घाटे में सरकार! फिस्कल डेफिसिट बढ़कर 13.47 लाख करोड़ पहुंचा, बजट टार्गेट के 85.8 फीसदी जितना हुआ
भारत सरकार का राजकोषीय घाटा फरवरी 2025 तक पूरे वित्त वर्ष के लक्ष्य का 85.8% हो गया है. महालेखा नियंत्रक ने की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-फरवरी के दौरान यह घाटा बढ़कर 13.47 लाख करोड़ रुपये हो गया है.

केंद्र सरकार की तरफ से लगातार फिस्कल डेफिसिट को कम करने पर जोर दिया जा रहा है. कुछ हद तक सरकार का यह प्रयास सफल होता दिखाई दे रहा है. क्योंकि, मौजूदा वित्त वर्ष अब खत्म होने वाला है. वहीं, फरवरी तक फिस्कल डेफिसिट बजट टार्गेट के 85.5 फीसदी तक पहुंचा है. इस तरह से सरकार ने घाटे को कुशलता से काबू में रखा है. अगर, मौजूदा वित्त वर्ष के अंत में फिस्कल डेफिसिट बजट मे तय टार्गेट से कम या उसी दायरे में रहता है, तो यह सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि होगी.
सीएजी ने जारी किए आंकड़े
CAG यानी महालेखा नियंत्रक ने शुक्रवार 28 मार्च को केंद्र के राजकोषीय घाटे यानी फिस्कल डेफिसिट के आंकड़े जारी किए. इन आंकड़ों के मुताबिक फरवरी 2025 के अंत तक फिस्कल डेफिसिट निर्धारित लक्ष्य के 85.8 फीसदी के बराबर हो गया. आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल 2024 से लेकर फरवरी 2025 के बीच केंद्र सरकार का फिस्कल डेफिसिट वास्तविक संदर्भ में 13,46,852 करोड़ रुपये रहा. एक साल पहले की समान अवधि में यह घाटा वित्त वर्ष 2023-24 में यह घाटा लक्ष्य के 86.5 प्रतिशत तक पहुंचा था.
नेट टैक्स रेवेन्यू
सीजीए के आंकड़ों से पता चला है कि केंद्र सरकार का नेट टैक्स रेवेन्यू 20 लाख करोड़ रुपये यानी वित्त वर्ष 2024-25 के संशोधित अनुमान के 78.8 फीसदी तक पहुंच गया है. पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में यह 79.6 प्रतिशत था.
कितना हुआ कुल खर्च
केंद्र सरकार के राजस्व-व्यय आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के पहले 11 महीनों में कुल व्यय 38.93 लाख करोड़ रुपये हुआ है, जो कि संशोधित अनुमान का 82.5 फीसदी है. एक साल पहले की अवधि में यह 83.4 फीसदी रहा था.
कितना है घाटे का टार्गेट
केंद्रीय बजट में वित्त वर्ष 2024-25 के लिए राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP का 4.8 प्रतिशत और 2025-26 के लिए 4.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है. मौजूदा कीमतों के आधार पर मार्च 2025 को समाप्त होने वाले वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटा 15.69 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है.
राज्यों को दी ज्यादा रकम
सीएजी की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-फरवरी अवधि में कुल राजस्व व्यय में से 9.52 लाख करोड़ रुपये ब्याज भुगतान और 3.63 लाख करोड़ रुपये प्रमुख सब्सिडी मद में हुए थे. इसके साथ ही सीजीए की तरफ से जारी आंकड़ों में बताया गया है कि फरवरी 2025 तक सरकार ने करों के हिस्से के रूप में राज्य सरकारों को 11.80 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित किए, जो पिछले वर्ष की तुलना में 1.47 लाख करोड़ रुपये अधिक हैं.
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