विदेशों में पांव फैला रहे भारतीय निवेशक, होटल और मैन्युफैक्चरिंग सहित इन सेक्टर में किया जमकर निवेश

भारतीय कंपनियां विदेशी बाजारों में जिस सेक्टर में निवेश करती हैं, उनमें होटल, निर्माण, विनिर्माण, कृषि, खनन और सेवाएं शामिल हैं. ओडीआई के माध्यम से कुल वित्तीय प्रतिबद्धता देखने वाले देश सिंगापुर, यूएस, यूके, यूएई, सऊदी अरब, ओमान और मलेशिया आदि हैं.

OFDI के तहत 2024 में लगभग 17 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जो करीब 37.68 बिलियन डॉलर है. Image Credit: getty images

भारतीय कंपनियों का डंका अब पूरे विश्व में बज रहा है. अमेरिकन और यूरोपियन कंपनियों की तरह अब भारतीय कंपनियां भी विदेशी बाजार में धड़ल्ले से निवेश कर रही हैं. खास कर भारतीय कंपनियों ने होटल, निर्माण, विनिर्माण, कृषि, खनन और सर्विस सेक्ट में ज्यादा इन्वेस्ट किया है. इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि घरेलू फर्मों ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (OFDI) के तहत 2024 में लगभग 17 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की जो करीब 37.68 बिलियन डॉलर है. बड़ी बात यह है कि सिंगापुर, यूएस, यूके, यूएई, सऊदी अरब, ओमान और मलेशिया में भारतीय निवशेक ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं.

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 32.29 बिलियन डॉलर था. बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि यह एक सकारात्मक संकेत है कि भारतीय कंपनियां भी वैश्विक हो रही हैं. वे न केवल घरेलू निवेश पर नजर रख रही हैं, बल्कि अन्य क्षेत्रों पर भी नजर रख रही हैं. एक तरह से, वे अपने विकास मॉडल में विविधता ला रही हैं.

विदेशी निवेश के आंकड़े

ओएफडीआई के तीन घटक हैं, जिसमें इक्विटी, ऋण और जारी की गई गारंटी शामिल है. पिछले कैलेंडर वर्ष में, इक्विटी के रूप में स्थानीय कंपनियों द्वारा विदेशी एफडीआई 12.69 बिलियन डॉलर था, जो 2023 में निवेश किए गए 9.08 डॉलर बिलियन से 40 प्रतिशत अधिक है. ऋण श्रेणी के तहत, भारतीय कंपनियों द्वारा OFDI 2024 में 8.7 बिलियन डॉलर था, जबकि पिछले कैलेंडर वर्ष में यह 4.76 बिलियन डॉलर था. घरेलू फर्मों द्वारा जारी गारंटी 2023 में 18.44 बिलियन डॉलर के मुकाबले 2024 में घटकर 16.29 बिलियन डॉलर रह गई.

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सहायक कंपनियों में निवेश कर रही हैं

सबनावीस ने कहा कि यह तथ्य कि भारतीय कंपनियां अपनी सहायक कंपनियों में निवेश कर रही हैं. यह दर्शाता है कि वे बाहर विस्तार कर रही हैं. इससे यह भी पता चलता है कि संयुक्त उद्यम वाली स्थानीय कंपनियां विदेशी क्षेत्रों की कंपनियों के साथ अधिक सहयोग कर रही हैं. संयुक्त उद्यमों (जेवी) और पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनियों (डब्ल्यूओएस) में विदेशी निवेश को भारतीय उद्यमियों द्वारा वैश्विक व्यापार को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण रास्ते के रूप में मान्यता दी गई है.

संयुक्त उद्यमों को भारत और अन्य देशों के बीच आर्थिक सहयोग के माध्यम के रूप में माना जाता है. प्रौद्योगिकी और कौशल का हस्तांतरण, अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) के परिणामों को साझा करना, व्यापक वैश्विक बाजार तक पहुंच, ब्रांड छवि को बढ़ावा देना, रोजगार सृजन और भारत और मेजबान देश में उपलब्ध कच्चे माल का उपयोग ऐसे विदेशी निवेशों से उत्पन्न होने वाले अन्य महत्वपूर्ण लाभ हैं.

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