8.2 फीसदी से 6.5 पर लुढ़क आया देश का GDP ग्रोथ; बावजूद World Bank ने कहा- ‘बना रहेगा नं. 1’
भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर एक अहम रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें देश के विकास की गति और भविष्य की संभावनाओं का जिक्र है. इस रिपोर्ट में भारत की आर्थिक नीतियों, निवेश माहौल और वैश्विक परिस्थितियों का विस्तार से विश्लेषण किया गया है.
World Bank ने अपने हालिया जारी ग्लोबल इकनॉमिक प्रोस्पेक्ट्स रिपोर्ट में भारत की आर्थिक वृद्धि दर को लेकर सकारात्मक अनुमान जताया है. रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की विकास दर 6.7 फीसदी बनी रहेगी, जिससे भारत अगले दो वर्षों तक दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा. हालांकि भारत की विकास दर 2023-24 में 8.2 फीसदी रही, ऐसे में बेहतरी की कोशिशें संभावित हैं.
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत के सर्विस सेक्टर में स्थिर वृद्धि जारी रहेगी, जबकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर भी रफ्तार पकड़ेगा. सरकार द्वारा लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने और कर व्यवस्था को आसान बनाने के प्रयासों से व्यापारिक माहौल बेहतर होगा, जिससे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को लाभ मिलेगा.
वैश्विक अर्थव्यवस्था की स्थिति
विश्व बैंक ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था 2024 की तरह 2025 और 2026 में भी 2.7 फीसदी की दर से बढ़ेगी. हालांकि, विकासशील देशों के लिए आगे की राह कठिन हो सकती है. हाई लोन, कमजोर निवेश, कम प्रोजक्शन ग्रोथ और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियां विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए प्रमुख बाधाएं बन सकती हैं.
विश्व बैंक का मानना है कि भारत में श्रम बाजार की मजबूती, बढ़ता कर्ज और घटती महंगाई निजी खपत को बढ़ावा देंगे. हालांकि, सरकारी खर्च नियंत्रित रह सकता है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि निजी निवेश में वृद्धि की संभावना है, क्योंकि कॉरपोरेट कंपनियों की बैलेंस शीट मजबूत है और वित्तीय स्थितियां अनुकूल हो रही हैं.
जोखिम और चुनौतियां
रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण एशिया, खासकर भारत के लिए कुछ जोखिम भी बने हुए हैं. वैश्विक व्यापार नीति में अस्थिरता और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में संरक्षणवादी नीतियां भारत के मैन्युफैक्चरिंग और इंडस्ट्रियल सेक्टर को प्रभावित कर सकती हैं. इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर वस्तुओं की कीमतों में बढ़त, जलवायु परिवर्तन से जुड़ी आपदाएं और सख्त मौद्रिक नीतियां भी विकास को प्रभावित कर सकती हैं.
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भविष्य की संभावनाएं
भारत की विकास दर 2023-24 में 8.2 फीसदी रही, लेकिन 2024-25 में इसके 6.5 फीसदी पर आ जाने का अनुमान है. निवेश और विनिर्माण में कमी के बावजूद, सेवा क्षेत्र में स्थिरता और कृषि क्षेत्र में सुधार जारी है. ग्रामीण क्षेत्रों में आय बढ़ने से निजी खपत को बढ़ावा मिल रहा है, हालांकि शहरी क्षेत्रों में महंगाई और धीमी क्रेडिट ग्रोथ के कारण खपत पर दबाव बना हुआ है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारत में राजकोषीय घाटा (Fiscal deficit) कम होने की संभावना है, क्योंकि कर संग्रहण बढ़ रहा है. इससे सरकार को वित्तीय स्थिरता बनाए रखने में मदद मिलेगी.