा दूरगामी प्रभाव छोड़ सकता है.