भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में छठे हफ्ते भी गिरावट, 10 महीने के निचले स्तर पर पहुंचा
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट जारी है, जिससे बाजार में हलचल मची हुई है. रुपये की कमजोरी और विदेशी निवेश में गिरावट के बीच, आरबीआई की रणनीति पर सवाल उठ रहे हैं.
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार (India’s forex reserves ) में लगातार छठे सप्ताह गिरावट दर्ज की गई है. 10 जनवरी को समाप्त हुए सप्ताह में यह रिजर्व घटकर 625.9 अरब डॉलर पर आ गया. यह आंकड़ा पिछले 10 महीनों का सबसे निचला स्तर है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, यह गिरावट 8.7 अरब डॉलर की रही, जो दो महीनों में सबसे बड़ी साप्ताहिक गिरावट है.
इस गिरावट का मुख्य कारण विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों (FCA) में आई 9.5 अरब डॉलर की कमी रही. हालांकि, इस दौरान भारत के गोल्ड रिजर्व का मूल्य 792 मिलियन डॉलर बढ़ा. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार सितंबर 2024 के अंत में 705 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर पर था लेकिन तब से अब तक यह करीब 80 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज कर चुका है.
रुपया 86.61 प्रति डॉलर पर बंद
भारतीय रुपये में लगातार गिरावट भी विदेशी मुद्रा भंडार में कमी की एक बड़ी वजह रही है. अमेरिकी डॉलर की मजबूती और कैपिटल इनफ्लो में कमजोरी के चलते रुपया दबाव में रहा. 1 अक्टूबर 2024 से अब तक रुपया 3.2 फीसदी तक कमजोर हो चुका है.
शुक्रवार, 17 जनवरी को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 6 पैसे की गिरावट के साथ 86.61 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ. यह साप्ताहिक आधार पर 0.74 फीसदी की गिरावट को दर्शाता है, जो पिछले 18 महीनों में सबसे तेज गिरावट है. इसके अलावा, यह लगातार 10वां सप्ताह है जब रुपये में गिरावट दर्ज की गई है.
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RBI की रणनीति और वैश्विक चुनौतियां
मार्केट एक्सपर्ट के मुताबिक, भारतीय रिजर्व बैंक बाजार में अत्यधिक अस्थिरता को रोकने के लिए अपने भंडार का सावधानीपूर्वक इस्तेमाल कर रहा है. वैश्विक वित्तीय माहौल में बढ़ती चुनौतियों के बीच, RBI विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिरता बनाए रखने की रणनीति पर काम कर रहा है. इसके अलावा, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में IMF के रिजर्व ट्रेंच पोजिशन (RTP) भी शामिल है, जो देश की वित्तीय स्थिति को प्रभावित करता है.