Rupee Depreciation: आपकी जेब तंग कर रहा है गिरता रुपया, ट्रंप की आहट से बिगड़ी चाल, अब क्या करेंगे मोदी

भारतीय रुपये में लगातार गिरावट जारी है और मंगलवार को यह अपने नए ऑल टाइम लो पर पहुंच गया. एक तरफ जियोपॉलिटिकल टेंशन तो दूसरी तरफ ट्रंप की नीतियों ने रुपये पर दबाव बढ़ा दिया है. रुपये के गिरने से महंगाई पर असर पड़ेगा और इन्फ्लूएशन में बढ़ोतरी होगी. रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि रुपया डॉलर के मुकाबले 90 रुपये से नीचे जा सकता है. अब, जब 20 जनवरी को ट्रंप शपथ लेंगे, तो देखना दिलचस्प होगा कि रुपये की चाल कैसी रहेगी.

भारतीय रुपये में गिरावट Image Credit: money9live.com

Rupee Depreciation: भारतीय रुपया में गिरावट एक बार फिर सुर्खियों में है. रुपये की गिरावट न केवल इकोनॉमिक मुद्दा बल्कि पॉलिटिक मुद्दा भी बन गई है. मंगलवार को रुपया 1 डॉलर के मुकाबले 86.6475 पर पहुंच गया, जो इसका नया ऑल टाइम लो है. लगातार गिरावट ने विपक्षी पार्टियों को सरकार पर निशाना साधने का मौका दिया है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक्स पर पीएम मोदी का पुराना बयान याद दिलाते हुए कहा, “जब मोदी जी ने प्रधानमंत्री पद संभाला था, तब वह 64 वर्ष के थे और रुपया 58.58 पर था. उस समय वह रुपये की मजबूती पर जोर देते थे और इसकी गिरावट को पूर्व पीएम की उम्र से जोड़ते थे.”

“अब देखिए, मोदी जी 75 के करीब हैं और रुपया 86 पार कर चुका है. जैसे-जैसे रुपया गिर रहा है, मोदी जी अपने ही खोदे गड्ढे में फंसते जा रहे हैं.” राजनीतिक बयानबाजी के अलावा, रुपये की गिरावट एक गंभीर आर्थिक चुनौती का संकेत है. 20 जनवरी को अमेरिका को नया राष्ट्रपति मिलेगा और डोनाल्ड ट्रंप शपथ लेंगे. शपथ ग्रहण से पहले डॉलर की मजबूती बनी हुई है. सवाल यह है कि रुपये में गिरावट क्यों हो रही है और आगे क्या संभावनाएं हैं.

फ्री फॉल मोड

रुपये में गिरावट के पीछे सबसे महत्वपूर्ण कारण अमेरिका के मजबूत होते आर्थिक हालात और डॉलर में आई तेजी है. इसके अलावा अमेरिकी फेड द्वारा ब्याज दरों में मामूली कटौती की उम्मीद के चलते अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में उछाल भी देखा गया है. हाई अमेरिकी यील्ड ने भारत जैसे उभरते बाजारों के तुलना में निवेशकों के लिए अमेरिका को अधिक आकर्षक बना दिया है. इसके अलावा, 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे, लेकिन उनकी नीतियों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है, जो रुपये की गिरावट में योगदान दे रहा है.

दुनिया भर में चल रहे जियोपॉलिटिकल टेंशन (रूस-यूक्रेन वॉर, मध्य पूर्व संकट, लाल सागर शिपिंग इश्यू और इक्विटी मार्केट में एफपीआई आउटफ्लो) के कारण तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी है. हालांकि, गिरावट के बावजूद रुपया दुनिया की सबसे स्थिर करेंसी में से एक है. एसबीआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, “आज तक, रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले लगभग 3 फीसदी कमजोर हुआ है, जो अन्य देशों की तुलना में सबसे कम है.”

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बढ़ेगी महंगाई

अगर रुपया कमजोर होता है, तो इसका सबसे बड़ा प्रभाव इम्पोर्ट बिल पर पड़ता है क्योंकि इम्पोर्टर्स डॉलर में पेमेंट करते हैं. साथ ही खाद्य तेल, दालें, फर्टिलाइजर और ऑयल एंड गैस की इम्पोर्ट ड्यूटी बढ़ जाती है. सबसे ज्यादा असर ऑयल एंड गैस इम्पोर्ट पर पड़ता है क्योंकि भारत अपनी जरूरत का 88 फीसदी हिस्सा बाहर से इम्पोर्ट करता है. रुपये के कमजोर होने से इम्पोर्ट महंगा हो जाता है, जिससे इन्फ्लेशन बढ़ता है.

उदाहरण के तौर पर, तेल की कीमतें बढ़ने से ट्रांसपोर्टेशन की लागत बढ़ जाती है, जिससे खाने-पीने की चीजें महंगी हो जाती हैं. हाई इम्पोर्ट बिल व्यापार घाटे को बढ़ाता है और ब्याज दरों में बढ़ोतरी का कारण बनता है, जिससे आर्थिक विकास की गति धीमी हो जाती है. इसके अलावा, कमजोर रुपये का नकारात्मक प्रभाव कई चीजों पर दिखता है. हालांकि, एक्सपोर्ट के नजरिए से यह फायदेमंद हो सकता है. भारती फार्मास्यूटिका और टेक्सटाइल जैसे कई चीजों का एक्पोर्ट करता है. रुपये के कमजोर होने से इन्फ्लेशन बढ़ेगा और इसे काबू करने के लिए RBI की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी.

रुपया डॉलर के मुकाबले 90 रुपये से नीचे जा सकता है

ब्लूमबर्ग ने गेवकेल के रिसर्च के हवाले से बताया है कि इस साल रुपया डॉलर के मुकाबले 90 रुपये से नीचे जा सकता है. वहीं, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में रुपये पर अस्थाई प्रभाव पड़ेगा. एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऐतिहासिक तौर पर देखें तो डेमोक्रेटिक पार्टी की सरकार की तुलना में रिपब्लिकन पार्टी की सरकार में रुपये ने बेहतर प्रदर्शन किया है.

डॉलर के मुकाबले 2024 में सबसे ज्यादा किस देश की करेंसी में हुई गिरावट

1नाइजीरिया42.6 फीसदी
2इजिप्ट39.1 फीसदी
3ब्राजील21.5 फीसदी
4रूस21.4 फीसदी
5मैक्सिको18.6 फीसदी
6तुर्की 16.7 फीसदी
7साउथ कोरिया 12.3 फीसदी
8वियतनाम4.8 फीसदी
9पोलैंड4.7 फीसदी
10फिलिपिंस4.6 फीसदी
11इंडोनेशिया4.3 फीसदी
12साउथ अफ्रिका3.0 फीसदी
13चीन 2.8 फीसदी
14इंडिया2.8 फीसदी